जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में इस बार का चुनाव दिलचस्प होगा। इसकी वजह है कि भाजपा अपनी सीट बचाने के लिए कमर कसकर उतरी है, वहीं झामुमो अपनी खोई हुई सीट पाने के लिए बेताब दिख रही है। यह चुनाव इसलिए भी रोचक होगा, क्योंकि यह दो दलों और उम्मीदवारों से इतर चेले और गुरु के बीच की लड़ाई है।
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले विद्युत वरण महतो झामुमो में थे, उनका राजनीतिक करियर भी चंपई सोरेन के सान्निध्य में शुरू हुआ था। दोनों की जन्मभूमि व कार्यक्षेत्र भी एक ही था, जिसमें चंपई गुरु की भूमिका में थे। इस बाबत चंपई ने कहा भी कि क्लास के बाहर गुरु-शिष्य का संबंध नहीं रहता। चंपई के लिए इस बार जीतना चुनौती इसलिए होगी, क्योंकि पिछले चुनाव में झामुमो तीसरे नंबर पर था। विद्युत वरण महतो ने झाविमो के उम्मीदवार डा. अजय कुमार को हराया था, जबकि झामुमो से टाटा स्टील के पूर्व अधिकारी व पायलट निरूप महंती मैदान में थे।
इस बार न डा. अजय कुमार है, न निरूप महंती। अब तक चुनावी मैदान में तीसरे बड़े कद वाले नेता सूर्य सिंह बेसरा, आम आदमी पार्टी से दिनेश महतो और टीएमसी की प्रो. अंजना महतो का नाम सामने आया है। अंजना सालबनी (पश्चिम बंगाल) के विधायक श्रीकांत महतो की पत्नी हैं। इन सभी ने चुनाव प्रचार शुरू भी कर दिया है। झामुमो ने उम्मीदवार को लेकर लंबे समय तक सस्पेंस बनाए रखा। इसे लेकर कयासों का दौर भी चला, जिसमें कुणाल षाड़ंगी, आस्तिक महतो और मलखान सिंह तक के नाम उछलते रहे। अंत में अचानक चंपई सोरेन अवतरित हो गए। चंपई अपनी जीत के लिए शहर व गांव नापने में जुट गए हैं, तो विद्युत भी पीछे नहीं रहना चाहते हैं। दोनों कड़ी मेहनत कर रहे हैं, उससे लगता है कि दोनों के बीच कांटे की टक्कर होगी।
प्रोफाइल :
विद्युत वरण महतो : भाजपा
शिक्षा : आइएससी
संपत्ति : 1.60 करोड़ रुपये
करियर : बहरागोड़ा से विधायक थे। 2014 में भाजपा के सांसद बने।
मामला : सरकारी संपत्ति को नुकसान समेत कुल छह मामले हैं दर्ज।
प्रोफाइल
चंपई सोरेन, झामुमो
शिक्षा : दसवीं
संपत्ति : 45 लाख
कॅरियर : 2005 से अब तक लगातार सरायकेला के विधायक रहे। मामला : गम्हरिया में चार लोगों की मौत समेत कुल पांच मामलों में हैं आरोपित।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से गरीबों का जीवन स्तर उठाने के लिए काम किया है। केंद्र सरकार की योजनाएं लागू की हैं, उसे अंतिम व्यक्तितक पहुंचाना मेरी प्राथमिकता होगी। अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर खुशी देखना ही लक्ष्य है। स्थानीय स्तर पर जो भी महत्वाकांक्षी लक्ष्य थे, उन्हें शुरू कराने में सफलता मिली। जमशेदपुर वाया पटमदा पुरुलिया तक रेल लाइन का सर्वे हो चुका है। काम जल्द शुरू करवाएंगे। अब जो भी ज्वलंत समस्या क्षेत्र की सामने आएगी, उसे पूरा करेंगे। सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा देश में लाना ध्येय है।
भाजपा की केंद्र व खासकर राज्य की सरकार ने इन पांच सालों में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्कूलों का विलय करके सरकार ने बहुत बड़ा अपराध किया है। इससे अधिकांश ग्रामीण नाराज हैं, क्योंकि उनके बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। जीतने के बाद सबसे पहले बंद पड़े स्कूलों को खोलने के लिए कदम उठाएंगे। इसके बाद शराबबंदी को लागू कराना होगा। मजदूरों का पलायन रोकने के लिए यहां मेगा स्किल सेंटर खोलेंगे। रोजगार पैदा करने के उपाय करेंगे।
