प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी fifteen मई को देवघर आ रहे हैं. यहां उन्हें एक चुनावी सभा को संबोधित करना है. संसदीय चुनावों की घोषणा के बाद झारखंड में उनका यह पांचवा कार्यक्रम है. इससे पहले उन्होंने रांची में रोड शो किया और लोहरदगा, कोडरमा व चाईबासा में चुनावी रैलियां की. झारखंड में लोकसभा की सिर्फ़ fourteen सीटें हैं. भाजपा इनमें से thirteen पर चुनाव लड़ रही है. एक सीट (गिरिडीह) एनडीए में शामिल आजसू पार्टी के लिए छोड़ी गई है. मतलब, झारखंड में भाजपा के कुल thirteen प्रत्याशियों में से five के लिए पार्टी ने अपने सबसे बड़े प्रचारक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम करा दिया.बाकी बचे आठ प्रत्याशियों में से पांच के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रैलियां की. उन्होंने पलामू, चतरा, जमशेदपुर, धनबाद और राजमहल संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया. भाजपा नेताओं का दावा है कि अमित शाह दुमका में भी एक रैली करेंगे. शेष बची सीटों खूंटी और हजारीबाग में भी उनकी रैली तय थी, लेकिन फणी चक्रवात के कारण वे रद्द कर दी गईं.अब इन जगहों पर वोटिंग हो चुकी है. सिर्फ़ संथाल परगना की तीन सीटों दुमका, गोड्डा और राजमहल में nineteen मई को अंतिम चरण में वोटिंग होगी. देवघर, गोड्डा संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. स्पष्ट है कि भाजपा के दो सबसे बड़े प्रचारकों नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने झारखंड में अपने thirteen प्रत्याशियों में से eleven के लिए खुद प्रचार किया. साल 2104 में भाजपा सभी fourteen सीटों पर चुनाव लड़ी थी. उसे इनमें से twelve जगहों पर जीत भी हासिल हुई. तब अमित शाह या नरेंद्र मोदी की इतनी रैलियां नहीं हुई थीं. इस बार इन दोनों नेताओं के अलावा राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, साक्षी महाराज और हेमामालिनी ने भी भाजपा के पक्ष में चुनावी सभाएं की हैं. वहीं, दूसरी ओर forty सीटों वाले बिहार में नरेंद्र मोदी की सिर्फ सात रैलियां हुई हैं. भाजपा के बिहार प्रवक्ता निखिल आनंद के मुताबिक fourteen और fifteen मई को वहां प्रधानमंत्री की तीन और रैलियां होनी हैं. भाजपा बिहार में seventeen सीटों पर चुनाव लड़ रही है. बाकी सीटों पर जदयू और लोजपा के प्रत्याशी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा (प्र) के नेता बाबूलाल मरांडी कहते है कि नरेंद्र मोदी अपनी संभावित हार से डर गए हैं. इस कारण उनकी इतनी रैलियां हो रही हैं. बाबूलाल मरांडी ने कहा, ”नरेंद्र मोदी ने पिछले पांच साल में अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया. इस कारण वे घबरा गए हैं. उन्हें पता है कि इस चुनाव में उनकी बड़ी हार होने वाली है. इस कारण वे उलुल-जुलूल बात बोल रहे हैं. उनकी भाषा प्रधानमंत्री के पद की मर्यादा के मुताबिक नहीं है. उन्होंने राहुल गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के लिए जिस तरह की बातें कही, वह हम जैसे लोग नहीं दोहरा सकते.’ बाबूलाल मरांडी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ये भी कहा, ”अब जब वे हताश हैं, उन्हें लग रहा है कि रैलियों में झूठ बोलकर वोट बटोर लेंगे. लेकिन, जनता उन्हें पहचान चुकी है. इसलिए वे लाख रैलियां कर लें, उनकी जीत नहीं होने वाली. झारखंड में महागठबंधन का प्रदर्शन काफी अच्छा रहेगा. उन्होंने विधानसभा चुनावों के दौरान भी रैलियां की थी, लेकिन उनमे से कई जगहों पर भाजपा की हार हुई. इस बार भी यही होने जा रहा है.” महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव दीपिका पांडेय सिंह भी दावा करती हैं कि नरेंद्र मोदी की रैलियां बेअसर रही हैं. उन्होंने कहा कि 2014 के नरेंद्र मोदी और 2019 के नरेंद्र मोदी में काफी फर्क है. वे कहती है कि अब उनकी रैलियों में न तो भीड़ उमड़ती है और न उनकी बातों का कोई असर ही हो रहा है. दरअसल, वे अपनी हार से डर गए हैं और अपनी एक-एक सीट बचाने के लिए हर जुगत कर रहे हैं. पार्टी से नाराज चल रहे झारखंड भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व विधायक ताला मरांडी का मानना है कि पार्टी में अगर व्यक्ति की जगह समुदाय की बात हुई होती, तो नरेंद्र मोदी या अमित शाह को इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती. उन्होंने बताया, ”यह समझने की बात है कि आज एक पार्टी चुनाव लड़ रही है या एक व्यक्ति चुनाव लड़ रहा है. पार्टी को अपने सिद्धांतों पर चलना चाहिए था. दुर्भाग्य से पार्टी अपने सिद्धांतों पर नही चल रही है. सांगठनिक ढांचा पारदर्शी नहीं है. लोगों की राय नहीं सुनी जा रही है. अगर यह सब हुआ होता, तो प्रधानमंत्री जी को इतनी रैलियां खुद नहीं करनी पड़तीं.” वहीं, झारखंड भाजपा के प्रवक्ता दीनदयाल वर्णवाल ने कहा कि लोकतंत्र में सबको रैलियां करने का अधिकार है. हमारे पास समर्थन है इसलिए नरेंद्र मोदी जी की इतनी रैलियां हो रही हैं. कांग्रेस के पास समर्थन है, तो वह राहुल गांधी की इतनी रैलियां क्यों नहीं करा पा रही है. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में कांग्रेस ने नौ सीटों पर उम्मीदवार दिए थे और सब जगह उनकी हार हुई. हम twelve सीटों पर जीते. जिन a pair of सीटों पर हम हारे, वहां भी कभी हमारी जीत हो चुकी है. वे कहते हैं, ”प्रधानमंत्री जी की रैलियां बाकी की a pair of सीटों पर भी विजय के लिए हैं. हम इस बार सभी fourteen सीटों पर जीतने जा रहे हैं. लोग प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी को देखना चाहते हैं न कि राहुल गांधी को, जिन्हें रोज सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी मांगनी पड़ रही है.” वरिष्ठ पत्रकार मधुकर कहते हैं कि साल 2014 में तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेसी थी. भाजपा को उसका फायदा मिला और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए. वे कहते हैं, ”लेकिन, इस बार मोदी लहर खत्म हो चुकी है. लोग इनकी बात पर विश्वास नहीं कर रहे. देश में बेरोजगारी बढ़ी है. झारखंड मे विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन से वोटों का बिखराव रुका है. इस कारण मोदी-शाह की जोड़ी को करीब-करीब सभी संसंदीय क्षेत्रों में खुद रैली करनी पड़ी है.”
रवि प्रकाश,
बीबीसी से साभार