अर्जुन मुंडा: कभी थामी थी झारखंड के आदिवासियों के कल्याण की बागडोर, अब देश की जिम्मेदारी

रांची : झारखंड में आदिवासियों के कल्याण की जवाबदेही संभालते-संभालते दिल्ली दरबार पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को जनजातीय मामलों के मंत्रालय की जवाबदेही सौंपी गई है। यह महज इत्तेफाक है कि झारखंड गठन के समय बनीं एनडीए की पहली सरकार में मंत्री पद पर काबिज हुए अर्जुन मुंडा ने आदिवासियों के कल्याण से जुड़ा कल्याण विभाग संभाला था। केंद्र में भी पहली बार मंत्री बने तो वहां भी जनजातीय कार्य मंत्रालय की जवाबदेही सौंपी गई। जाहिर है मंच बदला लेकिन किरदार नहीं। हां, फलक जरूर बड़ा हो गया है।

मुंडा पर अब देश भर के जनजातीय समाज के कल्याण की बड़ी जवाबदेही है। अर्जुन मुंडा अपनी नई और युवा सोच के लिए जाने जाते हैं। झारखंड में बतौर मंत्री और मुख्यमंत्री रहते उन्होंने कुछ    ऐसे प्रयोग किया कि पूरे देश में उसे सराहा गया। अब जनजातीय मंत्रालय में भी कुछ ऐसे ही प्रयोग देखने को मिलेंगे। मुंडा शुरू से ही आदिवासियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के पक्षधर रहे हैं।

आदिवासियों के सपनों को उड़ान देने के लिए उन्होंने पायलट प्रशिक्षण शुरू किया था। हालांकि, इस योजना का एक ही बैच सफल रहा, आगे विवाद होते रहे। आदिवासियों को स्वरोजगार देने के लिए उन्हें आदिवासियों के युवाओं के समूह को बस देने की योजना भी उन्होंने शुरू की थी। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने झारखंड में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना शुरू की थी। बेटियों की शादी से जुड़ी इस योजना की पूरे देश में सराहना हुई थी। 

अर्जुन मुंडा ने लिया लालकृष्ण आडवाणी का आशीर्वाद
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने शुक्रवार को नई दिल्ली में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। मुंडा के साथ उनकी पत्नी मीरा मुंडा भी थी। अर्जुन मुंडा ने झारखंड भवन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से भी शिष्टाचार भेंट की।

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