*हेमंत सोरेन व बसंत सोरेन की सदस्यता रद होने पर कौन बनेगा झारखंड का नया सीएम*

*हेमंत सोरेन व बसंत सोरेन की सदस्यता रद होने पर कौन बनेगा झारखंड का नया सीएम*

 

अगर चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन व बसंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद कर दी तो झारखंड का नया सीएम कौन बनेगा? झारखंड की सियासत गर्म है। लोग इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं। झामुमो में कई नए चेहरों पर चर्चा चल रही है।

रांची: झारखंड में आने वाले कुछ दिन राजनीतिक सरगर्मी से भरे होंगे। इसकी वजह भारत निर्वाचन आयोग में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई विधायक बसंत सोरेन के खिलाफ चल रहा मामला है। भाजपा ने दोनों के खिलाफ अलग-अलग शिकायत राज्यपाल रमेश बैस के समक्ष की थी।। हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज आवंटित कराया। मुख्यमंत्री के पास खान विभाग भी है। भाजपा का दावा है कि यह जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है, लिहाजा उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त की जाए। बसंत सोरेन के खिलाफ शिकायत में निर्वाचन आयोग से एक खनन कंपनी में साझीदार होने संबंधी तथ्य छिपाने का आरोप है। इसपर राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगा तो आयोग ने नोटिस भेजकर जवाब तलब किया। आयोग में हेमंत सोरेन के खिलाफ चल रहे मामले में बहस पूरी हो गई है। इसमें अब निर्णय आना बाकी है। आयोग का फैसला अगर इनके पक्ष में आता है तो बड़ी राहत होगी, लेकिन प्रतिकूल फैसला आने पर भारी उलटफेर की गुंजाइश है।

 

शिबू सोरेन के नाम पर बन सकती है सहमति

 

हालांकि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही सरकार को विधानसभा में पर्याप्त बहुमत है, लेकिन उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त होने की स्थिति में विकल्प खुले हैं। ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन स्वाभाविक पसंद हो सकते हैं। उनके नाम पर झामुमो के साथ-साथ कांग्रेस को भी कोई आपत्ति नहीं होगी। फिलहाल वे राज्यसभा के सदस्य हैं। छह माह के भीतर उन्हें विधानसभा की सदस्यता हासिल करनी होगी।

 

कल्पना सोरेन के नाम पर बढ़ सकता विवाद

 

उधर राजनीतिक गलियारे में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का नाम भी चल रहा है, लेकिन इससे सोरेन परिवार में विवाद पैदा हो सकता है। हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन जामा से पार्टी की विधायक हैं। फिलहाल उन्होंने अपने तेवर नरम कर रखे हैं, लेकिन हेमंत द्वारा अपनी पत्नी को आगे किए जाने की स्थिति में वह आपत्ति जता सकती हैं।

 

परिवार से इतर चंपई सोरेन हो सकते सीएम

 

सोरेन परिवार से इतर देखा जाए तो वरिष्ठ मंत्री चंपई सोरेन और जोबा मांझी भी विकल्प हो सकते हैं। अयोग्य घोषित किए जाने पर बरहेट विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की नौबत आएगी। उधर, प्रतिकूल फैसला आने पर हेमंत सोरेन के भाई दुमका के विधायक बसंत सोरेन की भी मुश्किलें बढ़ेगी। हेमंत सोरेन द्वारा सीट छोड़ने के बाद दुमका विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में उन्होंने नजदीकी अंतर से जीत हासिल की थी। ऐसे में यहां भी उपचुनाव की नौबत आएगी।

 

कांग्रेस भी बढ़ा सकती है झामुमो पर दबाव

 

हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रतिकूल फैसला आने के बाद कांग्रेस भी दबाव बढ़ा सकती है। कांग्रेस के 18 विधायक हैं, जो भीतर ही भीतर घुटन महसूस कर रहे हैं, वे खुलकर सामने आ सकते हैं। हाल ही में तीन विधायकों के नकदी के साथ कोलकाता में पकड़े जाने के बाद भीतर ही भीतर विधायक नाराज बताए जाते हैं। उनकी नाराजगी कई बातों को लेकर है। विधायक सत्ता में सीधी भागीदारी की फिराक में हैं। एक खेमा ऐसा भी है जो कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर सकता है। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने ढ़ाई वर्ष से अधिक समय तक कांग्रेस के सहयोग से सरकार चलाई। अब वे कमान कांग्रेस को सौंपकर सत्ता संचालन में सहयोग करें। हालांकि ये तमाम बातें राजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

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