नमो टीवी का रिश्ता भाजपा के साथ है, मगर दिल कांग्रेस पार्टी का धड़क रहा है। चुनाव प्रचार की शुरुआत में ही भाजपा ने नमो चैनल लाकर विपक्ष को एक झटका दे दिया। इससे कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दल सकते में आ गए। कांग्रेस पार्टी ने कहा, ये तो सीधे तौर पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। आनन-फानन में शिकायत लेकर पार्टी चुनाव आयोग पहुंच गई, मगर नमो टीवी बंद नहीं हो सका। कांग्रेस पार्टी की प्रेसवार्ता में तकरीबन रोजाना यह सवाल सामने आ जाता है।
मंगलवार को कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने तो साफ कह दिया, क्या करें कोई सुनने को तैयार नहीं है। चुनाव आयोग हमारी सुनता नहीं है और ऐसे मामलों को लेकर न्यायपालिका में जा नहीं सकते। वजह, अगर अब अदालत में जाते हैं तो कोई फायदा नहीं।जब तक मामले का निपटारा होगा, चुनाव हो चुके होंगे। हमें तो मतलब फौरी राहत से है, जो चुनाव आयोग ही दे सकता है।
कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह समाचार चैनल नहीं है। विज्ञापन चैनल है। इस पर भाजपा का विज्ञापन चलता रहता है, ऐसे में यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। भाजपा तो सत्ता के नशे में चूर है, उसे नियमों की कोई परवाह नहीं है। इस मामले में चुनाव आयोग ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से भी विस्तृत जानकारी मांगी थी कि चुनाव से पहले किसी राजनीतिक दल को टीवी चैनल शुरू करने की अनुमति देना नियमों के अनुसार या खिलाफ है।
कांग्रेस पार्टी का जो भी नेता प्रेसवार्ता के लिए आता है, कोई न कोई मीडिया कर्मी यह सवाल पूछ लेता है। नमो चैनल के सवाल का वे जिस लहजे में जवाब देते हैं, उसमें उनकी एक दबी सी कसक का अहसास होता है। जब उनसे ऑफ दा रिकार्ड बात करते हैं तो उनका भाव ऐसा होता है कि ये चैनल अभी बंद हो जाए।
कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला कहते हैं कि मोदी सरकार लोकतांत्रिक परंपराओं को नष्ट करने का काम कर रही है। कांग्रेस पार्टी की दलील है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद और पहले चरण के 11 अप्रैल को होने वाले चुनाव से ठीक पहले नमो चैनल शुरू किया गया है। रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग को इस पर तुरंत प्रभाव से अंकुश लगाना चाहिए। यहां तक कि बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी नमो टीवी को लेकर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, चौकीदारी की यह नई नाटकबाजी भी इस बार उन्हें नहीं बचा पाएगी।