नियम कानून बनते है ,जिससे असहाय मजलुमो -कमजोर लोगो की रक्षा किया जा सके।अंग्रेजों ने भी यही सोचकर छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट बनाया था।झारखंड में यह नियम लागू भी है,किन्तु क्या कहा जाय जब बाड़ ही खेत चरने लग जाय,तो रक्षा की उम्मीद किस्से की जाय।कुछ ऐसा ही लेस्लीगंज के अंचलकर्मियों द्वारा किया जा रहा है।यह खेल कोई नया नही है।अंचलकर्मियों के मिलीभगत से बन रहे फर्जी एलपीसी की परतें खुलनी शुरू ही हुआ है कि एक और मामला प्रकाश में आ गया।ताज़ा मामला अंचल के ढेला गांव का है जहां एक दलित भुइयां परिवार की जमीन सामान्य परिवार के पास बिक्री हेतु नियमविरुद्ध जाकर अंचल द्वारा एलपीसी निर्गत कर रजिस्ट्री करायी जाती है और हाथोंहाथ म्यूटेशन कर रसीद भी निर्गत कर दिया जाता है।मामला प्रकाश में आने के बाद जब अंचल निरीक्षक महेंद्र राम सच्चाई जानने हेतु पूछा गया,तो उनका कहना है कि यह जांच का विषय है हम मूल खतियान और रजिस्टर पंजी देखने के बाद ही कुछ कह पाएंगे।
ज्ञात हो कि लेस्लीगंज अंचल से फर्जी एलपीसी निर्गत होने का मामला प्रकाश में आ चुका है।इस मामले में अंचल निरीक्षक महेंद्र राम एवम पूर्व अंचलाधिकारी चंद्रशेखर कुणाल द्वारा लेस्लीगंज थाने में मामला दर्ज भी कराया गया है।लेस्लीगंज पुलिस ने इस मामले में लेस्लीगंज अंचल में कार्यरत एक कम्प्यूटर ऑपरेटर को गिरफ्तार भी किया है।किंतु मामला यहीं खत्म नहीं होता, बल्कि और गहरा जाता है।एलपीसी बनाने का काम समन्धित हल्का के राजस्व कर्मचारियों द्वारा जांच पड़ताल के बाद अंचल निरीक्षक को और उसके बाद अंचलाधिकारी के पास से होकर कम्प्यूटर आपरेटर के पास पहुंचता है।तब कम्प्यूटर ऑपरेटर निबंधन कार्यालय को मेल करता है ।प्रश्न बनता है कि इतने पढ़े लिखे अधिकारियों के जांच पड़ताल के बाद ऑपरेटर को मेल करने का आदेश दिया जाता है