जिसके बेटे के कांड से हिला था बिहार, नीतीश ने उसे एमएलसी प्रत्याशी बनाया

राजनीतिक संवाददाता द्वारा
पटना : बात 2016 की है। उस वक्त बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री ( CM Nitish Kumar ) थे। सरकार गठन के अभी एक साल भी पूरे नहीं हुए थे। उसी वक्त बुद्ध की घरती गया में ऐसा कुछ हुआ कि बिहार सरकार हिल गई। पूरा गया शहर कांप गया। देश की नजर एक अण्णे मार्ग पर टिक गया।
दरअसल, गया में रोडरेज हुआ था। जेडीयू एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे रॉकी ने एक युवकी को गोली मारकर हत्या कर दी थी। जमकर बवाल हुआ। सियासत भी हुआ। विपक्ष में रही बीजेपी पटना और गया एक कर दी। सत्ता में सहयोगी रही आरजेडी भी नीतीश कुमार को घेरा था। अब आप सोच रहे होंगे कि लगभग 7 साल बाद इस बात पर चर्चा क्यों? दरअसल, जेडीयू ने मनोरमा देवी को एक बार फिर एमएलसी प्रत्याशी बनाया है।
बता दें कि 7 मई 2016 को 12वीं का छात्र आदित्य सचदेवा अपने दोस्तों के साथ बर्थडे पार्टी से लौट रहा था। आदित्य की गाड़ी के आगे रॉकी अपने साथियों के साथ जा रहा था। आदित्य ने गाड़ी ओवरटेक की तो रॉकी को यह बात नागवार गुजरी। दोनों में झड़प हुई और रॉकी ने आदित्य को गोली मार दी। अगले दिन इस घटना से गया शहर में हड़कंप मच गया। पूरे शहर में बवाल होने लगा। घटना को अंजाम देने के बाद रॉकी मौके से फरार हो गया था।

Notorious Bindi yadav was provided with Bodyguard by Gaya administration

रॉकी अभी भी जेल में हैं। रॉकी बाहुबली बिंदी यादव का बेटा है। बिंदी यादव का साल 2020 से कोरोना से निधन हो गया। रॉकी यादव पर पिता के बाहुबल का रौब सवार था। वह हथियारों के साथ फेसबुक पर तस्वीर पोस्ट करता था। रॉकी ने ग्रेजुएशन बीएचयू से किया था। वहीं, मास्टर दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया था। लेकिन 2016 की घटना के बाद से वह जेल में है।
2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने रॉकी की मां मनोरमा देवी को अतरी से उम्मीदवार बनाया था, हालांकि वह चुनाव हार गई थीं। बता दें कि मनोरमा को नीतीश कुमार ने रॉकी की करतूत के कारण पार्टी से 6 साल से निलंबित कर दिया था। हालांकि पार्टी में उनकी कब वापसी हुई, इसकी भनक किसी को नहीं लगी थी।
दरअसल, गया रोडरेज घटना के बाद नीतीश सरकार की जमकर फजीहत हुई थी। पुलिस रॉकी की गिरफ्तारी के लिए दिन रात छापेमारी करती रही , लेकिन वह पुलिस के हत्थे चढ़ नहीं रहा था। बताया जाता है कि पुलिसिया दवाब के कारण 12 मई 2016 को उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की। पूछताछ में उसने गोली मारने की बात स्वीकार की थी।

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