बालाकोट में हमले की जगह पहुंचने की कोशिश कर रहे विदेशी मीडिया के पत्रकारों को पाकिस्तान के अधिकारियों ने तीसरी बार लौटा दिया है. अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के पत्रकार पिछले 9 दिनों में तीसरी बार जाबा टॉप पर पहुंचने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन तीनों ही बार पाकिस्तानी अधिकारियों ने रॉयटर्स के पत्रकारों का रास्ता रोक दिया. पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा बालाकोट में स्थित जाबा टॉप पर चढ़ने की कोशिश कर रहे रॉयटर्स की टीम को सुरक्षा कारणों का हवाला देकर वहां जाने से मना कर दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 9 दिन में तीसरी बार रॉयटर्स की टीम इलाके में पहुंची है. 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. 26 फरवरी की देर रात को भारत ने इसका बदला लिया. भारतीय वायुसेना के विमान मिराज ने रात लगभग 3.30 बजे बालाकोट के जाबा पर बम बरसाए. भारतीय खुफिया एजेंसियों को सूचना मिली थी कि इस जगह पर जैश के ट्रेनर, कमांडर और जिहादी बड़ी संख्या में मौजूद थे.
भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने 27 फरवरी को कहा कि इस ट्रेनिंग कैंप में छिपे जैश के आतंकियों को भारत ने मार गिराया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनकी संख्या 300 से ज्यादा थी. भारत के हमले के बाद पाकिस्तान ने इस इलाके के आसपास कड़ा पहरा लगा दिया है और किसी को भी ऊपर जाने की इजाजत नहीं है.
जाबा टॉप जाने वाले रास्ते पर खड़े पाकिस्तान के अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों ने रॉयटर्स को कहा कि सुरक्षा कारणों की वजह से किसी को भी वहां जाने नहीं दिया जा रहा है. हालांकि पाकिस्तान की ये सुरक्षा चिंताएं क्या हैं इसकी जानकारी उन्होंने नहीं दी. इन अधिकारियों ने दावा किया कि भारत की बमबारी में किसी भी बिल्डिंग को नुकसान नहीं पहुंचा है और ना ही इस हमले में किसी की जान गई है. यहां इस बात की चर्चा दिलचस्प है कि अगर पाकिस्तान दावा करता है कि भारत के हमले में किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है तो फिर अतंरराष्ट्रीय मीडिया को वहां जाने की मनाही क्यों है?
इस्लामाबाद में सेना के प्रवक्ता ने विदेशी मीडिया को इस जगह पर दो बार ले जाने का वादा किया था, लेकिन दोनों ही बार खराब मौसम और दूसरी दिक्कतों का हवाला देकर इस दौरे को टाल दिया गया. सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि सुरक्षा कारणों की वजह से कुछ दिन और तक यहां का दौरा संभव नहीं हो पाएगा.
रॉयटर्स टीम ने कहा कि उन्होंने लगभग 100 मीटर दूर से पहाड़ी की तलहटी से उस मदरसे को देखने की कोशिश की. यहां से देवदार के पेड़ों के बीच घिरे उस मदरसे की धुंधली तस्वीर ही उन्हें दिखी. रॉयटर्स ने कहा कि उन्हें नीचे से मदरसे को हुए नुकसान का कोई अंदाजा नहीं हो पाया. हालांकि उन्होंने कहा कि अब उस मदरसे के पास कोई गतिविधि नहीं हो रही है.
आस-पास मौजूद लोगों ने बताया कि यहां पर एक स्कूल था लेकिन उसे पिछले साल जून में भी बंद कर दिया गया था. हालांकि रॉयटर्स ने बताया कि पूर्व में जब उनकी टीम यहां आई थी तो उन्हें स्थानीय लोगों ने बताया था कि इस मदरसे को जैश-ए-मोहम्मद द्वारा ही चलाया जाता था.