एग्ज़िट पोल में एनडीए की जीत के तमाम दावों के बीच विपक्ष अब भी सरकार बनाने की कोशिशों में जुटा है. एक ओर जहां एग्ज़िट पोल्स में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलने की बात कही जा रही है, वहीं विपक्ष योजना बना रहा है कि अगर खंडित जनादेश यानी किसी को बहुमत ना मिलने की स्थिति बनती है तो वो कैसे अपनी सरकार बना सकता है.हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक़ विपक्ष का एक धड़ा ग़ैर-एनडीए दलों की एक लिस्ट तैयार कर रहा है, जिसे 23 मई के नतीजे आने के बाद वो राष्ट्रपति के सामने वैकल्पिक सरकार बनाने के दावे के तौर पर पेश करेगा.
विपक्ष के नेताओं का कहना है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस लिस्ट को राष्ट्रपति को सौंपने का बीड़ा उठाया है.इस बीच चंद्रबाबू नायडू रविवार को एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और एनसीपी नेता शरद पवार से मिलने पहुंचे. रविवार शाम को उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से भी मुलाक़ात की.ख़बरों के मुताबिक़ उन्होंने माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से भी मिलकर तीसरे मोर्चे की सरकार बनाने की रणनीति पर चर्चा की.
शनिवार को नायडू के साथ बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ सोनिया गांधी से मिलकर पार्टी की स्थिति पर आंतरिक बैठक की.लोक सभा के अंतिम चरण के चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा पर काफ़ी विवाद हुआ.रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने दो दिन की इस यात्रा की अनुमति देने के लिए चुनाव आयोग का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जाकर प्राचीन तीर्थस्थल के नज़दीक गुफ़ा में ध्यान लगाने की अनुमति देने के लिए शुक्रिया.ये ख़बर टाइम्स ऑफ इंडिया में है.
केदारनाथ मंदिर में प्राथना करने के बाद मोदी ने तीर्थस्थल के नज़दीक एक गुफ़ा में 17 घंटे बिताए.उन्होंने कहा, “मैंने कुछ नहीं मांगा. मैं कुछ मांगने में विश्वास नहीं करता. मैं सिर्फ़ चाहता हूं कि बाबा केदारनाथ ना सिर्फ़ भारत बल्कि पूरी मानवता को अपना आशिर्वाद दे.”नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो पूरी दुनिया से कट गए थे, क्योंकि जिस गुफ़ा में वो रुके थे वहां संचार का कोई साधन नहीं था. और वो एक छोटी खिड़की से लगातार केदारनाथ मंदिर को देख रहे थे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर बवाल थमा नहीं है कि अब इस मामले में बीजेपी ने पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा है.जनसत्ता अख़बार के मुताबिक़ इस पत्र में बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल के सुरक्षा घेरे की समीक्षा करने की मांग की है.हाल में अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि उनके सुरक्षा घेरे में शामिल सुरक्षाकर्मी ही उनकी हत्या कर सकते हैं.दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने पत्र लिखा है.उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल का बयान उनके सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी के समूचे पुलिस बल के मनोबल को नुक़सान पहुंचाने वाला है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी ने रविवार को बताया कि उनकी सरकार एक नया क़ानून लाने पर विचार कर रही है, जिसके तहत ‘मीडिया’, ख़ासकर ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया’ पर नियंत्रण किया जा सके और ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रिपोर्टिंग को रोका जा सके.टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के मुताबिक़ एक बुक लॉन्च के अवसर पर उन्होंने कहा, ‘ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रिपोर्टिंग’ के कारण उन्होंने पिछले एक महीने से मीडिया से बात करना बंद कर दिया है.
कुमारास्वामी ने कहा, “पूर्व मंत्री और जेडी(एस) नेता एएच विश्वनाथ ने अपने भाषण में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मीडिया से बात करने में डरते हैं, हालांकि मेरे साथ ऐसा नहीं है.”उन्होंने कहा, “मीडिया से हमेशा मेरे अच्छे रिश्ते रहे हैं. लेकिन ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रिपोर्टिंग की वजह से, ख़ासकर नेताओं के बारे में, जिन्हें वो जोकर समझते हैं, मैंने अब मीडिया से बात करना बंद कर दिया है.
