इंसान के चांद पर पहली बार उतरने की पूरी कहानी

इंसान के चांद पर पहली बार उतरने की पूरी कहानी

News Agency : नील, नासा के सबसे क़ाबिल अंतरिक्ष यात्रियों में से एक थे. 20 जुलाई को जब उनका अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह की तरफ़ बढ़ रहा था, तो इस मिशन से जुड़े हज़ारों लोगों की धड़कनें तेज़ थीं.इस मिशन की क़ामयाबी नील के हुनर और हालात को संभालने की क्षमता पर निर्भर थी. नील के यान के सामने ऊबड़-खाबड़ चांद था. अलार्म बज रहे थे और ईंधन भी कम था. लेकिन, नील ने बड़ी आसानी से अपने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर उतार दिया था.ये मानवता के लिए बहुत लंबी छलांग थी. लेकिन, बाद में नील ने जितने भी इंटरव्यू दिए या लोगों से बात की, उन्होंने हमेशा इसे हल्का-फुल्का तनाव भरा लम्हा ही कहा. इसके बजाय उन्होंने हमेशा अपोलो 11 मिशन की क़ामयाबी का श्रेय उन हज़ारों लोगों को दिया, जो इससे जुड़े हुए थे.नासा का अनुमान है कि अपोलो मिशन से क़रीब 4 लाख लोग जुड़े हुए थे. इनमें चांद पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों से लेकर मिशन कंट्रोलर, ठेकेदार, कैटरर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, नर्सें, डॉक्टर, गणितज्ञ और प्रोग्रामर तक, सभी शामिल थे.

चांद पर उतरने वाला लूनर लैंडर दो लोगों को लेकर गया था. नील आर्मस्ट्रॉन्ग के अलावा बज़ एल्ड्रिन भी वहां बाद में उतरे थे. वहीं नासा के मुख्यालय में मिशन कंट्रोलर से भरा हुआ एक हॉल था.मिशन के दौरान 20-30 लोगों की कोर टीम हर वक़्त सक्रिय रहती थी. इसके अलावा नासा के ह्यूस्टन स्थित मुख्यालय में बोस्टन के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के सलाहकारों की पूरी फ़ौज मिशन कंट्रोलर्स को सलाह देने के लिए मौजूद रहती थी.नासा के मिशन कंट्रोलर को पूरी दुनिया में मौजूद ग्राउंड स्टेशन से भी संपर्क रखना पड़ता था. इसके अलावा लूनर लैंडर बनाने वाली कंपनी ग्रमन कॉर्पोरेशन और उसके सारे ठेकेदार भी अपोलो 11 मिशन से जुड़े हुए थे.इन सब स्पेशलिस्ट के अलावा जो सपोर्ट स्टाफ़ था उसमें मैनेजर से लेकर कॉफ़ी बेचने वाले तक शामिल थे. इस काम में हज़ारों लोग लगे हुए थे. ऐसे में अपोलो 11 मिशन से 4 लाख लोगों का जुड़े होना भी मामूली बात थी.यानी ये चार लाख लोग मिलकर सिर्फ़ एक इंसान की गतिविधियों को संचालित कर रहे थे, जिनका नाम था नील आर्मस्ट्रॉन्ग.

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