अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सामाजिक न्याय आयोग की पाकुड़ अध्यक्ष को मुंबई में मिला सम्मान

गणेश झा

पाकुड़:अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सामाजिक न्याय आयोग की पाकुड़ अध्यक्ष को मुंबई में मिला सम्मान, दिया अवार्ड, गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र पाकुड़ वासियों को मिला नया साल का तोफा अधिकारों से जागरूक कर समाज में रौशनी फैला रही प्रतिमा पांडेय सामाजिक कार्य के लिए जज्बा होनी चाहिए।पाकुड़- कुछ लोग अपनी संस्था और अपने को चर्चा में रहने के लिए अख़बार , सोशल मीडिया आदि के माध्यम से ऐसे प्रचार करते हैं की मानो जनहित में कार्य हो रहा जबकी धरातल में कुछ और देखने को मिलता है।में औरों के लिए जो रखते हैं प्यार का जज्बा, वो कभी टूट कर बिखरा नहीं करते। यह पंक्तियां उस महिला के लिए है, जिन्होंने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए लोगों को अधिकारों के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। शहर के छोटी राजबाड़ी की रहने वाली प्रतिमा पांडेय अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सामाजिक न्याय आयोग के जरिए दूसरों को अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही है। निस्वार्थ भाव से समाज को रौशन कर रही है। पिछले करीब एक साल से लोगों को अपने मानवीय अधिकारों के प्रति जागरूक करने में जुटी है। आयोग की पाकुड़ अध्यक्ष प्रतिमा में बदले में कुछ पाने की लालसा बिल्कुल भी नहीं है। आज भी निस्वार्थ भाव से समाज के लिए काम कर रही है। कहावत है सम्मान भी उसी को मिलता है, जो दूसरों का सम्मान करते है। उत्कृष्ट कार्यो के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर 10 दिसंबर को मुंबई में आयोजित एक समारोह में प्रतिमा पांडेय अवार्ड से सम्मानित हुई। आयोग ने प्रतिमा को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मान में अवार्ड, गोल्ड मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संतोष बजाज ने अपने हाथों से प्रतिमा को सम्मानित किया। यह पल प्रतिमा के लिए वाकई में भावुक कर देने वाला था। अपने आवास में एक भेंट के दौरान आयोग की पाकुड़ अध्यक्ष प्रतिमा पांडेय ने बताया कि अक्टूबर 2021 से आयोग से जुड़ी हूं। तब से निस्वार्थ और समर्पण भाव से समाज में जागरूकता लाने के लिए काम कर रही हूं। ताकि लोग अपने अधिकारों को जानें। अपने अधिकारों को हासिल कर सकें। प्रतिमा ने बताया कि बचपन से ही सामाजिक गतिविधियों से लगाव था। लोगों की सेवा और हक दिलाने की जज्बा थी। लोगों के बीच जाती हूं तो एक अजब सी खुशी महसूस होती है। मुझे उनसे प्यार और मान सम्मान भी मिलता है। उनके भोलेपन, मासूमियत मुझे खींचती है। आज भी लोग अपने अधिकारों से अनजान है। इस बात से मन दुखी भी होता है। उनके दुख दर्द को बांटने की कोशिश करती हूं। अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास करती हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि लोग जागरूक होंगे और एक दिन उन्हें उनका हक मिलकर रहेगा। आयोग ने मुझे सम्मान दिया, मैं इसके लिए आभारी हूं। यह निश्चित रूप से मेरे अंदर ऊर्जा का संचार करेगा। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मुझे लोगों से जुड़े रहने का अवसर मिलता रहे।जिदातो इंटर कॉलेज में लेक्चरर भी है प्रतिमा, अपनी सैलेरी दान कर देती है ।प्रतिमा पांडेय शहर के जिदातो इंटर कॉलेज में लेक्चरर भी हैं। साल 2017 में उन्होंने कॉलेज में योगदान दिया। प्रतिमा के मुताबिक कॉलेज से सैलरी के रूप में जो भी राशि मिलती है, वह उसे कॉलेज के विकास और बच्चों के लिए डोनेट कर देती है।पति पिनाकी पांडेय का मिला सहयोग भरपूर मिला ।आयोग की अध्यक्ष प्रतिमा पांडेय को अपने नेक काम में पति का भरपूर सहयोग मिला। प्रतिमा ने बताया कि आयोग से जुड़ने और समाज के लिए काम करने में पति पिनाकी पांडेय का हमेशा साथ मिला। मुझे हमेशा प्रेरित करते रहें। मैं जब कभी भी किसी बात से निराशा होती, मेरे पति मुझे निराशा से बाहर निकालते। कॉलेज में मिलने वाली सैलरी डोनेट में भी पति का प्रेरणा रहा है। अनाथ या असहाय बच्चों को मदद पहुंचाने में भी साथ रहते

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