बीजेपी के करीब शरद पवार आने से उद्धव ठाकरे को सता रही चिंता

व्यूरो
मुंबई: महाराष्ट्रमें मौजूदा महाविकास अघाड़ी सरकारके तीनों घटक दलों के बीच सब कुछ ठीक ना चलने की खबरें फिलहाल सुर्खियां बटोर रही है। एक तरफ जहां कांग्रेस(Congress) के विधायक महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। इस बाबत सोनिया गांधी(Sonia Gandhi) को पत्र लिखकर उनसे मुलाकात का समय मांगा है। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे(CM Uddhav Thackeray) भी एनसीपी के रुख से नाराज नजर आ रहे हैं। सूत्रों की माने तो भारतीय जनता पार्टी(BJP) के प्रति शरद पवार की पार्टी एनसीपी की नरमी उद्धव ठाकरे की चिंता का सबब बन गई है। इस मामले में ठाकरे ने शरद पवार से बातचीत भी की है। जानकारी के मुताबिक सीएम ने शिकायती लहजे में शरद पवार(Sharad Pawar) से कहा कि एक तरफ बीजेपी, केंद्रीय जांच एजेंसियों की मदद से गठबंधन के नेताओं को अपना निशाना बना रही है। वहीं दूसरी तरफ एनसीपी(NCP) उन पर आक्रामक होने की बजाए बैकफुट पर नजर आ रही है। बातचीत के दौरान उन्होंने कई ऐसे मौकों का जिक्र किया जब उन्हें यह महसूस हुआ कि एनसीपी, बीजेपी के प्रति काफी नरमी बरत रही है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ मामलों से रूबरू करवाएंगे जिनकी कसक मुख्यमंत्री के दिल में है।
सूत्रों की माने तो उद्धव ठाकरे ने कहा कि जब मुंबई पुलिस ने फोन टैपिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस को बीकेसी पुलिस स्टेशन में बयान दर्ज करवाने के लिए हाजिर होने का नोटिस भेजा था। तब ऐन वक्त पर मुंबई पुलिस ने अपना फैसला बदल दिया और फडणवीस को पुलिस स्टेशन बुलाने की जगह खुद उनके घर जाकर बयान लिया गया। ठाकरे ने कहा कि गृह मंत्रालय एनसीपी के अंतर्गत आता है और इसकी जिम्मेदारी दिलीप वलसे पाटील को दी गई है। गृह मंत्रालय के मातहत ही पुलिस विभाग काम करता है।
इस बातचीत में नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र में बढ़ी सियासी हलचलों का भी जिक्र था। दरअसल मलिक की गिरफ्तारी के बाद शिवसेना, एनसीपी और बीजेपी के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई थी। उस समय एनसीपी नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने यह कहा था कि इस समय दोनों पक्षों को शांति बनाए रखने की जरूरत है। ठाकरे की नाराजगी इस बात से भी है कि पार्टी अपने नेता की गिरफ्तारी के बाद इतनी खामोश क्यों हैं?
उद्धव ठाकरे की नाराजगी के पीछे एक वजह यह भी है कि जब बीते वर्ष स्पीकर के साथ हाथापाई की आरोप में भारतीय जनता पार्टी के 12 विधायकों को निलंबित किया गया था। तब भी अजित पवार ने यह कहा था कि विधायकों को कुछ घंटों या कुछ दिनों की सजा दी जा सकती थी। सीधे एक साल के लिए सस्पेंड कर देना उचित नहीं है। इसके अलावा कुछ दिनों पहले एनसीपी के पूर्व सांसद और जाने-माने क्रिमिनल लॉयर मजीद मेमन ने भी ट्वीट करके पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांधे थे। दरअसल उन्होंने अपने ट्वीट में यह कहा था कि नरेंद्र मोदी को जनता ने जनादेश दिया है। इसका साफ मतलब है कि उनके अंदर कुछ न कुछ अच्छे गुण जरूर होंगे। जिनके बारे में विपक्ष को जानकारी नहीं है।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी सरकार के गठन के बाद अभिनेता से नेता बने अमोल कोल्हे ने एक कार्यक्रम में कहा था कि शरद पवार की कृपा से ही उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने हैं। इस पर पलटवार करते हुए शिवसेना नेता किशोर कान्हेरे ने कहा था की कोल्हे को स्क्रिप्ट देखकर डायलॉग बोलने की आदत है। इसीलिए शायद वह भूल गए हैं कि उद्धव ठाकरे की कृपा से ही वो राजनीति में है। लिहाजा सत्ता का जो अंगूर आपको मिला है उसे खट्टा मत कीजिए।
हाल में एमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील ने एनसीपी नेता और स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को यह प्रस्ताव दिया था कि एमआईएम को भी महाविकास अघाड़ी में शामिल किया जाए। इस प्रस्ताव पर राजेश टोपे ने कहा था कि पार्टी आलाकमान और महाविकास अघाड़ी के नेता इस पर फैसला करेंगे। इस पुस्तक की जानकारी मिलने पर शिवसेना ने कड़ी आपत्ति जताई थी। दरअसल प्रस्ताव देने वाले सांसद इम्तियाज जलील का कहना है कि अक्सर उनकी पार्टी पर आरोप लगाया जाता है कि वह बीजेपी का खुफिया तौर पर समर्थन करते हैं और बीजेपी की बी-विंग हैं। इसी पर उन्होंने कहा था कि मेरा यह प्रस्ताव महाविकास आघाडी सरकार को है। अगर वह हमें एमवीए शामिल कर लेते हैं तो हमारे ऊपर हमेशा लगने वाली यह तोहमत खत्म हो जाएगी।

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