नरेंद्र मोदी का ‘नॉन पॉलिटिकल इंटरव्यू’ लेने वाले अक्षय कुमार की पूरी कहानी

सुबह सूरज उगेगा लेकिन रौशनी बिलकुल नहीं होगी, तारे टिमटिमाते दिखेंगे. आप इस बात पर ‘नाममुकिन’ कहने जा रहे हैं तो रुकिए. एक लाइन और पढ़िए, ”फ़ुल पैक चुनावी प्रचार के बीच पीएम नरेंद्र मोदी का नॉन पॉलिटिकल इंटरव्यू.”

अब इस ‘नामुमकिन’ में आपको कुछ मुमकिन दिख रहा है तो बधाई, क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है?पत्रकारों से दूर रहने वाले नरेंद्र मोदी ने बीते पांच सालों में देश को कई ‘पत्रकार’ दिए. मोदी में ‘एक फ़कीरी सी’ देखने वाले प्रसून जोशी की अपार सफलता के बाद इसी कड़ी में नए पत्रकार- नमस्कार, मैं अक्षय कुमार.

अक्षय कुमार ने नरेंद्र मोदी का एक नॉन पॉलिटिकल इंटरव्यू करने का दावा किया है. सोशल मीडिया पर लोग भले ही इंटरव्यू और इसकी टाइमिंग का मज़ाक उड़ा रहे हों. लेकिन अक्षय कुमार ने मोदी की जो कहानी सुनवाई, वो काफ़ी लोगों के लिए नई है.

मोदी के कुछ ‘नॉन पॉलिटिकल’ क़िस्से

1: मोदी लोटे में गरम कोयला भरकर कपड़े प्रेस करते थे.

2: उल्टी घड़ी पहनते थे ताकि वक़्त देखने पर किसी को अपमान महसूस न हो.

3: सेना की वर्दी देखकर मोदी का सलाम करने का मन होता था.

4: आर्मी स्कूल में मोदी की पढ़ने की ख्वाहिश हुई थी.

5: मोदी के मुताबिक़, वो मन में ख़ुद सवाल पैदा करते थे, खुद जवाब खोजते.

6: गुठली के बिना आम खाने की बात बताने वाले मोदी ने बताया- संघ में वैज्ञानिक खेल होते थे.

मोदी की अनसुनी कहानी को यहां विराम देते हैं और आपको कहानी बताते हैं जिसमें चांदनी चौक का लड़का एक्टिंग के रास्ते पत्रकारिता में हाथ आज़माते हुए देश के प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लेने तक की यात्रा को तय करता है.

दिल्ली के चांदनी चौक की पराठे वाली गली. भाटिया साहब के घर से चिल्लाने की आवाज़ आई.ये आवाज़ हरि ओम भाटिया की थी. बेटा पढ़ाई में कमज़ोर था. पिता ने गाल पर तमाचा लगाकर पूछा- पढ़ेगा नहीं तो क्या करेगा?ग़ुस्से में लड़का जवाब देता है- मैं हीरो बन जाऊंगा.

9 सितंबर 1967 को कश्मीरी मां और पंजाबी पिता के घर पैदा हुआ ये लड़का राजीव भाटिया था. जो आने वाले सालों में ग़ुस्से में कही ये बात अक्षय कुमार बनकर सच करने वाला था.

राजीव के पिता पहले आर्मी में थे. फिर अकाउंटेंट की नौकरी करने लगे. कुछ वक़्त बाद भाटिया परिवार दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हो गया. राजीव का दाख़िला माटूंगा के डॉन बॉस्को स्कूल में करवाया गया.

राजीव का खेल-कूद में ख़ूब मन लगता था. पड़ोस के लड़के को कराटे करते देख दिलचस्पी पैदा हुई. 10वीं क्लास की पढ़ाई पूरा करते ही पिता से ज़िद करके राजीव मार्शल आर्ट सीखने बैंकॉक चला गया. ब्लैक बेल्ट हासिल की.

पांच साल बाद कोलकाता-ढाका में ट्रैवल एजेंट, होटल का काम करते हुए ये लड़का दिल्ली पहुंचा. कुछ वक़्त लाजपत राय मार्केट से कुंदन की ज्वैलरी ख़रीदकर मुंबई में बेची.

