ओमिक्राॅन सतर्कता के साथ सावधानी

क्रांति कुमार पाठक
यह वाकई राहत की बात है कि कोविड-19 के संक्रमण के न‌ए मामले 15 महीने के न्यूनतम स्तर पर है। लेकिन, कोरोनावायरस के न‌ए वैरिएंट ओमिक्राॅन के मामले विश्व के विभिन्न देशों में जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे साफ है कि महामारी से अब भी बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। यही वजह है कि कोरोना के न‌ए वैरिएंट ओमिक्राॅन की बढ़ती रफ्तार को थामने के लिए आज विश्व में जहां नाना तरह के उपाय खोजे जा रहे हैं, वहीं कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका असर बहुत ही कम होगा। आई.आइ. टी.क. कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक व शोधकर्ता पद्मश्री प्रो. मानिद्र अग्रवाल का कहना है कि देश में तीसरी लहर का आना तय है। इसका प्रभाव जनवरी के शुरुआती दिनों में ही दिखने लगेगा और जनवरी के अंतिम व फरवरी के पहले सप्ताह की शुरुआत में ओमिक्राॅन चरम पर होगा। कैंसर होना भी अपने आप में एक तरह का म्यूटेशन है।
फर्क सिर्फ इतना है कि कैंसर की वजह से हम बीमार पड़ते हैं और वायरस म्यूटेशन अपने बचाव के लिए करता है। कोरोना वायरस में भी यही हुआ है। इंसान के शरीर में जब इम्यूनिटी विकसित होने लगती है, चाहे वह प्राकृतिक हो या वैक्सीन से बनने वाली, इससे पार पाना वायरस के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में खुद को बचाए रखने के लिए कोरोनावायरस अपना रंग-रूप बदलने लगता है। अब तक कोरोनावायरस में क‌ई हजार म्यूटेशन हो चुके हैं, लेकिन ज्यादातर ऐसे म्यूटेशन थे जो जल्द ही स्वत: खत्म हो ग‌ए। हां डेल्टा प्लस और ओमिक्राॅन जैसे कुछ मजबूत वैरिएंट लंबे समय के लिए रह जाते हैं और हमारे लिए समस्या पैदा करते हैं।
अब तक कोरोनावायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट में सबसे ज्यादा 25 म्यूटेशन हुए थे, लेकिन ओमिक्राॅन में 50 से भी ज्यादा म्यूटेशन हो चुके हैं। इनमें से 30 से ज्यादा म्यूटेशन तो सिर्फ इसके स्पाइक प्रोटीन के स्ट्रक्चर में ही हुए हैं। कहा जा रहा है कि इसी वजह से वह जल्दी इंफेक्शन फैलाता है। कोरोना के न‌ए वैरिएंट ओमिक्राॅन को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही है। ओमिक्राॅन  को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच यह जानना भी जरूरी है कि इस वैरिएंट के संक्रमितों में कैसे लक्षण दिखाई देते हैं। नयी दिल्ली के एल.एन.जे.पी. के चिकित्सा निदेशक डॉ सुरेश कुमार का कहना है कि दिल्ली में जिस शख्स में इसकी पुष्टि हुई है, उसके गले में सूजन, बुखार, शरीर में दर्द, जुकाम जैसे मामूली लक्षण दिख रहे हैं और हालत कोई गंभीर नहीं है।
वहीं बेगूसराय के एक निजी अस्पताल में कार्यरत प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ मृत्युंजय कुमार के मुताबिक चूंकि उनके पास इसके मरीज अभी नहीं आए हैं, लेकिन इसकी संक्रामकता अधिक ही है। इसीलिए वह तेजी से फैल रहा है। लेकिन, इसकी मारक क्षमता कितनी है और इस पर हमारे वैक्सीन के दोनों डोज का कितना असर होगा, इसकी अभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। फिलहाल जो जानकारी है, उसके अनुसार सरकार इसके रोकथाम के लिए पूरी तरह से सक्षम है। सरकार के निर्देश भी अस्पतालों में आ चुके हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बचाव का सबसे सुरक्षित उपाय यही है कि आप मास्क पहनें और शारीरिक दूरी का पालन करें।
कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्राॅन धीरे धीरे अपने पैर पसारने शुरू कर दिया है। दुनिया के क‌ई देशों में इसके मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। भारत में भी इसके लगभग 33 से अधिक मामले सामने आने के साथ ही हड़कंप मच गया है। कोरोना की पिछली लहर में डेल्टा वैरिएंट ने यहां भारी तबाही मचाई थी। डेल्टा से संक्रमित होने के बाद सांस लेने में दिक्कत, तेज बुखार, कमजोरी, खाने का स्वाद और सुगंध का पता नहीं चलने जैसे कुछ लक्षण दिखाई दें रहे थे। हालांकि,ओमिक्राॅन के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है। ओमिक्राॅन वैरिएंट के लक्षण काफी अलग है। इसके लक्षण के बारे में कहा जा रहा है कि वह अब तक के सभी वैरिएंट में सबसे ज्यादा संक्रामक है। इसके अब तक जितने भी मरीज मिले हैं, उनमें कोविड-19 के आम लक्षण नहीं पाए गए हैं। किसी में भी फ्लू जैसी समस्या नहीं देखी गई है, जबकि डेल्टा में सबसे प्रमुख लक्षण यही था। जिस चिकित्सक ने पहली बार ओमिक्राॅन के बारे में पूरी दुनिया को बताया था, उनके मुताबिक इस वैरिएंट के मरीजों में कोविड के सामान्य लक्षण नहीं थे। ओमिक्राॅन के संदर्भ में दक्षिण अफ्रीका स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस महामारी से संक्रमित क‌ई मरीजों में हल्के लक्षण दिख रहे हैं या नहीं दिख रहे हैं। भारत सरकार के अनुसार जिन देशों को खतरे वाले देशों की सूची में डाला गया है उनमें दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन सहित यूरोपीय देश, ब्राजील, चीन, बोत्सवाना, माॅरिशस, न्यूजीलैंड जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हांगकांग, इजरायल शामिल है। यदि हमारा देश खतरे वाले देशों की सूची से बाहर है तो निश्चित रूप से यह हमारी सजगता और सरकार की दूरदर्शिता है। अच्छी बात यह बताई जा रही है कि भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में सरकार ने पिछले दिनों हुए महामारी को देखते हुए देश की आधी आबादी को वैक्सीन का दोनों डोज लगा दी गई है। मगर ध्यान रखना होगा कि कोरोना वायरस हमारे बीच से गया नहीं है, और बार-बार रूप बदल रहा है। ऐसे में जरूरी है कि सरकार 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण पर जल्द फैसला करे। फिर, महामारी तो विकट परिस्थितियों वाली होती ही है जिसे दुनिया ने पिछले दिनों देखा है। इसलिए इस बार वैज्ञानिकों की शोध के बाद इस बात को बहुत ही गंभीरता से लिया है कि यदि हम स्वयं अपना बचाव करते रहेंगे तो संभव है कि ओमिक्राॅन नामक इस महामारी से अपने जीवन की रक्षा हम कर सकेंगे।

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