शहीद कमांडेंट प्रमोद की याद में परिवार ने मनाया शहादत दिवस

शिक्षा प्रतिनिधि द्वारा
रांची.: एक तरफ जहां पूरा देश 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) मना रहा है. वहीं, रांची (Ranchi) में एक शहीद का परिवार इस दिन को गर्व के साथ शौर्य और शहादत दोनों रूप में मना रहा है. परिवार ने बताया कि 15 अगस्त, 2016 के दिन जम्मू-कश्मीर के नौहट्टा में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों के एक घर में छिपने की जानकारी सीआरपीएफ के 49वें बटालियन को मिली थी. मौके पर वहां दूसरा बटालियन तैनात था, लेकिन कमांडेंट प्रमोद कुमार के नेतृत्व में क्विक रिस्पॉन्स टीम को आतंकियों से निपटने की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद निडर, बेखौफ और एसपीजी की ट्रेनिंग लेने वाले कमांडेंट प्रमोद कुमार वहां पहुंचे. उन्होंने बहुत ही बुद्धिमानी और दिलेरी दिखाते हुए दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया. लेकिन, इस बीच वहां छिपा तीसरा आतंकी, जो घात लगाए बैठा था, उसकी गोली सीधे कमांडेंट प्रमोद कुमार के सिर में जा लगी, और वो मौके पर ही शहीद हो गए.
आंखों में आंसू लिए बड़े ही गर्व के साथ शहीद की पत्नी नेहा त्रिपाठी बताती हैं कि जिस समय कमांडेंट शहीद हुए उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से पाकिस्तान के बलूचिस्तान मुद्दे पर बोल रहे थे. उन्होंने बताया कि उनके पति बड़े ही बहादुर, निडर और किसी भी ऑपरेशन के लिए हमेशा तैयार रहने वाले जांबाज राष्ट्रभक्त थे.
अदम्य साहस और वीरता से लड़ने वाले कमांडेंट प्रमोद कुमार को मरणोपरांत राष्ट्रपति के द्वारा कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. शहीद की पत्नी और बेटी ने इस 15 अगस्त यानी आजादी के अमृत महोत्सव को शौर्य के रूप में मनाया. उन्होंने दुनिया को कमांडेंट प्रमोद कुमार की वीरता की कहानियां सुनाईं. हालांकि, घर का एक कोना ऐसा भी है जहां बेटी आरना अपने पापा को याद करते हुए उनसे अपने दिल की हर बात शेयर करती है.
छठी कक्षा की छात्रा आरना ने बताया कि जब पापा की शहादत की सूचना मिली थी तब वो बहुत छोटी थी. उसने बताया कि मम्मी रो रही थीं, और सभी लोग पापा के नाम के नारे लगा रहे थे. तब उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. उसने बताया कि पापा उसे बेहद प्यार करते थे, और जब भी घर लौटते थे उसके साथ काफी समय तक खेलते थे.

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