क्या गोड्डा पर दावा छोड़ देगी कांग्रेस?

गोड्डा संसदीय क्षेत्र में भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए महागठबंधन आकर ले रहा है। अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के समक्ष इस बार प्रदीप यादव और फुरकान अंसारी दोनों एक साथ मैदान में नही  रहेंगे। महागठबंधन से कोई एक ही साझा उम्मीदवार होगा। गोड्डा में पिछले 24 घन्टे से चर्चा का बाजार गर्म है कि यह सीट जेवीएम की झोली में जा रही है। राजद के पूर्व विधायक संजय यादव की माने तो अभी संस्पेंस बरकरार है। होली के बाद ही इसका खुलासा होगा।

गोड्डा लोकसभा सीट अब राजमहल परियोजना की कोयला खदानों के साथ साथ अडानी के निर्माणाधीन पावर प्लांट के लिए प्रसिद्ध हो रही है। पिछले 7 चुनाव में बीजेपी ने यहां 6 बार जीत दर्ज की है। यहां से बीजेपी के निशिकांत दुबे लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं। झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से गोड्डा सीट पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ रही है। गोड्डा, देवघर और दुमका जिले में फैली यह सीट अपने कोयले खदानों के लिए प्रसिद्ध है। यहां ललमटिया स्थित कोयला खदान ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के तहत एशिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट माइंस है । यह राजमहल परियोजना के अधीन है। यहां के कोयला से कहलगांव और फरक्का बिजली घर चलता है। यहां से भाजपा के निशिकांत दुबे लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं। गोड्डा लोकसभा सीट पर हुए पिछले 7 चुनावों में भाजपा  ने 6 बार जीत दर्ज की है। इस सीट के तहत 6 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां के लोग कृषि पर निर्भर है। प्रमुख फसलें धान, गेहूं और मक्का हैं। कोयला कारोबार के अलावा यहां व्यापक पैमाने पर रेत की तस्करी होती है। गोड्डा संथाल जनजाति की भूमि है। यहां ब्राह्मण, वैश्य, यादव और मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं।

गोड्डा लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होती रही है। 1962 और 1967 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के प्रभुदयाल जीते थे। 1971 और 1977 का चुनाव जगदीश मंडल जीते। 1971 में जगदीश कांग्रेस और 1977 में भारतीय लोकदल के टिकट पर लड़े थे। 1980 और 1984 में इस सीट से मौलाना समीनुद्दीन ने जीत दर्ज केी थी।1989 में इस सीट पर भाजपा के जनार्दन यादव ने चुुुनाव जीता। वहीं 1991 के आम चुनाव में झामुमो के सुरज मंडल ने भाजपा- कांग्रेस को धूल चटाते हुुुए जीत दर्ज की। इसके बाद बीजेपी ने फिर वापसी की। 1996, 1998 और 1999 का चुनाव बीजेपी के टिकट पर जगदंबी प्रसाद यादव लगातार जीते। 2000 के चुनाव में बीजेपी के ही टिकट पर प्रदीप यादव जीते। 2004 में कांग्रेस ने वापसी की और उसके टिकट पर फुरकान अंसारी जीते। 2009 और 2014 में बीजेपी के निशिकांत दूबे लगातार दो बार जीते।

गोड्डा लोकसभा सीट पर पिछड़ी जातियों और मुस्लिमों का दबदबा है। इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी करीब 11 फीसद और अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 12 फीसद है।  पिछड़ी जातियों की गोलबंदी के कारण बीजेपी यहां अच्छा प्रदर्शन करती रहीं है। मतदाताओं की संख्या 15.90 लाख है, इसमें 8.25 लाख पुरुष और 7.64 लाख महिला मतदाता शामिल है। गोड्डा लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें (मधुपुर, देवघर, जरमुण्डी, पोड़ैयाहाट, गोड्डा और महगामा) आती हैं। इनमें से देवघर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।  2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने चार सीटों (मधुपुर, देवघर, गोड्डा, महगामा), झामुमो ने एक सीट (पोड़ैयाहाट) और कांग्रेस ने भी एक सीट (जरमुण्डी) पर जीत दर्ज की थी।

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के निशिकांत  ने कांग्रेस के फुरकान अंसारी को हराया था। निशिकांत दूबे को 3.80 लाख और फुरकान अंसारी को 3.19 लाख वोट मिले थे।तीसरे नंबर पर झामुमो के प्रदीप यादव 1.93 वोट पाकर रहे। इस सीट पर करीब 65 फीसद मतदान हुआ था। इससे पहले 2009 के चुनाव में भी निशिकांत ने फुरकान अंसारी को करीब 6 हजार वोटों से हराया था।

सांसद निशिकांत दुबे 2009 में सक्रिय राजनीति में उतरे थे। इससे पहले वे एस्सार के निदेशक के रूप में काम कर रहे थे। उनकी शादी वर्ष 2000 में अनामिका गौतम से हुई। निशिकांत दुबे ने मारवाड़ी कॉलेज भागलपुर से बीए की डिग्री, दिल्ली के एफएमएस से एमबीए की डिग्री और जयपुर में प्रताप विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान दिए हलफनामे के मुताबिक, उनके पास 15.56 करोड़ की संपत्ति है। इसमें 2.05 करोड़ की चल संपत्ति है और 13.50 करोड़ की अचल संपत्ति शामिल है।उनके ऊपर 5 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।

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