*जामुन के पेड़ से जामुन तोड़ने के दौरान पेड़ से गिर जाने से चौदह वर्षीय दो बच्चियों की दर्दनाक मौत।*

लावालौंग(चतरा) :प्रखंड मुख्यालय से करीब 500सो गज की दूरी पर स्थित टोला पूर्णाडीह में जामुन के पेड़ से गिरने से 14 वर्षीय दो बच्चियों की मौत हो गई।जानकारी के अनुसार पूर्णाडीह गांव निवासी अमेरिका गंझू की पुत्री फुलमतिया कुमारी एवं रामपति गंझू की पुत्री किरण कुमारी जामुन तोड़ने के लिए गांव के सिमाने पर ही गए थे।

उक्त दोनों बच्चियां एक ही जामुन के पेड़ के सबसे ऊपरी सिरे के पतली डाली पर चढ़ गए।एक ही डाली पर दोनों बच्चियों के चढ़ने से वजन काफी हो जाने के कारण डाली अचानक टूट गया और वे दोनों सिर और मुंह के बल जमीन पर जा गिरे।घटना को देखकर साथ गए कुछ बच्चे रोने चिल्लाने लगे। आवाज सुनकर एक युवक दौड़कर आया और दोनों बच्चियों को उठाकर घटनास्थल से घर लाया।

एंबुलेंस के अभाव में हुई मौत: ग्रामीणों ने बताया कि हमने एंबुलेंस को फोन किया परंतु नंबर नेटवर्क क्षेत्र से बाहर बताया।घटना के बाद एक घंटे तक दोनों बच्चियां तड़पती रही। इसके बाद मशक्कत से एक निजी वाहन की व्यवस्था करके उन्हें इलाज के लिए ले जाया जा रहा था इस दौरान रास्ते में ही दोनों की मौत हो गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अगर समय पर उन्हें एंबुलेंस और ऑक्सीजन की व्यवस्था दी जाती तो उनका जान बचाया जा सकता था।व्यवस्था व जिला प्रशासन के ऊपर जताया रोष।मौके पर सूचना पाकर उपस्थित मनोज चंद्रा की पत्नी प्रेमलता चंद्रा ने परिजनों को पांच पांच हजार रुपये का सहयोग किया।

साथ ही बीससूत्री अध्यक्ष छठु सिंह भोगता,उप प्रमुख महमूद खान, मुखिया नेमन भारती,मुकेश यादव एवं जितेंद्र ठाकुर नें व्यवस्था और जिला प्रशासन के ऊपर कड़ा रोष व्यक्त करते हुए कहा कि लावालौंग प्रखंड के साथ सरकार और विभागों के द्वारा सौतेला व्यवहार के कारण आज यहां घटना दुर्घटना एवं बीमारी की स्थिति में लोग तड़प तड़प कर जान गंवाने को मजबूर हैं।

विगत चार माह के अंदर एंबुलेंस के अभाव में लगभग दो दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है।विगत एक सप्ताह पूर्व ही बांदू गांव के समीप सड़क दुर्घटना में एक युवक की जान आधे घंटे तक तड़पने से चली गई थी।पूर्व में यहां एक एंबुलेंस दिया गया था परंतु अब उसे यहां से हटवाकर सिमरिया मंगवा लिया गया है।

इसके लिए कई बार पत्रकारों एवं ग्रामीणों ने उपायुक्त,सांसद,विधायक एवं मंत्री से गुहार लगाया परंतु वह केवल आश्वासन तक ही सीमित रह गया।लावालौंग के ग्रामीणों की जान तड़प तड़प कर जाए इससे इन नेता मंत्रियों या विभाग के लोगों को क्या मतलब है इनके लिए तो जरूरत पड़ने पर तो सरकार के द्वारा हाय प्रोफाइल व्यवस्था कायम किए गए हैं।

Related posts

Leave a Comment