विद़युत वरण महतो
मजबूती : सादगी, शांत स्वभाव और मृदुभाषी। किसान, मजदूर व निम्न मध्य वर्ग में गहरी पकड़। पांच साल का बेदाग कार्यकाल। कुड़मी समाज में सर्वमान्य अगुवा के साथ दूसरे समाज में भी स्वीकार्यता बढ़ी।
कमजोरी : उच्चशिक्षित नहीं होना है। संकोची स्वभाव की वजह से हर किसी से मिलने-जुलने में परहेज करते हैं, हाल कि दिनों में हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों में ज्यादा भागीदारी से इनकी छवि हिंदूवादी नेता की बनी है।
चंपई सोरेन
मजबूती : झामुमो के वरिष्ठ व अनुभवी नेता। आदिवासियों व अन्य जनजातियों के बीच क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं। जमशेदपुर कंपनी क्षेत्र समेत आसपास में मजदूर नेता की छवि, कई आंदोलन में की अगुवाई। सादगी पसंद।
कमजोरी : जमशेदपुर के बड़े इलाके में शहरी मतदाता व सामान्य वर्ग के लोग हैं। इनसे इनकी लगभग दूरी रही है। प्रदेश से बाहर के लोगों की खिलाफत करते रहे हैं बाहरी भगाओ के प्रबल समर्थक की छवि। उच्च शिक्षित नहीं।
किसे कितने वोट मिले
विस नाम भाजपा झाविमो
जमशेदपुर पूर्वी 91138 64351
जमशेदपुर पश्चिमी 89021 74850
जुगसलाई 93309 73411
पोटका 65563 65897
घाटशिला 63970 35747
बहरागोड़ा 61143 50014
2014 का विधानसभा वार परिणाम
विद्युत वरण महतो
जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र
मुद़दे :
एयरपोर्ट: जमशेदपुर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की मांग है। धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट का शिलान्यास हुआ है। सोनारी से घरेलू उड़ान शुरू नहीं हो सकी।
रेल सेवा : जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र की एक बड़ी आबादी रेल सेवा से दूर है। चांडिल से वाया पटमदा पुरुलिया तक रेल लाइन का निर्माण शुरू होना है
टाटा-रांची हाइवे : टाटा-रांची राजमार्ग (एनएच-33) की स्थिति बदहाल है। इसे बनाने की कवायद पिछले 16 वर्ष से हो रही है, लेकिन यह काम पूरा नहीं हो पा रहा है।
कुपोषण : कुपोषण झारखंड समेत जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए भी बड़ी चुनौती है। पोटका को छोड़कर किसी प्रखंड में कुपोषण मुक्ति केंद्र ठीक से काम नहीं कर रहा।
कोल्ड स्टोरेज : जमशेदपुर व आसपास का इलाका सब्जी का हब माना जाता है, लेकिन यहां एक भी कोल्ड स्टोरेज न होने से ग्रामीण अर्थ व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होती है।
सिंचाई : क्षेत्र में सिंचाई बड़ी समस्या है। इसके अभाव में किसान धान की एक ही फसल उगा पाते हैं। यहां लिफ्ट इरिगेशन और चेकडैम बनाने की मांग वर्षो से लंबित है ।
एमजीएम अस्पताल: कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल बदहाल है। इसे सुधारने के लिए तमाम उपाय किए गए। हर साल करोड़ों खर्च होने के बावजूद भी सुधार नहीं।
उच्च शिक्षा : जमशेदपुर में उच्च शिक्षा का घोर अभाव है। हर बार चुनाव में यह मुद्दा बनता रहा है। इसे कर्नाटक व ओडिशा की तरह एजुकेशन हब बनाने की आवश्यकता होगी।
कचरा निष्पादन : जमशेदपुर का कंपनी क्षेत्र तो साफ-सुथरा है, लेकिन गैर कंपनी क्षेत्र समेत गांव गंदगी से जूझती रहती है। यहां न तो सीवरेज सिस्टम, न कचरा निष्पादन की कोई व्यवस्था ।