हक की आवाज उठाना मेरा मकसद है,,,,,, निशार

gazal by nisar

 कातिलों के शहर में जब बसेरा होगा मुश्किलें लोगों के घरों से निकलना होगा। खौफ के साए में जीते हैं हर वक़्त न जाने कब मेरे घर पे हमला होगा। रोज नए मुद्दों का परचम लेके किस मोड़ पर कब कहां हंगामा होगा। बुलंद हौसले हैं दंगाइयों के साथ है कोई शहर में आग लगाने का कोई तो इशारा होगा। खिलते हुए चमन को वीरान कर दिया उजड़े हुए गुलिस्तां को बसाना होगा। हक की आवाज उठाना मेरा मकसद है निशार सारी दुनिया को सच्चाई बताना होगा।      …

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सच बोलना अब गुनाह हो गया। —————————————-

a sayari by nasim akhtar nisar

मौसम चुनाव का है तारा दिखा देंगे जमीन की आसमां से नेता सटा देंगे। रोजगार मिले ना कोई विकास हो सियासत को मज़हब से मिला देंगे। भ्रष्टाचार मिटाने का वादा करके देश लूटकर अपना ख़ज़ाना बना देंगे। पांच वर्ष गायब हो जाएंगे जीतकर अपने झूठे वादों का पर्चा थमा देंगे। जनता ना पूछ सके सरकार से सवाल मुद्दों का हर रोज उनवान फ़ैला देंगे। सच बोलना अब गुनाह हो गया निशार हुक़ूमत तुझे झूठे मुकदमों में फंसा देंगे।            नसीम अख्तर निशार हरिहरपुर गोमो , धनबाद…

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गीत

gazal by poet nisar

झूठ को सच बनाने में लगे हैं लोग अपनी नाकामी छुपाने में लगे हैं लोग। देश की आज़ादी में जिनका कोई हाथ नहीं ऐसे लोगों का इतिहास लिखाने में लगे हैं लोग मुल्क के रहनुमा का कतल कर दिया जिसने वैसे कातिल को मसीहा बताने में लगे हैं लोग अब तो इंसाफ की उम्मीद कर नहीं सकते हक की आवाज़ दबाने में लगे हैं लोग नफरत के शोले देश में फैलाकर हिन्दू मुस्लिम को लड़ाने में लगे हैं लोग झूठ का महल आसमां में बनाकर ऐ निशार दजजाल के फितनो…

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