*सूचना का अधिकार गरीब वंचितों का हथियार!*

मधुपुर बावनबीघा संवाद परिसर में ग्राम सभा के पारंपरिक नेतृत्वकर्ता और ग्रामीण कार्यकर्ताओं के साथ दो दिवसीय सूचना अधिकार कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में झारखंड के 15 जिले से 60 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। संदर्भ व्यक्ति वरिष्ठ समाजसेवी घनश्याम, सूचना अधिकार के वरिष्ठ कार्यकर्ता बलराम, जेम्स हेरेंज ने सूचना अधिकार 2005 के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए कहा कि सूचना अधिकारी ऐसा कानून है जो हर नागरिकों को अधिकार दिलाता है। साथ ही लंबित अधिकार को दिलाने का काम करता है। गरीब वंचितों के लिए यह हथियार है। लंबे संघर्ष के बाद गत 12 अक्टूबर 2005 को सूचना अधिकार कानून लागू किया गया। सूचना अधिकार के लिए स्पष्ट नाम, पता, मोबाइल नंबर के साथ जन सूचना पदाधिकारी के पते पर आवेदन करना है। रजिस्टर्ड डाक या मेल से आवेदन किया जा सकता है। वेबसाइट के माध्यम से भी सूचना मिलती है। हर कार्यकर्ताओं को सूचना अधिकार 2005 के संबंध में विस्तार पूर्वक पढ़ना और समझना होगा और इसे जनहित में प्रयोग में लाना होगा। सूचना के तथ्यों की सत्यता की पहचान कर लोकहित में सूचनाओं को फैला देना है। सूचना के रूप में दस्तावेज, ज्ञापन, ईमेल, आदेश, परिपत्र, लॉगबुक, संविदा, मॉडल, आंकड़े, इलेक्ट्रॉनिक रूप से कोई सामग्री सहित किसी निजी निकाय संबंधी सूचना हर नागरिक मांग सकता है। प्रथम आवेदन के लिए दस रुपया का पोस्टल आर्डर या नगद आवेदन के साथ जमा करना है। बीपीएल, एससी,एसटी को निशुल्क सूचना उपलब्ध कराना है। प्रथम और द्वितीय अपील में सूचना के लिए शुल्क नहीं लगता है। जन सूचना अधिकार के संबंध में समूह चर्चा, फिल्म, प्रश्नोत्तरी आदि माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया। सूचना अधिकार कानून का उपयोग हर कार्यकर्ताओं को जनहित में करने और ग्रामीणों से कराने पर जोर दिया गया। गांव की विकास योजना, पेंशन, खाद्य आपूर्ति सुरक्षा कार्यक्रम, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास सहित कई जानकारियां वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। वेबसाइट के माध्यम से ग्रामीण जागरूक हो सकते हैं!

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