लेकिन मन फिर मार्शल आर्ट्स की ओर ले गया. लिहाज़ा बच्चों को मार्शल आर्ट सिखाना शुरू किया. उस ज़माने में महीने की कमाई होती थी- क़रीब चार हज़ार रुपये.

राज्यसभा टीवी को दिए इंटरव्यू के मुताबिक़, किसी की सलाह पर राजीव भाटिया मॉडलिंग की राह चल पड़ा. फ़र्नीचर की दुकान पर हुए पहले फ़ोटोशूट के लिए राजीव भाटिया को 21 हज़ार रुपये का चेक मिला. राजीव को इस काम से मिला चेक तो भाया लेकिन उस पर लिखा नाम कम जचा.

फिर राजीव भाटिया ने अपना नाम बस यूं ही बदलकर अक्षय कुमार कर लिया.इत्तेफ़ाक़ समझिए कि नाम बदलने के अगले ही दिन अक्षय को बतौर मुख्य हीरो अपनी पहली फ़िल्म मिल गई. ये फ़िल्म थी 1991 में आई सौगंध. हालांकि इससे पहले वो एक फ़िल्म ‘आज’ में भी छोटा रोल कर चुके थे.

अब भले ही अक्षय कुमार की ‘चौकीदार’ नरेंद्र मोदी से क़रीबी बढ़ गई हो, मगर ऐसा भी वक़्त था जब एक चौकीदार ने अक्षय का रास्ता रोका था.

30-32 साल पहले मुंबई के एक घर के बाहर अक्षय ने अपना फ़ोटोशूट करवाया. अक्षय ये फ़ोटोशूट घर के भीतर चाहते थे लेकिन चौकीदार ने जाने नहीं दिया.आज वो घर अक्षय कुमार का है. इस घर को ख़रीदने तक का अक्षय कुमार का सफ़र लंबा रहा.

एक बार अक्षय को मॉडलिंग के सिलसिले में बंगलुरु जाना था. लेकिन सुबह के सात बजे को अक्षय शाम का सात समझे और फ़्लाइट छूट गई.

अक्षय कुमार ने बताया था, ”फ़्लाइट छूटने के बाद मैं पूरा दिन परेशान रहा. शाम को एक मॉडल कॉर्डिनेटर को अपनी तस्वीरें दिखाने गया. तभी मुझे प्रमोद चक्रवर्ती मिले. तस्वीर देखकर वो बोले- फ़िल्म करोगे? मेरे हामी भरते ही उन्होंने मुझे पाँच हज़ार का चेक दिया.”

इसके बाद अक्षय के हिस्से कई फ़िल्में आईं. खिलाड़ी सिरीज़, मोहरा, इक्के पे इक्का, दिल तो पागल है, अफ़लातून, संघर्ष, धड़कन, अंदाज़, बेवफा, हेरा-फेरी, ओएमजी, बेबी, रुस्तम, पैडमैन, टॉयलेट एक प्रेम कथा, जॉली एलएलबी…. क़रीब 150 फ़िल्में.

अक्षय एक साथ कई-कई फ़िल्में किया करते हैं. इसका नतीजा कई बार ऐसा भी रहा कि अक्षय की 16 फ़िल्में लगातार फ्लॉप हुईं. कहा जाता है कि शूटिंग के दौरान कोई डायलॉग बोर्ड पर लिखकर खड़ा रहता है, जिसे देखकर अक्षय डायलॉग बोलते हैं. इसकी वजह अक्षय बताते हैं- रीटेक होगा तो बेवजह लोगों का टाइम वेस्ट होगा. अक्षय ने समाज को संदेश देनी जैसी फ़िल्में बहुत कम की हैं. वो खुद कहते हैं- मैं कर्मशियल सिनेमा करने आया हूं.

अक्षय कुमार एक बार काम मांगने के लिए राजेश खन्ना के पास भी गए थे. वो फ़िल्म चंकी पांडे को मिली थी. अक्षय को तब निराश लौटना पड़ा. लेकिन राजेश खन्ना से मांगने का ये सिलसिला 2001 तक चला.

