झारखंड 1932 खतियान लागू होने को लेकर पाकुड़ के आदिवासी छात्रों ने निकाला विजय जुलूस 

झारखंड 1932 खतियान लागू होने को लेकर पाकुड़ के आदिवासी छात्रों ने निकाला विजय जुलूस

 

गणेश झा

पाकुड़:पाकुड़ के छात्रों ने विजय जुलूस में रविंद्र चौक से सिद्दू कान्हू पार्क तक पटाखे और अबीर गुलाल लगाकर खुशी का इजहार किया आदिवासी कल्याण बालक छात्रावास के छात्र नायक जूलियस हांसदा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि खतियान 1932 के बगैर आदिवासियों की पहचान अस्मिता, संस्कृति विलुप्त हो रही थी यहां की जल, जंगल, जमीन लूटा जा रहा था। खनिज पदार्थ ओने-पौने दाम में बाहरी लोगों द्वारा लूटा जा रहा था। यहां तक की नौकरी भी छीना जा रहा था। आदिवासियों के हक अधिकार छीना जा रहा था, आदिवासी गरीब होते जा रहे थे, और बाहरी लोग धन,बल के माध्यम से पैसे के बल पर धन्ना-सेठ होते जा रहे थे।आदिवासियों के इन सभी हक और अधिकार के लिए हमारे वीर शहीद बाबा तिलकामांझी, वीर शहीद सिद्धू कान्हू, बिरसा मुंडा के साथ कई महापुरुष ने अपनी जान की कुर्बानी दी पर उनके सपनों का भारत आजादी के 75 वर्ष बाद और झारखंड अलग होने के 22 वर्ष बाद साकार होते दिख रहा है।वरिष्ठ छात्र नेता कमल मुर्मू ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा की हमारे वीर सपूतों का सपनों को साकार करने में बोरियो विधायक लेबीन हेंब्रम का बहुत बड़ा योगदान रहा श्री मुर्मू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बधाई देते हुए कहा कि 14 सितंबर 22 बहुत ही यादगार दिन होगा क्योंकि खतियान 1932 लागू करने की मुहर कैबिनेट में लगा दी। उक्त कार्यक्रम में शिवलाल मरांडी, जीतनराम मुर्मू, कैलाश मरांडी, परवीन मरांडी, विनयलाल मरांडी सहित दर्जनों छात्र-छात्रा उपस्थित थे।

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