शादी-करियर का झांसा देकर बेची जा रहीं झारखंड की लड़कियां

शादी-करियर का झांसा देकर बेची जा रहीं झारखंड की लड़कियां

News Agency : झारखंड में मानव तस्करी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर वर्ष हजारों की तादाद में लड़कियों को यहां से ले जाकर महानगरों में प्लेसमेंट एजेंसियों के हवाले करने की बात की कई स्तरों पर पुष्ट हो चुकी है। इस धंधे में लिप्त कई दलाल भी दबोचे जा चुके हैं। इतना कुछ होने के बावजूद दलालों का नेटवर्क सक्रिय है। गरीबी का दंश झेल रही सुदूर क्षेत्रों की लड़कियां इनका सर्वाधिक निशाना बन रही हैं।सिर्फ रांची के नामकुम और खूंटी के कर्रा प्रखंड की बात करें तो पिछले तीन-चार वर्षों से 100 से अधिक लड़कियों का कुछ अता-पता नहीं है। मानव तस्करी के विरुद्ध लोगों को जागरूक करने में जुटी संस्था आशा के पास लड़कियों के लापता होने के 60 मामले रजिस्टर्ड हैं। इनमें से twenty two लड़कियों को अब तक मुक्त कराया गया है। लड़कियों के लापता होने से संबंधित आठ प्राथमिकियां संबंधित थानों में हाल ही में दर्ज कराई गई हैं।मानव तस्करी को लेकर भारत के अलावा नेपाल, बांग्ला देश, श्रीलंका तथा पाकिस्तान स्थित अपने कार्यालयों से 47 सहयोगी संस्थाओं के माध्यम कार्यरत गैर सरकारी संगठन एक्शन अगेंस्ट ट्रैफिकिंग एंड सेक्सुअल एक्सप्लायटेशन (एटसेक) की झारखंड से संबंधित रिपोर्ट चौंकाने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक नौ फीसद लड़कियां बिचौलिये, तीन फीसद पारिवारिक दवाब में, 37 फीसद सहेलियों तथा 51 फीसद परिवार के अन्य सदस्यों के बहकावे में आकर महानगरों के लिए पलायन करती हैं। इनमें 67 फीसद 20 वर्ष से कम आयु की होती हैं। इनमें ten फीसद लौट कर नहीं आतीं।दिल्ली इन लड़कियों के खरीदार की सबसे बड़ी मंडी है। इसके अलावा मुंबई, यूपी, कोलकाता, उड़ीसा आदि राज्यों में संचालित प्लेसमेंट एजेंसियां भी इसकी बड़ी खरीदार है। सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, रांची, पाकुड़, साहेबगंज, दुमका, गोड्डा तथा गिरिडीह जैसे आदिवासी बहुल इलाकों से लड़कियों का सर्वाधिक पलायन होता है।

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