अक्षय ने राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया से ट्विंकल खन्ना का हाथ मांगा. इस बार राजेश खन्ना इंकार नहीं कर पाए. साल 2001 में अक्षय और ट्विंकल खन्ना की शादी हुई.

अक्षय कुमार को फ़िल्मी पत्रिकाओं में ‘लेडी किलर’ कहा जाता था. ”मैं लेडी किलर नहीं हूँ, मैं उन्हें आकर्षित करता हूँ. मैं हर काम को ईमानदारी से करने की कोशिश करता हूँ. जो कहना है कह देता हूँ और जोड़-तोड़ नहीं करता. कभी-कभी डिप्लोमैटिक भी होता हूँ ताकि दूसरों को कष्ट न पहुँचे. मुझे लगता है कि इन सब चीज़ों से ही महिलाओं और दूसरों को आकर्षित कर पाता हूँ. यह सब शादी के पहले की बात है. शादी के बाद मुझे अपना यह क्राउन किसी दूसरे को देना पड़ा.”

अक्षय ने जिस शादी से पहले की बात की, उसके कई चर्चे आज भी छाए रहते हैं.रवीना टंडन, शिल्पा शेट्टी, रेखा और भी कई नाम. इन नामों पर अक्षय कुमार ने कभी खुलकर तो नहीं बोला लेकिन फ़िल्मी दुनिया से जुड़े ज़्यादातर लोगों को मालूम था कि अक्षय के कई अफ़ेयर्स रहे थे.

पत्रकार वीर सांघवी को दिए इंटरव्यू में रवीना टंडन ने इस बारे में खुलकर बात की थी.रवीना ने कहा था, ”जब अपना सिक्का खोटा तो आप दूसरे के बारे में क्या कहेंगे. मेरे लिए ईमानदारी मायने रखती थी. वो चाहते थे कि मैं हर बार ऐसा करूं. मैंने तीन साल ऐसा किया लेकिन फिर मैं हार गई. ये वो लड़का था, जिसने कहा था कि मैं तुमसे ही शादी करना चाहता हूं. तुम में वो सब है जो मुझे चाहिए. हमारी लड़ाइयां होतीं. फिर मनाने के क्रम में हम सगाई करते. हमारी दो बार सगाई हुई. एक बार जब हमारा ब्रेकअप होता तो वो इस बीच किसी और से सगाई कर लेता. मैंने उससे साफ़ कहा- ये कोई खिलौना है क्या कि एक टूट गया तो दूसरा ले आओ.”

आख़िरी तकरार के बाद एक रोज़ रवीना-अक्षय का रिश्ता टूट जाता है. फिर अक्षय की ‘धड़कन’ बढ़ाने शिल्पा शेट्टी आईं. मगर ये रिश्ता भी ज़्यादा दिन नहीं चला.

शिल्पा शेट्टी ने इस बारे में कहा था, ”जिस तरह से ये ब्रेकअप हुआ. ये सही नहीं था. इस रिश्ते में और भी लोग थे. मेरा मानसिक संतुलन बिगड़ गया था.”

शिल्पा ने कहा था, ”जब हम एक पेज पर बहुत ग़लती करते हैं तो उसे निकाल देते हैं. मैंने ज़िंदगी के उस चैप्टर के साथ भी वही किया, उसे निकाल दिया.”

ये वाक़या साल 2000 का था. शिल्पा और अक्षय के बीच रिश्ते की हल्की सी चिंगारी साल 2008 तक दिखाई दी. बिग बॉस के सेट पर शिल्पा शेट्टी अक्षय से कहती हैं- आप स्टंट करते रहते हैं.

तब अक्षय जवाब देते हैं- हां आपसे बेहतर कौन जान सकता है. अपने दिलफ़ेंक आशिक मिज़ाज को अक्षय एक वाक्य में समझाते हैं- “फ़ुल ब्लड हॉट मैन हूं जी तो अफ़ेयर रहे थे तो रहे थे.”

