News Agency : दोनों बड़े ज़िले हैं. गोरखपुर का क्षेत्रफल 3483 वर्ग कि.मी. है तो मुज़फ़्फ़रपुर का 3122 वर्ग कि.मी. गोरखपुर की आबादी 44.40 लाख है तो मुज़फ़्फ़रपुर की 48 लाख.गोरखपुर का नाम नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक महायोगी गोरखनाथ के नाम पर है जबकि मुज़फ़्फ़रपुर ब्रिटिश राज के रेवन्यू ऑफ़िसर (आमिल) मुज़फ़्फ़र ख़ान के नाम पर.मुज़फ़्फ़रपुर मीठी लीची के लिए मशहूर है, जिसे चमकी बुखार से जोड़ दिए जाने के कारण इसके उत्पादन और सेवन को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं बन-बिगड़ रही हैं. गोरखपुर भी कभी रसीले ‘पनियाला’ के लिए मशहूर था जो अब लगभग ग़ायब हो गया है.दोनों ज़िले कुछ वर्षों से एईएस (एक्यूट इंसेफ़ेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफ़ेलाइटिस) से मरते बच्चों के कारण चर्चा में आते रहे हैं.इस वर्ष मुज़फ़्फ़रपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक जनवरी से चार जुलाई तक जेई/एईएस से 450 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें 117 बच्चों की मौत हो चुकी है.गोरखपुर में इस वर्ष जनवरी से जुलाई के पहले सप्ताह तक 100 मरीज़ भर्ती हुए, जिनमें 24 लोगों की मौत हुई है. मरने वालों में अधिकतर बच्चे हैं.दोनों ज़िलों में तमाम समानताओं के बावजूद इस बीमारी का रूप दोनों जगह भिन्न है लेकिन इससे प्रभावित बच्चों के परिजनों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठिभूमि में काफ़ी समानताएं हैं.दोनों स्थानों पर ग्रामीण क्षेत्र के ग़रीब श्रमिक परिवारों के बच्चे इस बीमारी से प्रभावित हो रहे हैं, जिनकी सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, आवास और अन्य बुनियादी सुविधाओं पर ख़र्च करने की स्थिति नहीं है.ये परिवार सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से भी वंचित हैं. दोनों ज़िलों में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिक है और ये कुपोषित बच्चे ही सबसे अधिक इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.मुज़फ़्फ़रपुर में चमकी बुखार का सबसे अधिक प्रकोप अप्रैल से जून तक देखा जाता है. मानसून के साथ इस बीमारी का प्रभाव कम होता जाता है जबकि गोरखपुर और आसपास के ज़िलों में मानसून शुरू होने के साथ ही इस बीमारी का प्रकोप बढ़ने लगता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में जुलाई से अक्टूबर तक जेई/एईएस के सबसे अधिक मामले आते हैं. यूपी में सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों में गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, देवरिया, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर हैं तो बिहार में मुज़फ़्फ़रपुर के अलावा सिवान, सारण, पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, गया आदि ज़िलों में जेई/ एईएस के मामले आ रहे हैं.
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