प्रशासनिक उदासीनता तथा जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा का दंश झेल रहा आदिवासी गांव

शुभम सौरभ

गिरिडीह । आजादी के 74 वर्षों बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित देवरी प्रखण्ड के गुनियथर पंचायत के घने जंगलों के बीच प्रकृति की गोद में बसी भदार गांव। प्रखण्ड मुख्यालय से लगभग 08आठ किलोमीटर दूर बसी भदार गाँव में मंझिला मरांडी,मझली मुर्मू,दुर्गा मराण्डी,आदि समेत कुछ यादव समाज के लोग इस गाँव में रहते हैं। जहाँ विकास के नाम पर मूलभूत सुविधाओं में आने वाले चीजों से कोसों दूर है।विकास का कोई लकीर नही खिंचा गया है । इस गांव की आवादी काफी कम है ।इस गांव में 12 घर है।जनसख्या भी करीब 125 बताया गया है ।गांव में कोई विद्यालय नही है।एक चापाकल है,जो कई वर्षों से खराब पड़ा है ।इस गांव में सड़क,बिजली,पानी,शिक्षा,स्वास्थय ,की समस्या है ।लोग नदी नाले से पानी लाकर पीते है । पंचायत स्तर से भी विकास का कोई खाका तैयार नहीं किया गया है।
। वहां की महिलाएं पगडंडियों से होकर काफी दूरी से नदी में चुआं बनाकर पीने के लिए पानी घर लाती हैं। आदिवासियों के कल्याण और विकास के नाम पर बिहार से अलग होकर नया राज्य झारखंड बनाया गया लेकिन भदार गांव आकर लगता है, कि जैसे आज भी आदिवासी समाज विकास की धारा से कोसों दूर है।
मरीज को ले जाते खाट पर : गांव के मंझिला मरांडी, मझली मुर्मु , दुर्गा मरांडी, बैकुंठ यादव, खैरून खातून आदि बताते हैं कि भदार गांव के 12 घरों के परिवारों में लगभग 125 सदस्य रहते हैं। जहां स्वास्थ्य उपकेंद्र तो दूर स्वास्थ्य विभाग के कोई कर्मचारी और ना ही नर्स कभी गांव में आती हैं। बीमार लोगों के लिए जड़ी-बूटी ही एक मात्र सहारा है।लोगो ने बताया कि जब कभी कोई ज्यादा बीमार पड़ जाता है तो गांववाले उसे गांव से लगभग 08 किमी का रास्ता तय कर पक्की सड़क पहुंचते हैं। जहां से किसी वाहन के सहारे स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंच पाते हैं। कभी-कभी तो रास्ते में ही बीमार दम तोड़ देते है।
सड़क नहीं होने से नहीं पहुंचता सरकारी अमला: भदार गांव में नदी पर पुल नहीं होने के कारण ग्रामीणों को हमेशा परेशानी होती है। बारिश के दिनों में गांव का संपर्क पूरी तरह टूट जाता है। चारों ओर से जंगलों से गांव घिरे होने तथा सुलभ मार्ग के अभाव में सरकारी अमला यहां पर नहीं पहुंचता है। गांव वालों का कहना है कि उनके क्षेत्र के जनप्रतिनिधि कभी भी सुधि लेने नही आते हैं ।जबकि बहुत सारी योजनाओं की जानकारी भी लोगों को नहीं है। सरकारी योजना प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला योजना आदि के बारे में पूछने पर लोगो ने कहा कि मात्र 2 लोगो को पी एम आवास मिला है।
* गुनियथर पंचायत के भदार गाँव हर सुविधा से वंचित है । सुद्रवर्ती इलाका होने के कारण भदार गाँव में एक सड़क तक पक्की नहीं हो सकी है। स्ट्रीट लाइट नहीं लगी हैं। सरकारी योजनाओं का भी लाभ से वंचित है वहां के ग्रामीण पगडंडियों का सहारा लेकर लोगों को जाना पड़ता है, उस गांव में , गाँव जाने के क्रम में नदी में काफी पानी होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । इसके बावजूद लोगों को रात में वहां तक पहुंचने में मशक्कत करनी पड़ती है।
बिजली का पोल तो लगा है लेकिन पाँच सालों से ट्रांसफार्मर जल जाने के कारण वहां पर बिजली की समस्या उत्पन्न हो गई है , वहां के ग्रामीण बिजली समस्या को लेकर काफी परेशान है उन्हें अंधेरे में ही जीवन यापन करना पड़ रहा है , मोबाइल चार्ज करने के लिए भी सोचना पड़ता है। वहां के ग्रामीण अंधेरे में जिंदगी जीने को मजबूर है ।
