गिरते-गिरते बची नीतीश सरकार मौजूद नहीं थे 47 विधायक

गिरते-गिरते बची नीतीश सरकार मौजूद नहीं थे 47 विधायक

News Agency : बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान राज्य की नीतीश कुमार सरकार गिरते-गिरते बची। दरअसल, विधानसभा में 9 जुलाई को सहकारिता विभाग की तरफ से मांग बजट पेश किया था। इस मुद्दे पर बहस के बाद आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी की तरफ से कटौती प्रस्ताव लाया गया, जिसका सरकार ने जोरदार विरोध किया। इस बहस के दौरान के सदन में वोटिंग की नौबत आ गई।सदन में अचानक वोटिंग की नौबत आने पर नीतीश कुमार के खेमे में खलबली मच गई। दरअसल, 9 जुलाई को ही इंग्लैंड में खेले जा रहे आईसीसी विश्व कप का सेमीफाइनल मुकाबला चल रहा था, जिसमें भारत की टीम का मुकाबला न्यूजीलैंड से था। इसी मैच को देखने के लिए अधिकांश विधायक सदन में मौजूद नहीं थे, जबकि कुछ ऐसे विधायक भी थे जो मैच तो नहीं देख रहे थे लेकिन वे सदन में मौजूद ना होकर बाहर लॉबी में टहल रहे थे।स्पीकर विजय कुमार चौधरी की तरफ से मत विभाजन के आदेश के बाद सदन में मौजूद विधायकों ने वोटिंग की। नीतीश कुमार सरकार के लिए राहत की बात ये रही कि प्रस्ताव के पक्ष में 85 वोट पड़े और विरोध में 52 यानी सहकारिता विभाग की मांग प्रस्ताव सदन में 33 मतों के अंतर से पारित हो गया। बताया जा रहा है कि वोटिंग के दौरान सदन में एनडीए के 47 विधायक मौजूद नहीं थे। विधानसभा में बीजेपी और जदयू गठबंधन के विधायकों की संख्या 132 है लेकिन केवल 85 विधायक ही वोटिंग के दौरान मौजूद थे।इन विधायकों की गैरमौजूदगी के कारण नीतीश सरकार एक वक्त खतरे में आ गई थी। राहत की बात ये थी कि विपक्ष के कुछ सदस्य भी सदन में मौजूद नहीं थे। अगर ये प्रस्ताव गिर जाता तो नीतीश सरकार के लिए नैतिक संकट की स्थिति पैदा हो जाती और इस्तीफा देने की नौबत आ जाती। दूसरी तरफ, विधानसभा में विपक्ष के विधायकों की संख्या 109 जबकि वोटिंग के दौरान 57 विधायक ही मौजूद थे। इस घटना के बाद संसदीय कार्यमंत्री श्रवण कुमार ने विधायकों की गैरमौजूदगी को गलत बताते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं से सबक लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी विधायकों को सत्र के दौरान गंभीरता दिखाते हुए सदन की कार्यवाही में रोजाना शामिल होना चाहिए।

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