इसी दौर में अक्षय की ज़िंदगी में ट्विंकल खन्ना आ गईं. ट्विंकल और अक्षय ने कॉफी विद करण शो में अपने रिश्ते के बारे में बताया था.

ट्विंकल खन्ना ने बताया था, ”हम कहीं बाहर थे. वहां न टीवी था न किताबें. मैं एक रिश्ते से निकली ही थी. मैंने 15 दिन के लिए अक्षय को बॉयफ्रेंड बना लिया लेकिन ये 15 दिन ख़त्म ही नहीं हुए. इंडिया लौटे तो सामना मां (डिंपल कपाड़िया) से हुआ. मां को लगता था कि अक्षय गे हैं. अक्षय से मैंने कहा था कि अगर ‘मेला’ फ़िल्म हिट रही तो तुमसे शादी नहीं करूंगी. मेला फ्लॉप हो गई और मेरी शादी अक्षय के साथ हो गई.”

अक्षय कुमार वैवाहिक जीवन में आगे बढ़े तो परिवार भी बढ़ा. बेटा आरव और बिटिया नितारा.अक्षय ने अपनी पीठ पर बेटे आरव का नाम गुदवा रखा है. फ़िटनेस के अलावा अक्षय को कारों का भी शौक है. रोल्स रॉयस से लेकर बेंटले तक, अक्षय की पार्किंग में कई कारें हैं.

फ़ोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, अक्षय कुमार की कुल संपत्ति क़रीब 300 करोड़ रुपये की है.अक्षय कई बार बता चुके हैं कि वो सुबह चार-पांच बजे उठते हैं और हमेशा टाइम से शूटिंग पर पहुंचते हैं. स्मोकिंग से दूर रहने वाले अक्षय कुमार को मिठाइयां पसंद हैं लेकिन वो सात बजे के बाद कुछ नहीं खाते हैं.

इस फ़िटनेस और फ़िल्मों का डेढ़ शतक बना चुके अक्षय कुमार को कम ही अवॉर्ड्स मिले हैं.

जनवरी 2017 को दिए एक इंटरव्यू में अक्षय कुमार कहते हैं, ”मेरी पत्नी बोलती हैं कि देखो मेरे मां-पिता को नेशनल अवॉर्ड मिला है. तुम्हें नहीं मिला. ये बात थोड़ी चुभती है.”

इस बात को कहे अभी कुछ ही महीने बीते थे कि अप्रैल 2017 में अक्षय कुमार को ‘रुस्तम’ और ‘एयरलिफ्ट’ फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाता है.

इस साल नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड में फीचर फ़िल्म सेक्शन के अध्यक्ष फ़िल्मकार प्रियदर्शन थे. इन्हीं प्रियदर्शन के साथ अक्षय कुमार ने हेरा फेरी, गरम मसाला, भागम भाग, भूलभुलैया, दे दना दन और खट्टा मीठा जैसी कई फ़िल्में की थीं.अक्षय कुमार को पद्मश्री भी मिल चुका है.

अपने प्रेम संबंधों और कथित बेवफ़ाइयों के अलावा अक्षय कुमार दूसरी वजहों से विवादों में भी रहे हैं.एक फ़ैशन शो के दौरान जींस का बटन पत्नी ट्विंकल से खुलवाने पर अक्षय की काफी आलोचना हुई थी. ये साल 2009 की बात थी.

फ़ैशन शो के रैंप पर ट्विंकल आगे की ओर बैठी हुई थीं. रैंप पर वॉक करते हुए अक्षय आते हैं और ट्विंकल का हाथ पकड़कर जींस का बटन खुलवाते हैं.ये वही अक्षय कुमार हैं, जिन्होंने बाद के सालों में बनियान का ऐड किया था जिसकी पंचलाइन थी- बटन खुला है आपका.

2017 में अक्षय कुमार और कॉमेडियन मल्लिका दुआ के बीच भी विवाद हुआ था.

‘द ग्रेट इंडियन लाफ़्टर चैलेंज’ शो में एक नियम था, जिसमें किसी कंटेस्टेंट का प्रदर्शन बहुत अच्छा होने पर जज अपनी कुर्सी से उठकर एक अलग स्टेज पर लगी घंटी बजाते थे.

