कैसे तैयार होते हैं एग्जिट पोल?

How are the exit polls ready?

News Agency : लोकसभा चुनाव 2019 अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है। nineteen मई को आखिरी चरण का मतदान होगा। अंतिम चरण का मतदान खत्म होने के साथ ही एग्जिट पोल आने शुरु हो जाएंगे। चुनाव के नतीजों से पहले आने वाले एग्जिट पोल पर देश की नजरें जमी रहती हैं। माना जाता है कि ये पोल सीटों का पलड़ा किस ओर झुक रहा है, इसे बताने में कुछ हद तक कामयाब रहते हैं।

एग्जिट पोल हमेशा मतदान वाले दिन ही होता है। बूथ पर वोट डालने के बाद मतदाता जब बाहर निकलता है, तो उससे कुछ सवाल पूछे जाते हैं और मतदाता के मिजाज को टटोलने की कोशिश की जाती है। जिससे ये पता लग सके कि वोटर किस दल को या किस प्रत्याशी को अपना कीमती वोट देकर आ रहा है। वोटिंग के दिन जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण कर चुनाव के आखिरी दिन शाम को एग्जिट पोल दिखाया जाता है।

लेकिन जब मतदान कई चरणों में हो, जैसा कि लोकसभा चुनाव में होता है, तो आखिरी दौर के बाद ही एग्जिट पोल दिखाए जा सकते हैं। चुनाव समाप्त होने के बाद एग्जिट पोल इसलिए दिखाए जाते हैं, ताकि मतदाताओं के उपर किसी भी तरह का मनसिक दबाव नहीं बन पाए।

जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 ए के मुताबिक मतदान के दौरान ऐसी कोई भी चीज नहीं होनी चाहिए जो वोटरों पर मनोविज्ञानिक असर डाले या उनके वोट देने कि फैसले को प्रभावित करे। ये तभी प्रसारित होता है जब सभी दौर का मतदान संपन्न हो चुका होता है।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि एग्जिट पोल हमेशा सही साबित होते हैं। कई बार ये गलत भी हुए हैं। जिसकी एक मुख्य वजह है, वोटिंग के दिन इकट्ठा किया जाने वाला डाटा। मतदान के दिन जब कोई एक वोटर से बात कर रहा होता है, उस बीच कई वोटरों की राय शामिल नहीं हो पाती है। जिसकी वजह से कई बार एग्जिट पोल गलत साबित भी होते हैं।

माना जाता है कि एग्जिट पोल की शुरुआत साल 1967 में हुई थी। नीदरलैंड के एक समाजशास्त्री और पूर्व राजनीतिज्ञ मार्सेल वान डेन अपने देश के चुनाव के दौरान एग्जिट पोल किया था। हालांकि ये भी कहा जाता है इसी साल अमेरिका में एक राज्य के चुनाव के दौरान पहली बार एग्जिट पोल किया गया था।

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