*हिरणपुर बीडीओ की काली करतूतों पर पर्दा क्यों? जिलाधिकारी की है लाचारी या हिस्सेदारी। क्या है वज़ह!*

एक ओर जहां हिरणपुर प्रखंड के योजनाओं में अनियमितताओं का पिटारा परत दर परत खुलते जा रहा है।

दोषी और उसके भंडारण क्षमता की जानकारी भी आम सहित खास लोगों को है।

परन्तु इनके पापों को जैसे छुपाया जा रहा हो। दिखावे की कार्यवाही निर्दोष कर्मियों के सिर मढ़ा जा रहा हो।बात चाहे तोड़ाई के खजूरडांगा में सोना मुर्मू का कूप की हो तो इस योजना में जेई ने बीडीओ के कहने पर दो बार एमबी बनाया। एक साढ़े चार लाख का और दूसरा ढाई लाख का।

और तो और डेढ़ लाख रुपए का राशि रिकवरी भी नाजिर रसीद कटवाकर किया। क्या इसमें पंचायत सचिव के प्रभार में जनसेवक राजेश हांसदा का कोई दोष है या जातिवाद समीकरण के खेल में जेई को बचाया गया है।

दूसरी तरफ डीसी के आदेश को दरकिनार करते हुए अपने चहेते उर्दू टंकक को डेढ़ साल तक विरमित नहीं करना, आखिर इतना साहस आया कहां से।

बागशीशा पंचायत में उज्ज्वल मंडल के नाम से प्रधानमंत्री आवास योजना में हेरा-फेरी करने जैसे और भी कई मामले होंगे जिसे खंगालने की आवश्यकता है।बाबुपूर के बकरी शेड निर्माण में मेट को बख्श कर सीधे रोजगार सेवक से राशि रिकवरी करते हुए उसे बर्खास्त करवाना यह अपने-आप को बचाने जैसा ही है।

15वें वित्त की योजना में गड़बड़ घपला खुद ही करना और प्रभारी बीपीआरओ को बिना कारण के सस्पेंड करवा देना, आखिर कब तक ऐसा चलेगा जनाब?सिउलीडांगा आंगनबाड़ी केंद्र योजना में डेढ़ साल पहले ही राशि निकालकर अब तक आधे-अधूरे आंगनबाड़ी को पूर्ण दिखा देना किसकी जवाबदेही है।

जो आदमी सिर्फ सोने के बिस्कुट खाकर और पेट्रोल पीकर जिन्दा रहना चाहता है उसका ज़मीर मर चुका होता है, तैमूरलंग जैसा। आखिरकार इन सब बातों के लिए जिम्मेदार व्यक्ति बीडीओ नहीं तो कौन?

कभी पोस्टरबाजी, तो कभी धरना प्रदर्शन! सीएमओ से पीएमओ तक शिकायत और जिला प्रशासन की किरकिरी! आखिर कब तक बर्दाश्त की जाती है, देखने लायक रहेगा।

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