विनोद दुआ: आने वाली नस्लें याद रखेंगी, एक ऐंकर ऐसा भी था

डॉ मुकेश कुमार जाने-माने टीवी ऐंकर विनोद दुआ का जाना टीवी पत्रकारिता के एक युग का अंत है. यहाँ ‘एक युग का अंत’ घिसा-पिटा मुहावरा या अतिश्योक्ति नहीं है, वह सच्चाई है. ख़ास तौर पर हिंदी टीवी पत्रकारिता के लिए. उन्हीं की वज़ह से टीवी पर हिंदी पत्रकारिता पहली बार जगमगाई थी. उस समय जब टीवी की दुनिया दूरदर्शन तक सिमटी थी और टीवी पत्रकारिता नाम के लिए भी नहीं थी, विनोद दुआ धूमकेतु की तरह उभरे थे. इसके बाद वे लगभग साढ़े तीन दशकों तक किसी लाइट टॉवर की…

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टीवी पत्रकारिता का एक शानदार पन्ना आज अलग हो गया…

रवीश कुमार भारत की टेलिविज़न पत्रकारिता में सवाल पूछने की यात्रा की पहचान विनोद दुआ से बनती है. पूछने की पहचान के साथ उनकी पत्रकारिता जीवन भर जुड़ी रही. आज हमें बताते हुए अच्छा नहीं लग रहा कि हमने भारतीय टेलिविज़न की एक शानदार हस्ती को खो दिया. यह साल उनके लिए बहुत भारी रहा. कोरोना के कारण उन्होंने अपनी जीवनसाथी पदमावती चिन्ना दुआ को खो दिया, उस समय विनोद अस्पताल में ही भर्ती थे. उसके बाद भी उनकी सेहत पटरी पर नहीं लौट सकी और आज दिल्ली में उनका…

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