छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सर्वे के आधार पर आठ विधायकों की टिकट कटी

शशांक
रायपुर : जब से छत्तीसगढ़ कांग्रेस की पहली सूची में 30 में से मौजूदा आठ विधायकों की टिकट कटा है तब से इनकी टिकट कटने के पीछे की वजह तरह -तरह की बातें लोगों के बीच में तैर रहा है ! ऐसे अधिकांश लोगों का कहना है कि क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की नाराजगी ही सब से बारे कारण है । इस सूची में जिनका नाम कटे हैं, उसमें बस्तर संभाग के 12 में से चार विधायक शामिल हैं। एक सीट जगदलपुर से अभी प्रत्याशी की घोषणा लटका हुआ है ! जिन विधायकों को टिकट कटा है ,उस में अंतागढ़ से अनूप नाग, कांकेर से शिशुपाल सोरी, चित्रकोट से राजमन बेंजाम शामिल हैं। दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा ने स्वयं ही परिवार की सहमति पर अपने बेटा को टिकट दिलाया है ! ऐसे पार्टी के अंदर कार्यकर्ताओं की नाराजगी, गुटबाजी , निकम्मापन और महत्वाकांक्षा ने इन विधायकों को ले डूबा !लोगों का कहना है कि इनके टिकट कटने का अंदेशा पहले से ही जताया जा रहा था। ये तीनों की पहली बार विधायक बने थे, परन्तु ये विधायक जनता का कार्य नहीं कर सके।
2018 में चित्रकोट सीट से दीपक बैज विधायक चुने गए थे, उनके सांसद निर्वाचित होने पर उपुचनाव में राजमन बेंजाम को विधायक बनने का मौका मिला था । परन्तु बेंजाम और बैज के बीच क्षेत्र की राजनीति में लड़ाई हो रही थी । बैज ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की और उन्हें टिकट भी मिल गई। अधिकांश कार्यकर्ता भी उनके साथ बताए जाते हैं। जिसके कारण बेंजाम को वेटिकट होना पड़ा ! जहाँ अनूप नाग विधायक बनने से पहले थानेदार और शिशुपाल सोरी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे।दोनों
विधायक बन गए लेकिन कार्यशैली में बदलाब नहीं ले पाए। राजमन बेंजाम को छोड़कर बाकी तीनों विधायकों की आयु 65 से 70 साल के मध्य है।ऐसे अब इन दोनों का राजनीतिक भविष्य अंधकारमय हो गया
दुर्ग संभाग से चार विधायक चुनावी मैदान से बाहर हो गए हैं। इनमैं पंडरिया विधायक ममता चंद्राकर की टिकट कटने के पीछे कार्यकर्ताओं की नाराजगी बताई जारही है ।ये पहली बार विधायक बने थे । वहीं, खुज्जी विधानसभा की छन्नी साहू का भी टिकट कट गया है। वह जिला पंचायत की सदस्य रही है, विधायक बनने के बाद गुटबाजी में फंस गई। उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव की समर्थक मानी जाती हैं। मुख्यमंत्री के समर्थक नवाज खान से भी इनकी नहीं जम रही थी।नवागढ़ विधायक गुरुदयाल बंजारे वर्तमान सरकार में संसदीय सचिव स्वास्थ्य विभाग रहे थे। ये अपनी धरातल स्थिति मजबूत नहीं कर पाए और भुवनेश्वर बघेल अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता कम थी। जनता की समस्याओं को भी अनदेखा कर रहे थे। सर्वे रिपोर्ट में इनका नाम नहीं लिया गया। ऐसे अंतिम छह महीने में अपनी सक्रियता दिखा रहे थे।
बर्तमान विधायक के टिकट कटने के बारेमे ताम्रध्वज साहू ने कहा कि सर्वे के आधार पर टिकट काटी जाती है। विधायक के गुण-दोष के आधार पर नए प्रत्याशी बनाए गए है । आगे की सूची में भी कुछ विधायक के टिकट काटी जा सकती है।

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