पानी को लेकर भी वहां के ग्रामीण काफी दिक्कत में है , चापाकल तो है लेकिन काफी दिनों से खराब पड़ा हुआ है उन्हें पानी लेने के लिए नदी जाना पड़ता है नदी उनके घर काफी दूर में है , नदी का पानी से ही वह खाना बनाते हैं नदी का पानी पीने को मजबूर हैं वहां के ग्रामीण । चुआ खोदकर पानी पीने को मजबूर हैं, ग्रामीण। चापाकल कि पानी पीने के लिए तरस गए हैं वहां के ग्रामीण ।
चिकित्सा की भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है । अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे अपने गांव से 08किलोमीटर का फासला तय करना पड़ता है तब वह जाकर अपना इलाज करा पाता है ।गर्भवती महिला को भी इलाज कराने मैं काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । सड़क नहीं रहने के कारण एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाता है ,जिस कारण गर्भवती महिला को इलाज के लिए ले जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी वहां के बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है बरसात होने के कारण नदी में पानी भर जाने के बाद वहां से बच्चों को बच्चों को स्कूल जाने में काफी दिक्कत होता है क्योंकि नदी में बरसात में कमर के ऊपर तक पानी बहता है ,जिससे बच्चे पानी कम नहीं होने तक शिक्षा से दूर हो जाते हैं ।स्कूल नहीं जा पाते हैं । जिससे बच्चों को काफी दिक्कत होती हैं ।
आदि ग्रामीणों ने बताया कि वहां पर पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है, पानी लेने के लिए उन्हें नदी जाना पड़ता है बरसात में उन्हें घिटा हुआ यानी गंदा पानी पीना पड़ता है । शौचालय की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। बिजली भी नहीं है, जिसके कारण उन्हें अंधेरे में जीवन यापन करना पड़ रहा है। रात में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है , कोई अगर बीमार पड़ जाता है तो उन्हें चिकित्सा उपलब्ध कराने के हरियडीह ले जाना पड़ता हैं । ग्रामीणों ने सरकार से इस दिशा में ध्यान देने का आग्रह किया है ,कि जल्द से जल्द उन्हें हर सुविधा उपलब्ध कराया जाए । सबदर अली ने बताया कि यहां के ग्रामीण काफी दिक्कत में जीवन यापन कर रहे हैं, सरकार को इस और जल्द से जल्द ध्यान देने की आवश्यकता है ।
देवरी के इंकलाबी नौजवान सभा नेता अजीत कुमार शर्मा ने कहा कि* स्थानीय प्रशासन के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की इस अनदेखी के लिए निंदा करते हुए आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा है ,कि पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा से ग्रामीणों को महरूम रखना किसी का अधिकार नहीं है । कहा कि सड़क बिजली पानी आदि की सुविधा जल्द से जल्द सुचारू रूप से उपलब्ध कराया जाए । ताकि ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े ।
इस बाबत जमुआ विधायक केदार हाजरा ने कहा कि* देवरी प्रखंड के गुनियथर पंचायत के भदार गांव के लोग अपनी समस्याओं से जनप्रतिनिधि को अवगत कराएं ।वे क्षेत्र में सड़क, पुल ,पुलिया निर्माण के लिए प्रयत्नशील है ।अभी हाल में गुनियथर पंचायत में आयोजित सरकार आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित हुआ था जो भी समस्या से लोगों ने अवगत कराया है उनके समस्याओं के निदान के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा ।

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