दिल्ली व्यूरो
अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ। यह घपला था- कोयले की दुबे-चुपके बिक्री करने का। कोल इंडिया की खदानों से गुजरात के व्यापारियों व छोटे उद्योगों के नाम पर लाखों टन कोयला गायब किए जाने का फरवरी में खुलासा किया गया था। एक जांच में यह दावा किया गया कि, खदानों से निकला लगभग 60 लाख टन कोयला रास्ते में गायब किया गया और सरकार के अधिकारियों तथा व्यापारियों ने उसे बेचकर 5-6 हजार करोड़ रुपए कमाए।
मीडिया में खबरें आने के बाद यह मामला विपक्षियों ने सरकार के समक्ष संसद में उठाया। आम आदमी पार्टी के दिल्ली से राज्यसभा सांसद नारायण दास गुप्ता द्वारा इस बारे में सरकार से सवाल किए गए। उसके बाद इस संदर्भ में केंद्रीय कोयला मंत्री ने अपना जवाब दिया। कोयला मंत्री ने कहा कि, इस संदर्भ में गुजरात सरकार को जांच के आदेश दिए गए हैं, और इस मामले में केंद्र सरकार की उच्च स्तरीय जांच के लिए कोई विषय नहीं है।’
इससे पहले इस मामले पर केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय के सचिव अनिल जैन का बयान आया था। जिसमें उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार की ओर से कोयला राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियों (SNA) को दिया जाता है। इसके बाद केंद्र की (हमारी) भूमिका पूरी हो जाती है। वहीं, कोल इंडिया के निदेशक सत्येंद्र तिवारी ने भी अपना बचाव किया। उन्होंने कहा कि, एजेंसियों को नियुक्त करना राज्य सरकार के उद्योग विभाग की जिम्मेदारी होती है।
इस प्रकरण का दस्तावेज प्रमुख गुजराती समाचार पत्र ‘दिव्य भास्कर’ में छापा गया था। उसमें लिखा था कि, 2008 में एक पत्र के जरिए केंद्र सरकार ने कोयला वितरण नीति लागू की थी। यह केंद्र सरकार ने साल 2007 में देशभर की स्मॉल इंडस्ट्रीज को सस्ती दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाला कोयला मुहैया कराने के लिए बनाई थी। इसी नीति के तहत गुजरात की स्मॉल इंडस्ट्रीज के लिए हर महीने कोल इंडिया के वेस्ट कोल फील्ड और साउथ-ईस्ट कोल फील्ड से कोयला निकालकर भेजा जाता है। इसी नीति का कुछ डमी या लापता एजेंसियों और गुजरात सरकार के कुछ अधिकारियों-पदाधिकारियों द्वारा दुरुपयोग किया गया।’
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खबरों के अनुसार, हजारों करोड़ का यह घोटाला बीते 14 साल में हुआ, जबकि अधिकारियों और व्यापारियों की मिलीभगत से कई एजेंसियों ने राज्य की स्मॉल और मीडियम लेवल इंडस्ट्रीज को कोयला देने के बजाए उसे दूसरे राज्य के उद्योगों को ज्यादा कीमत पर बेचा। इस मामले की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई। फेसबुक पर 25 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स वाले पत्रकार रवीश कुमार ने कहा कि, घोटाले की इस खबर पर प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए। रवीश ने लिखा था- प्रधानमंत्री को अपनी सभा में इस पर बोलना चाहिए