News Agency : झारखंड में खूंटी के कोचांग में नुक्कड़ नाटक करने गईं पांच महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में षड्यंत्रकारी फादर अल्फोंस आइंद, उत्प्रेरक जॉन जुनास तिडू, बलराम समद तथा मुख्य अभियुक्त जुनास मुंडा, बाजी समद उर्फ़ टकला व अजूब सांडी पूर्ति को खूंटी एडीजे राजेश कुमार की अदालत ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, उन्हें डेढ़ डेढ़ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की राशि पीड़िता को दी जाएगी। अदालत ने 225 पेज में फैसला सुनाया है।
फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि महाभारत में कहा गया है कि दंड ही ऐसी व्यवस्था है, जिससे समाज को नियंत्रित किया जा सकता है। इसी के कारण अंधेरे में भी अपराध करने वाला व्यक्ति भयभीत होता है कि यदि पकड़े गए तो दंडित किए जाएंगे। इस मामले में अभियुक्तों ने इस तरह का जघन्य अपराध करते हुए रूल ऑफ लॉ को चैलेंज किया है। यह क्षमा योग्य नहीं है।
फैसला सात मई को ही हो गया था। लेकिन इसे सुनाने के लिए 15 मई, 2019 की तिथि तय की गई थी। लेकिन बाद में तिथि बढ़ाकर 17 मई कर दी गई। शुक्रवार को अदालत ने छह अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा संबंधी ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस मामले में कुल आठ अभियुक्त हैं। इनमें सात पकड़े गए हैं। एक अभियुक्त नाबालिग है। इसलिए छह अभियुक्तों के खिलाफ फैसला सुनाया गया। एक अभियुक्त नोबेल सांडी पूर्ति फरार चल रहा है।
फादर अल्फोंस पर पूरी घटना की साजिश रचते हुए महिलाओं को अपहरण कर निर्वस्त्र कराने, पुरुषों के साथ मारपीट का आरोप है। वहीं, जॉन जुनास तिडू व बलराम समद पर महिलाओं को अपहरण कर निर्वस्त्र कराने, उत्प्रेरित करने, पुरुषों के साथ मारपीट का आरोप है। जबकि जुनास मुंडा, बाजी समद उर्फ टकला व अजूब सांडी पूर्ति महिलाओं का अपहरण कर दुष्कर्म करने का मुख्य अभियुक्त है।
19 जून, 2018 को कोचांग गांव स्थित मिशनरी स्कूल में मानव तस्करी के खिलाफ जागरूकता के लिए नाटक किया जा रहा था। नाटक दल में कुल 11 सदस्य थे। इनमें पांच महिलाएं, तीन लड़के, एक चालक व आशा किरण संस्था की दो सिस्टर थीं। फादर व अन्य जॉन जुनास तिड़ू, बलराम समद, जुनास मुंडा, अनूप सांडी पूर्ति, बाजिद समद उर्फ टकला ने षड्यंत्र कर सबों का अपहरण कर लिया। उन्हें छोटाउली जंगल ले जाया गया। वहां महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। साथ ही, उन्हें गंभीर रूप से शारीरिक यातनाएं दी गईं। शरीर के नाजुक अंगों को सिगरेट से दागा गया। पुरुष पीड़ितों के साथ मारपीट की गई। प्यास लगने पर उन्हें पेशाब पीने को विवश किया गया।
उन्हें चेतावनी दी गई कि बगैर ग्रामसभा व पत्थलगड़ी समर्थकों की इजाजत के कार्यक्रम करने के कारण ऐसी सजा दी गई है। इस मामले में 22 जून, 2018 को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। फादर 14 मार्च से जमानत पर थे। लेकिन सात मई को उनकी जमानत रद करते हुए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। अन्य अभियुक्त पहले से जेल में थे। फादर के खिलाफ इस जघन्य अपराध के सिलसिले में दो प्राथमिकी दर्ज की गई थी। फादर आइंद पर दोषियों को न रोकने और पुलिस को इस घटना के बारे में सूचित करने में विफल रहने का आरोप था। उन्होंने पीड़ितों को दोषियों के साथ जाने के लिए कहा था। साथ ही, कहा था कि उन्हें कुछ समय बाद छोड़ दिया जाएगा।
झारखंड के खूंटी में अराजकता चरम पर है। अड़की थाना स्थित कोचांग में पांच युवतियों को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। सभी युवतियां 18 से 22 वर्ष की हैं। ये इलाके में मानव तस्करों के खिलाफ अभियान चलाती थीं। अपराधियों ने इस वारदात को अंजाम देकर यह बता दिया कि यहां किसकी हुकूमत चलती है। उन्हें पुलिस-प्रशासन का अब खौफ नहीं रहा। घटना मंगलवार की है। बुधवार रात से पुलिस की सुगबुगाहट शुरू हुई। गुरुवार सुबह से पुलिस हरकत में दिखी। मामले की जांच के लिए पहुंचे डीआइजी ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस घटना में पत्थलगड़ी समर्थकों का हाथ नजर आ रहा है। गौरतलब है कि स्वयंभू नेताओं ने इस इलाके में पत्थलगड़ी कर रखी है। यहां पुलिस और प्रशासन के प्रवेश पर पाबंदी का बोर्ड लगा रखा है। यही वजह है कि घटना के कई घंटे बाद पुलिस को इस मामले की जानकारी हो पाई।
अड़की थाना क्षेत्र के कोचांग स्थित स्टॉक मन मेमोरियल मध्य विद्यालय कोचांग में मंगलवार को करीब 12 बजे एक स्वयंसेवी संस्था उर्सुलाइन की ओर से नुक्कड़ नाटक का आयोजन हो रहा था। इसमें पांच युवतियां शामिल थीं। कार्यक्रम शुरू होते ही तीन बाइक पर सवार हथियारबंद अपराधी वहां आ धमके और शिक्षक-शिक्षिकाओं को धमकाते हुए कार्यक्रम बंद करने की चेतावनी दी। उसके बाद नृत्य दल की युवतियों से मोबाइल छीन लिया। उन्हें हथियारों का भय दिखाकर घसीटते हुए नृत्य दल द्वारा लाए गए चार पहिया वाहन में बैठा लिया। आरोपितों में से एक ने खुद गाड़ी चलाई और युवतियों को जंगल में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया गया। लगभग चार घंटे जंगल में रखने के बाद सभी को वापस शाम चार बजे वापस पहुंचा दिया गया। इस घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल बन गया। कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है। सभी युवतियां शिक्षा को बढ़ावा देने, मानव तस्करी पर रोक लगाने व स्वच्छता मिशन पर आधारित कार्यक्रम चला रही थीं।