दूसरी ओर, विशेषज्ञों का कहना है कि क्या Exit poll के रूझानों से भाजपा का दावे पूरे होगें। इसी क्रम में “लोकसभा चुनाव में आखिरी चरण का मतदान ख़त्म होते ही भारतीय न्यूज़ चैनलों ने एग्ज़िट पोल जारी कर दिए हैं.अगर ये एक्ज़िट पोल नतीजों में बदला तो सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए यानी राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन फिर से सत्ता में वापसी कर सकती है.इन एक्ज़िट पोल के मुताबिक़ एनडीए 300 सीटों का आंकड़ा छू सकती है.
भारत में सरकार बनाने के लिए 273 सीटों का बहुमत हासिल करना अनिवार्य है.एग्ज़िट पोल के रूझानों को एक बार अलग करके पहले ये देखना होगा कि बीजेपी दावा क्या कर रही थी. भाजपा कह रही थी कि हमारी अकेले 300 से ज़्यादा सीटें आएंगी. यूपी में उसे 74 से ज़्यादा सीटें मिलेंगी, साल 2014 में यूपी में बीजेपी गठबंधन को 73 सीटें मिली थीं. मेरे हिसाब से अब तक ऐसा कोई एग्ज़िट पोल सामने नहीं आया है जो बीजेपी को यूपी में 74 सीटें दे रहा हो और केंद्र में 300 से ज़्यादा सीटें दे रहा हो.
एग्ज़िट पोल में बीजेपी को ज्यादा सीटें दी जा रही हैं, लेकिन देखना होगा कि इस बार अन्य की स्थिति काफ़ी मज़बूत है. इसकी बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि बीजेपी का साथ उसके कई साथियों ने छोड़ा है. अब एग्ज़िट पोल में एनडीए सरकार बनाती नज़र आ रही है, लेकिन अब बड़ी चुनौती ये होगी कि यूपीए पर क्षेत्रीय पार्टियां भारी ना पड़ जाएं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस जोड़ तोड़ में जुटेंगी कि कैसे इन गै़र एनडीए और गै़र यूपीए पार्टियों को खुद से जोड़ा जाए.
राहुल गांधी का ये दावा कि नरेंद्र मोदी सत्ता में वापस नहीं आएंगे मुझे लगता है गलत साबित होगा. अभी तक के एग्ज़िट पोल में बीजेपी मज़बूत लग रही है. हां कुछ एग्ज़िट पोल के आंकड़े लें तो ये संभव है कि कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियां नरेंद्र मोदी की राहें मुश्किल कर सकती है.अगर एनडीए को पूरी सीटें नहीं आती है तो टीआरएस और जगन मोहन रेड्डी की ओर हाथ बढ़ाएं कि आप हमारे साथ आइए, हम आपकी इज़्ज़त करते हैं.
आप देखेंगे कि चुनाव प्रचार के आखिरी दिन प्रधानमंत्री की मौजूदगी में जो प्रेस कॉन्फ़ेंस की गई थी उसमें अमित शाह ने कहा था कि हम उन पार्टियों का स्वागत करते हैं तो हमारे वैचारिक सोच को देखते हुए जो एनडीए का हिस्सा बनना चाहेंगी. अब लगता है बीजेपी सभी दरवाज़ें औऱ खिड़कियां खोलेगी.बीजेपी में पार्टियों के कैसे यूपीए से दूर करके एनडीए में शामिल करना है इसकी रणनीति शुरू हो गई होगी.कोई भी एग़्जिट पोल कांग्रेस को अपने दम पर 100 सीटों की जीत नहीं दिखा रहे हैं, हालांकि 2014 में 44 सीटों पर सिमट चुकी कांग्रेस अब उससे बेहतर हालात में तो हैं.
इन आंकड़ों को देखें तो ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस के किसी खेमे से ये आवाज़ आएगी की राहुल गांधी का नेतृत्व बुरा था. हां ये ज़रूर देखना होगा कि प्रियंका गांधी से जितनी उम्मीदें लोगों को थीं ऐसा लगता है कि वो मुखर हो कर सामने नहीं आ सकी और उम्मीद पूरी नहीं हो सकी.पूर्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी प्रियंका को दी गई थी लेकिन यहां कांग्रेस की स्थिति जस की तस एग्ज़िट पोल में नज़र आ रही है. इसके कई बड़े कारण हैं.