ऐसा करते हुए अक्षय कुमार ने मल्लिका दुआ से कहा था, ”मल्ल्किा जी आप घंटी बजाओ, मैं आपको बजाता हूं.”

आपत्तियां और विवाद होने पर ट्विंकल खन्ना ने अक्षय कुमार का बचाव किया था. हालांकि ‘मिसेज़ फ़नी बोन्स’ किताब लिखने वाली ट्विंकल को ये बचाव आलोचनाओं के केंद्र में ले आया था.

यूं तो अक्षय कुमार बचपन से सेना में जाना चाहते थे. अक्षय के मुताबिक़, मर्चेंट नेवी की ड्रेस भी उन्हें ख़ूब भाती थी.

लेकिन असल ज़िंदगी में देशभक्ति दिखाने की कमी पर्दे पर और बाहर अक्षय ने पूरी कर दी. ‘भारत माता की जय’ और देश प्रेम मार्का कई फ़िल्में और बयान अक्षय के नाम के साथ जुड़े हैं.

इनमें एयरलिफ्ट, स्पेशल 26, गोल्ड, बेबी, टॉयलेट एक प्रेम कथा जैसी फ़िल्में प्रमुख हैं. पीएम मोदी के प्रति अक्षय का प्रेम भी फ़िल्म की स्क्रिप्ट के भीतर खाई देता रहा है.

‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’ फ़िल्म में अक्षय मोदी सरकार की योजनाओं की तारीफ़ करते दिखे थे. जवाब में पीएम मोदी ने भी अक्षय की एक्टिंग के हवाले से पीठ थपथपाने में देर नहीं की थी.

‘पैडमैन’ जैसी फ़िल्मों से अक्षय ने महिलाओं के एक ज़रूरी मुद्दे पर जागरुकता भी फैलाई. अक्षय ने कहा था, ”रक्षा बजट का दो फ़ीसदी सैनिटरी पैड पर लगाया जाए.”

बेंगलुरु में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ मामले में भी अक्षय कुमार ने कहा था, ”हम मानव से जानवर नहीं, जंगली बन रहे हैं. जानवर भी हमसे बेहतर हैं.”

देशभक्ति के मोर्चे पर एक्टिव नज़र आने वाले अक्षय कुमार की देशभक्ति भी सवालों से परे नहीं रही है. 2017 में लॉर्ड्स के मैदान पर अक्षय कुमार की देशभक्ति पर भी सवाल उठाए गए थे. दरअसल अक्षय ने तिरंगा उल्टा पकड़ा हुआ था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर आपत्ति दर्ज की. नतीजा-अक्षय को माफ़ी मांगनी पड़ी.

इसी साल पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक पर जब सबूत मांगे जा रहे थे, तब अक्षय ने कहा था- भारत की आर्मी पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए.

आर्मी पर लोग भले ही सवाल न उठाएं लेकिन अक्षय कुमार की भारतीय नागरिकता पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. हालांकि कनाडा की नागरिकता अक्षय को सम्मान में दी गई थी.

लेकिन एक तबका इस बात को लेकर अक्षय पर निशाना साधता रहा है. इसकी वजह वो वीडियो भी है जिसमें अक्षय कहते नज़र आते हैं- टोरंटो मेरा घर है, जब मैं बॉलीवुड से रिटायर होऊंगा तब मैं कनाडा आकर बसूंगा.

कुछ दिन पहले जब अक्षय ने ‘कुछ नया’ करने की बात ट्विटर पर लिखी थी तो लोगों को लगा था कि वो राजनीति में उतरेंगे.

लेकिन अब जब एक एक्टर से ‘पत्रकार’ बने अक्षय कुमार के साथ पीएम मोदी का इंटरव्यू देखा जा चुका है, तब मेरे जैसे पत्रकारिता के छात्र मन में एक सवाल रह जाता है.

ये सवाल बराक ओबामा, अक्षय कुमार और कुछ पत्रकारों ने भी भाव-विभोर होकर पीएम नरेंद्र मोदी से पूछा था, ”मोदी जी ये सब कैसे कर लेते हो?”

बीबीसी से साभार

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