News Agency : सोमवार को कुछ ऐसा ही हुआ. जेपी नड्डा के भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनने की नई ख़बर आई और अमित शाह के मंत्री पद के साथ-साथ भाजपा अध्यक्ष बने रहने की बड़ी ख़बर थोड़ा पीछे चली गई.किसी और पार्टी में इस तरह की नियुक्तियों की ख़बर व्यक्ति विशेष की कामयाबी-नाकामी तक सीमित रहती हैं. भाजपा में अब तक ऐसा नहीं रहा है.साल 1951 में पहले जनसंघ और फिर 1980 में भाजपा बनने से अब तक भाजपा में ऐसा कभी नहीं हुआ कि पार्टी अध्यक्ष और मंत्री पद पर एक ही व्यक्ति तो छोड़िए संसदीय दल का नेता और अध्यक्ष पद पर एक ही व्यक्ति रहा हो. एक छोटे से अंतराल के अपवाद को छोड़कर. ख़बर यह नहीं कि जेपी नड्डा भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बन गए हैं.. ख़बर यह है वह अमित शाह के सरकार में जाने के बाद भी पार्टी अध्यक्ष नहीं बन पाए.
उससे बड़ी ख़बर यह है कि अमित शाह देश के गृह मंत्री होने के साथ साथ पार्टी अध्यक्ष भी बने रहेंगे. अमित शाह वह करने में सफल हुए हैं जो तमाम कोशिशों के बावजूद लाल कृष्ण आडवाणी भी नहीं कर पाए.किसी को यह पता नहीं है कि यह व्यवस्था स्थाई है या संगठनात्मक चुनावों तक के लिए. पर ऐसा लगता नहीं कि नड्डा अध्यक्ष बनाए जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्रालय में उनके काम से प्रधानमंत्री खुश नहीं थे.उत्तर प्रदेश के प्रभारी के तौर पर भी उनकी आरामतलबी चर्चा का विषय रही. ऐसा लग रहा था कि शायद उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष भी न बनाया जाए. घोषणा से दो-तीन दिन पहले तक उन्हें न तो कोई अंदाज़ा था और न ही उम्मीद रह गई थी. पर भाजपा में आजकल जो लगता है वह होता नहीं.भाजपा अध्यक्ष के रूप में अमित शाह ने जो और जिस तरह से काम किया है, उसके बाद किसी के लिए भी उस पद पर बैठना कांटों का ताज ही होगा. ऐसा लगता नहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहेंगे कि अमित शाह ने जो संगठन खड़ा किया है वह इतनी जल्दी बिखरने लगे.भाजपा का अगला अध्यक्ष जो भी बनेगा वह कम उम्र का ही होगा. मोदी-शाह केंद्र से राज्य स्तर तक नेतृत्व में पीढ़ी परिवर्तन कर रहे हैं. नड्डा पार्टी का भविष्य नहीं हैं. वह वर्तमान भी कब तक रहेंगे यह कहना कठिन है. इतनी बात तय है कि नड्डा का कार्यकारी अध्यक्ष बनना कामचलाऊ व्यवस्था का हिस्सा है. वैसे बताते चलें कि भाजपा के संविधान में कार्यकारी अध्यक्ष का कोई प्रावधान नहीं है.भाजपा संसदीय दल की बैठक में नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का फ़ैसला हुआ. फ़ैसले की घोषणा राजनाथ सिंह ने की. यह बात एक पुरानी घटना की याद दिलाती है. हालांकि दोनों में पूरी समानता नहीं है.