गणेश झा पाकुड़।अक्सर देखा जाता है की छोटी बड़ी घटना में आरोपी को पकड़ने में पुलिस दबिस बनी रहती है।अगर आरोपी का किस्मत खराब रहता है तो पुलिस हत्थे चढ़ जाता है।यहां मामला मुफ्फसिल थाना छेत्र का है जो दिखने में शांत और अंदर कुछ और है।बीते दिनों मुखिया की हत्या, पुलिस पर पथराव, आर्थिक राजस्व नुकसान पहुचाने वाले माफिया का गढ़ माने जानेवाला अब पत्रकार भी सुरछित नही।अपने ही घर मे जब दोगला निकल जाए तो फिर वह घर सुरछित नही।जो पुलिस इंस्पेक्टर के निज़ी चालक समीम अख्तर ने कर दिखाया।समीम अख्तर पत्रकार पर हमला कराने वाला सूत्रधार है।माफिया से मोटी रकम लेकर थाना का सूचना आदान प्रदान करने वाला समीम अख्तर की संपत्ति की जांच होनी चाहिए।अगर ऐसे चालक मिल जाये तो पुलिस पदाधिकारी भी सुरछित नही ।अक्सर देखा जाता है माफिया ज्यादातर ड्राइवर, मुंसी के सेवा में लगे रहते है।कम खर्च में ज्यादा लाभ यही माफिया का मूलमंत्र है।
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