पहला ये कि कांग्रेस की न्याय योजना को लेकर ज़मीन पर लोग आश्वस्त नहीं थे और पूछ रहे थे कि क्या ऐसा होगा. दूसरा बड़ा कारण ये है कि कई जगहों पर कांग्रेस का संगठन एकमद खत्म सा हो चुका है.उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का अकेले लड़ना एक सही फ़ैसला था. अगर आप बार-बार सपा, बसपा के पिछलग्गू बने रहेंगे और उनके सामने हर बार झुकेंगे तो ये कांग्रेस के काडर के लिए अच्छा नहीं होता. एक और अहम बात की 44 से अगर कांग्रेस एग्ज़िट पोल में 80 तक पहुंची है तो ये उनके लिए अच्छी खबर है, लेकिन प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी ठोकने वाली कांग्रेस को अभी बहुत मेहनत करनी होगी.ये कहना कि कांग्रेस ने गठबंधन के लिए नरम रवैया नहीं अपना कर गलती की ये कांग्रेस के लिए जात्तीय है.
कांग्रेस एक सही मायने में नेशनल पार्टी है. उसे लोग कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जानते हैं और उसे हक है खुद को नेशनल पार्टी के तौर पर बर्ताव करने का.अब बात पश्चिम बंगाल की, एग्ज़िट पोल में बंगाल में बीजेपी दहाई अंको में सीटें हासिल करती नज़र आ रही है. बीजेपी बंगाल में जिस तरह अपनी मेहनत झोंक रही थी, से देखकर तृणमूल के कार्यकर्ता भी आशंकित थे. उन्हें लग रहा था ऐसा हो गया तो क्या होगा.बीजेपी ने कहा था कि 10 से 15 लोग बीजेपी के संपर्क में हैं अब देखना होगा कि अब कितने लोग किस पार्टी में जाएंगे. ये देखना होगा की बंगाल में विधानसभा चुनाव भी करीब हैं तो ऐसे में ऐसी गतिविधियां हो सकती हैं.
लेकिन टीएमसी भी चुप नहीं बैठेगी. आने वाले दिनों में बीजेपी और टीएमसी के बीच की खटास और भी गहराएगी.तीसरे मोर्चे का चेहरा कौन होगा ये नतीजों के बाद ही पता चलेगा. लेकिन अगर कांग्रेस के पास इतनी सीटें आई की वो इन पार्टियों के साथ मिलकर दावा कर सकती है तो दावा ज़रूर होगा. लेकिन ये भी संभव है कि अगर बीजेपी इन पार्टियों को पुचकार कर एनडीए में शामिल करे और भी कई तरह के वादे करे तो दल बीजेपी के साथ भी जा सकते हैं.ये समझना होगा कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना में की गई रैली में टीआरएस पर हमला नहीं बोला बल्कि वह कांग्रेस पर निशाना साधती रही. ऐसे ही आंध्र में टारगेट वाईएसआर को नहीं बल्कि टीडीपी को किया गया.केंपेन में ही साफ़ हो गया था कि वह किसका हाथ थामने को तैयार है.
वहीं ओडिशा में बीजेपी ने नवीन पटनायक पर खूब हमले किए और उन्हें भ्रष्ट बताया लेकिन हमने देखा कि जब फणी तूफ़ान आया और प्रधानमंत्री ओडिशा गए तो नवीन पटनायक की खूब तारीफ़े की. उनके हाथ-भाव भी ऐसे थे जो दर्शा रहे थे कि वो नवीन पटनायक को साथ लाने वाले हों. तमिलनाडु की बात करें तो वहां अगर 6 से 7 सीटें एनडीए को दिखाया जा रहा है तो वो एआईएडीएम के खाते की सीटें हैं. एआईएडीएमके के लिए ये प्रदर्शन करना बेहद ज़रूरी है. यहां यूपीए मज़बूत नज़र आ रहा है.
(बीबीसी से साभार)