महफिल -ए- मिलाद की सजी महफिल


नबी की अजमतों का किया गया बयान


नमाज मेरी आंखों की ठंडक है: पैगंबर मोहम्मद


कुरान तमाम किताबों में अफजल है: मौलाना अब्दुल वाहिद मिस्बाही


हजारीबाग। हजारीबाग शहर के पगमिल हाशमिया कॉलोनी अवस्थित सरफराज अहमद (गुड्डू) के आवास पर महफिल ए मिलाद की महफिल सजाई गई जिसमें शहर के मशहूर ओलमा ए कराम ने शिरकत कर नबी की अजमतों का बयान किया। नबी की अजमतों का बयान फरमाते हुए सुल्तान -उल- हिंद मस्जिद के खतीब व इमाम मौलाना अब्दुल वाहिद मिस्बाही ने कहा कि अल्लाह ने हमें हजारों नेमतें अता फरमाए और इन सभी नेमतों में अल्लाह ने अपने महबूब हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पैदा फरमाया और अल्लाह ने तमाम कायनात में अपने महबूब को सबसे अफजल बताया यह भी कहा कि जिसने अपने वालीदैन (मां-बाप) को अपनी जिंदगी में पाया और उसकी सेवा नहीं की यानी कि अपने मां-बाप की खिदमत करने से महरूम रहा उसने नबी से मोहब्बत के दावे को ठुकरा दिया नबी की अजमतों को बयां करते हुए आगे कहा कि हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जिसने अपने मां-बाप की सेवा किया और अपने मां-बाप से सच्ची मोहब्बत की यहां तक कि अपने मां-बाप की रजामंदी हासिल की उसने अपने नबी से सच्ची मोहब्बत की और अपने नबी की रजामंदी हासिल की और जिसने अपने नबी की रजामंदी हासिल की, उसने अल्लाह की रजामंदी को हासिल कर लिया। नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने बयान फरमाया है कि अगर जन्नत की तलाश करनी है तो अपने मां-बाप की खिदमत करो अल्लाह ने मां की कदमों तले जन्नत आता फरमाई है। हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कुरान को तमाम किताबों में अफजल बताते हुए बयान फ़रमाया है की कुरान की तालीम सबसे अहम है। कुरान हमें जीने का सही तरीका और इंसानियत का सच्चा राह दिखाता है। हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि क्योंकि मुझ पर नबउवत का सिलसिला खत्म हो गया। अल्लाह ने मुझे आखरी नबी के तौर पर दुनिया में पैदा फरमाया है मेरे बाद कोई नबी नहीं आने वाला इसलिए हिदायत का जरिया उम्मतियों के बीच में कुरान और हदीस है। जिसने कुरान और हदीस की तालीम को अपनी जिंदगी में उतारा वह कामयाबी की राह अपनाएगा और अल्लाह का नेक बंदा कहलाएगा अल्लाह की रजामंदी उसके साथ शामिल होगी और वह जन्नती का दर्जा को प्राप्त करेगा। मौलाना अब्दुल वाहिद ने नमाज को पाबंदी से कायम करने की लोगों से अपील करते हुए कहा कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नमाज की सख्त हिदायत की है। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यहां तक कहा है की नमाज मेरी आंखों की ठंडक है जिसने नमाज कायम की उसने मेरी आंखों को ठंडक पहुंचाई इसलिए नमाज को अपनी जिंदगी में पाबंदी के साथ कायम करें।
मौलाना अब्दुल वाहिद मिस्बाही ने कुरान की अजमतों का बयान करते हुए कहा कि कुरान तमाम किताबों में अफजल व अजमत वाली किताब है। अल्लाह और उसके रसूल के अजमतों को उजागर करने वाली और लोगों को हिदायत का रास्ता दिखाने वाली किताब है कुरान। कहा कि नबी की मोहब्बत दीन -ए- हक की शर्त -ए- अव्वल है। इसी में हो अगर खामी तो सब कुछ ना मुकम्मल है यानी कि तमाम मुसलमान को अपने नबी से सच्ची मोहब्बत करनी होगी तभी जाकर अल्लाह की खुशनुदी (रजामंदी) हासिल होगी। और वह अल्लाह का सच्चा और नेक बंदा कहलाएगा और इसी में दुनिया व आखिरत की कामयाबी है। नबी की अजमतों को बयान करते हुए कारी महमूद आलम ने बहुत ही अकीदत व एहतराम के साथ नात -ए- रसूल पढ़ी जिसकी महफिल में शामिल अकीदत मंद लोगों ने काफी सराहना की। मिलाद ए मुस्तफा की इस पाक महफिल में सरफराज अहमद (गुड्डू) एहसान मंजर एजाज अशरफ (बबलू) मोहम्मद वाजिद अब्दुल सत्तार मोहम्मद शकील मोहम्मद नईम राजू शाने अहमद मोहम्मद सकलेन मोहम्मद अएनैन नैयर इक़बाल शाहिद जावेद अहमद मोहम्मद खालिद मोहम्मद आबिद शमीम आलम (मोती) अहमद हुसैन सहित कई अकीदतमंद लोग मौजूद थे।

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