New Agency : इस समय झारखंड में चुनावी सरगर्मी तेज होते जा रहा है और जहां एक ओर महागठबंधन को समर्थन सभी सहयोगी दलों से मिल रहा है, वही दूसरी ओर भाजपा निराश और हताश लग रही है। जहां एक ओर चतरा में भाजपा उम्मीदवार सुनील सिंह का विरोध लगातार बढ़ते जा रहा है, वही दूसरी ओर कोडरमा में तो बाबूलाल मरांडी और माले प्रत्यासी राजकुमार यादव से टक्कर लग रहा है। इस लड़ाई में अन्नपूर्णा देवी की दल-बदलू छवि काफी पीछा कर रहा है।
दूसरी ओर, रांची से भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ ने नांमाकन के दौरान भीड़ तो जुटा लिया, परंतु जमीनी हकीकत यह है कि अभी भी कांग्रेस प्रत्यासी सुबोधकांत सहाय बहुत ही आगे चल रहे हैं और सेठ का सबसे बड़ी परेशानी रामटहल चैधरी बन गए हैं।
लोगो का कहना है कि सौदान सिंह ने चतरा में सुनील सिंह को, भूपेन्द्र यादव ने कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी को और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रांची से प्रेशर बनवाकर संजय सेठ को टिकट दिलवा दी, यानी इन तीनों शीर्षस्थ नेताओं ने जातिवाद का सहारा लेकर, अपनी-अपनी जाति के लोगों को टिकट तो दिलवा दिया और सच्चाई यह भी है कि इन तीनों प्रत्याशियों की जीत पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
संजय सेठ भाजपा इन्हें स्वयं घोषित करती तो फिर कहना ही क्या, पर इन पर रघुवर दास की पैरवी और दबाव का एक बहुत बड़ा दाग हैं, जिस दाग को बर्दाश्त करने की स्थिति में वे नहीं हैं, यहीं कारण है कि कुछ इलाकों में भाजपा कार्यकर्ता निष्क्रिय देखे जा रहे हैं, इसका मूल कारण पूरे राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं का मुख्यमंत्री रघुवर दास के क्रियाकलापों से नाराज होना है, क्योंकि राज्य में बिजली का घोर अभाव, पेयजल संकट तथा हर विभाग में फैले भ्रष्टाचार ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया हैं, इसलिए एक ओर भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी, दूसरी ओर राम टहल चौधरी का खड़ा हो जाना, तथा अंत में जातिवाद का लगा धब्बा इनके लिए चुनौती बन गई है।
ऐसे इस समय झारखंड के बाकी सीटों में महागठबंधन को आदिवासी, दलित, पिछड़ी जाति तथा मुसलमानों का जबरदस्त समर्थन मिलते दिख रहा है।