कोयला कंपनी की मनमानी से दिख रहा है ग्रामीणों मे आक्रोश 

कोयला कंपनी की मनमानी से दिख रहा है ग्रामीणों मे आक्रोश

पाकुड़ जिला का सबसे स्वच्छ नदी बाँसलोई नदी मे कोयला का प्रदूषित पानी नदी के बहाया गया ।

 

गणेश झा

पाकुड़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत ,स्वस्थ भारत के पूरे दुनिया मे भारत की पहचान दिलाने के उद्देश्य से सफाई मुहिम चला आ रहा है वहीं निज स्वार्थ के लिए पाकुड़ मे इसका नही किया कोयला कंपनी पालन।

प्रसासनिक और राजनेताओं की कथित मिलीभगत से पाकुड़ मे कोयला कंपनी सारे नियम की धाजियाँ उड़ा रहे हैं। पनेम लिंक पथ से कोयला खदान तक,विस्थापित को मिलने वाली सुबिधा आदि की जांच ईडी करा दी जाए तो बहुत से मामले उजागर हो सकते हैं।अभी एक मामला जिला में नही पूरे राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ है वह है कोल कंपनी द्वारा जिला का सबसे स्वच्छ नदी मे कोयला का प्रदूषित पानी का बहाना।मालूम हो की

पाकुड़ जिले में संचालित कोल ब्लॉक द्वारा बाँसलोई नदी में बीते रविवार को बहाए गए कोल कंपनियों के द्वारा कोयले के प्रदूषित पानी की जाँच के लिए एसडीओ हरिवंश पंडित स्वयं बुधवार को अमड़ापाड़ा प्रखड क्षेत्र के आलूबेड़ा में संचालित नॉर्थ कोल ब्लॉक एवं सेंट्रल कोल ब्लॉक स्तिथ जगह पर पहुँचे । उन्होंने दोनों कोल ब्लॉक के बाँसलोई में प्रवाहित होने वाले प्रदूषित जल के उद्गमस्थल का मुआयना किया। बाँसलोई नदी में निर्मित कुरुवा टोला स्थित वीयर संख्या 5 एवं दालानघुट्टू स्थित बीयर संख्या 7 पर प्रदूषित पानी के सैंपल को संग्रह करने करने के पश्चात अपने साथ पाकुड़ लेकर गए। पत्रकारों के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बाँसलोई नदी में बहाए गए अथवा बहाए जा रहे कोयले के प्रदूषित पानी की खबर को संज्ञान में लेते हुए डीसी ने जाँच के लिए मेरे नेतृत्व में एक जाँच टीम गठित किया है एवं टीम में कार्यपालक दंडाधिकारी कांति रश्मि सहित पीएचईडी के जेई दिनेश मंडल भी शामिल हैं। बीते मंगलवार को टीम निर्धारित स्थल पर पहुँच जल जाँच के लिए नमूना संग्रह किया था । अब महत्वपूर्ण बात यह है कि नदी में प्रवाहित गंदा पानी नॉर्थ कोल ब्लॉक ( बीजीआर ) का है या सेंट्रल कोल ब्लॉक ( डीबीएल ) का है। एसडीओ ने बताया कि मैं नदी में स्थित वीयर संख्या 5 पर गया ।

जहाँ से डीबीएल के सेंट्रल कोल ब्लॉक का पानी नदी में मिलता है। फिर वीयर नंबर 7 पर गया जहाँ से बीजीआर का प्रदूषित पानी नदी में प्रवाहित होता है । प्रथम दृष्टया तुलनात्मक नजरिए से यदि देखा जाय तो डीबीएल की अपेक्षा बीजीआर का पानी बहुत ज्यादा ही प्रदूषित नजर आ रहा है। हालाँकि नमूने का लैब रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा जा सकता है। कोल प्रबंधन द्वारा नदी में प्रदूषित जल छोड़े जाने से पूर्व वाटर ट्रीटमेंट की व्यवस्था पर एसडीओ ने कहा कि हमलोग प्रशासनिक जाँच रिपोर्ट डीसी को सौंप देंगे। इस दौरान पेयजल आपूर्ति विभाग के कनीय अभियंता दिनेश मंडल सहित डीबीएल कोल प्रबंधन के पदाधिकारी राधारमण राय, देवेंद्र झा, पीएसपीसीएल के मैनेजर राकेश कुमार सिंह एवं बीजीआर केपदाधिकारी मेसा रविंद्र व कुमार रेड्डी आदि मौजूद थे।

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