सोमवार का दिन भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके अलावा हमें भगवान शिव के स्वरूप को देखते हुए उनसे कुछ सीखना चाहिए। भगवान शिव के रुप में ही उनके गुण छुपे हुए हैं। इन गुणों में जीवन के सूत्र भी हैं।
शिवजी की तीन आंखे, सिर पर चंद्रमा और निलकंठ होना हमें नए तरह से जीवन जीने की प्रेरणा देता है। अगर शिवजी से प्रेरणा ली जाए तो जीवन में परेशानियां दूर हो जाएंगी। आज भगवान शिव से सीखें ये लाइफ मैनेजमेंट
एकजुट
भगवान शिव ने जिस तरह से अपनी शिखा पर गंगा को धारण किया है, उससे एकजुट होने की सीख मिलती है। बिखरे हुए केशों को एकत्र करके शिव ने गंगा के विकराल रूप को शांत स्वरूप में परिवर्तित कर दिया।
दूरगामी
शिव त्रिनेत्र हैं। मष्तक पर स्थि त उनका तीसरा नेत्र बताता है कि दूरगामी परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए सिर्फ बाहरी नेत्रों का प्रयोग न करें, बल्कि सोच-समझकर निर्णय लें। सदैव दूरगामी परिणामों पर अपनी नजर रखें।
धीरज
शिव शशि शेखर हैं, जिन्होंने अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण कर रखा है। चंद्रमा शीतलता और शांति का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में शिव भगवन से सीख मिलती है कि कैसी भी परिस्थिति हो अपना धीरज बिलकुल ना खोएं और मन पर नियंत्रण बनाए रखें।
धैर्य
शिव का एक रूप नीलकंठ भी है, जो कि क्रोध को सहने की सीख देता है। क्रोध सदैव बुद्धि को भ्रमित कर खुद को और अन्य लोगों को परेशानी में डालने वाला माना गया है। ऐसे में क्रोध को पीकर अपने धैर्य से खत्म करें।
पर्यावरण
आदिनाथ अपने गले में सांप को लपेटे रखते हैं और नंदी की सवारी करते हैं। वह पर्वत पर रहते हैं और कंदमूल खाते हैं। उनके भक्तों में तमाम पशु पक्षी, देव दानव शामिल हैं। उनका यह स्वरूप पर्यावरण के प्रति उनके प्रेम को दि खाता है।
कल्पना
भोलेनाथ कपर्दी और कपाली (जटाजूट और कपाल धारण करने वाले) भी हैं, अपने शरीर पर भभूत धारण करते हैं। जो यह बताती है कि संपूर्ण होने के बाद भी खुद को किसी भ्रम में न रखें। जीवन में जुनून और प्रतिबद्धता हो, किंतु किसी कल्पना में न जिएं।