संवाददाता द्वारा
बीजापुर : बीजापुर जिले का जिक्र आते ही आंखों के सामने नक्सली गतिविधियों की तस्वीर तैर जाती हैं। मगर अब स्थिति बदल रही है, यहां न केवल कविता की स्वर लहरी सुनाई देने लगी है, बल्कि यह खेल जगत में इतिहास रचने को आतुर है। बीजापुर वह जिला है जहां नक्सली गतिविधियों ने आम आदमी की जिंदगी ही बदल दी थी। यहां विकास की रोशनी कम ही पहुंची और सुविधाएं कोसों दूर हुआ करती थी। स्कूलों में ताले लटक गए थे, स्वास्थ्य सेवाएं उनके नजदीक नहीं थी, अब हालात बदल रहे हैं।
पहले आलम यह हुआ करता था कि अंधेरा ढलते ही लोगों में डर समा जाता था और घर ही उन्हें सुरक्षित नजर आता था। धीरे-धीरे यहां स्कूलों में फिर पढ़ाई शुरु हो चली है, विकास की रफ्तार भी गति पकड़ रही है, वहीं इंसानों की जिंदगी सुखद बन रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि नक्सल प्रभावित जिन क्षेत्रों के बंद स्कूलों से पहले गोलियों की आवाज आती थीं वहां अब बच्चे पोएम (कविता) गा रहे हैं, फर्राटेदार इंग्लिश बोल रहे हैं। यह बीजापुर का बदलाव है। पहले मीटिंग आदि होने पर आम जनता को शाम होने पर घर पहुंचने में डर लगता था, वे अब सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यहां के लोगों को रोजगार मिले इसके लिए बीजापुर में गारमेंट फैक्ट्री स्थापित की गई है, जिसमें स्थानीय महिलाएं काम कर रही हैं।
वहीं, जापान एवं चीन में आयोजित एशिया कप प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बीजापुर स्पोर्ट्स अकादमी के साफ्ट बाल के पांच खिलाड़ियों को राज्य सरकार ने सम्मानित किया है। मुख्यमंत्री बीजापुर में आ रहे बदलाव का जिक्र करते हुए कहते हैं, पांच साल पहले जब यहां मुझे बुलाया जाता था तो सड़क मार्ग से आते थे, कार्यक्रम में भाषण देते हुए धीरे से कोई कहता था भैया! जल्दी खत्म करो वापस जाना है।
आज बीजापुर में सभी सुरक्षित महसूस करते हैं। बीजापुर के लोगों में विश्वास बढ़ा है। बड़ी संख्या में कैंप खुले हैं जो इससे पहले कभी नहीं खुले थे। इतनी सड़कें बनी हैं जो पहले कभी नहीं बनी थी। बहुत सारे मोटरसाइकिल खरीदे गए, जो पहले नहीं थे। 1000 से अधिक ट्रैक्टर खरीदे गए हैं, जो पहले नहीं थे। बीजापुर जिले में बंद पड़े 200 स्कूल पुनः आरंभ हो चुके हैं।
बीजापुर जिले में 14 स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले गये हैं। आज बस्तर फाइटर में अकेले बीजापुर से 300 नौजवानों को नौकरी मिली है। शिक्षकों की भर्ती हुई है। 20 से अधिक अस्पताल खुल गए हैं। इलाज हो रहा है, डॉक्टर तैनात हैं। आदिवासियों को व्यक्तिगत, वनाधिकार और सामुदायिक पट्टे मिले हैं, साथ ही पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति के लोगों के लिए पट्टा दिए जा रहे है, सोलर पंप लगे हैं। लाइट पहुंच रही हैं।
मुख्यमंत्री कहते हैं कि पहले यहां साइकिल का शोरूम भी दुर्लभ था, वहां आज आठ-आठ ट्रैक्टर के शोरूम हैं। मोटरसाइकिल के शोरूम खुल रहे हैं, आज बिक्री हो रही है। हर पंचायत में आज ट्रैक्टर है। बहुत बड़ी बात है। 5 साल में यहां सरकार ने जो परिवर्तन लाया है वह बहुत बड़ी बात है। पहले ढाई हजार में तेंदूपत्ता बेचते थे, आज 4000 में बेच रहे हैं। महुआ, कोदो-कुटकी रागी आज बेचा जा रहा है। पहले कपड़े बाहर से आते थे। इन पांच वर्षों में यहां कपड़े बनने लगे हैं, प्रोसेसिग यूनिट्स लगे। लोगों की आय में वृद्धि हुई है। हमने पेसा कानून लागू किया। इस प्रकार से दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा है।
मुख्यमंत्री ने कहा, हास्टल के बच्चों की आदान राशि में वृद्धि हुई। ओल्ड पेंशन लागू किया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं के मानदेय में वृद्धि की। सभी वर्गों के लिए हमने काम किया है। बस्तर विकास की ओर चल पड़ा है। आदिवासियों की जमीन आपसे छीनी गई थी, इसे वापस किया गया है