चापाकल नहीं रहने के कारण ग्रामीण दूषित पानी पीने को विवश

चापाकल नहीं रहने के कारण ग्रामीण दूषित पानी पीने को विवश

 

मसलिया(दुमका):

मसलिया प्रखंड के खुटोजोरी पंचायत के पाटनपुर गांव में पन्द्रह आदिवासी व राय परिवार कच्चे कुवें का दूषित जल पीने को विवश है। उस कुवें में जहां एक और खुले आसमान के नीचे पेड़ पौधे की पत्तियां साल भर गिरती रहती है तो दूसरी ओर मेंढक कीड़े मकोड़े का बसेरा है। लेकिन गांव के पंद्रह परिवार के सदस्य उसी पानी को छानकर पीने के लिए मजबूर हैं। गांव की सितोसरी देवी कहती है कि क्या करें शुद्ध पानी पीने के पाटनपुर स्कूल एक किलोमीटर दूर है घर में कोई लाने वाला नहीं है जो लेकर आ सके। एक दिन की तो बात है नहीं कि पानी लाकर पी लें । हर दिन जाकर ले आने से बेहतर इसी कुंवें का पानी छानकर पीना पड़ता है। जमुनी देवी का कहना है कि पुर्वजों ने कच्चा मिट्टी का कुंवा खोदा था जो आज भी काम आ रहा है। आठ साल पहले एक चापाकल सड़क किनारे था लेकिन जब सड़क चौड़ीकरण हुआ तो चापाकल को हटा दिया गया फिर बाद में प्रसासन ने जरूरत ही नहीं समझा कि दोबारा ग्रामीणों के लिए चापाकल की व्यवस्था कराएं। जरगड़ी जलापूर्ति योजना के तहत गांव में बृहद पानी टंकी का निर्माण किया जा रहा है लेकिन ग्रामीणों को उम्मीद नहीं है कि घर घर शुद्ध पानी नशीब होगा क्योंकि छोटी सी जोरिया से पानी का चार-चार टंकी में पानी आएगा और मिलेगा यह भी उम्मीद नहीं है।

मौके सिमोतरी मराण्डी, बाबुजन मरांडी, हारो राय माणिक राय ,हारो राय,रुबिमान किस्कु,अनिल राणा,शिबलाल मरांडी,सोमलाल हेम्ब्रम,महादेव मरांडी, मनोरंजन मरांडी,जमुनी देवी, शांति मुर्मू,

पांवती मुर्मू, मिना देवी, मनोसल हेम्ब्रम, सुशील हेम्ब्रम, हेमंती देवी आदि ने प्रशासन से चापाकल की मांग किया है।

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