सिंगरौली पुलिस ने परिपक़्वता दिखाते हुए प्रदर्शनकारियों को शांत किया

संवाददाता द्वारा
सिंगरौली, 23 सितंबर, 2023: गुरुवार को सरई तहसील अंतर्गत सुलियरी खदान में जबरन घुसकर मेधा पाटकर के कार्यकर्ता ने हो- हंगामा किया और समय रहते सिंगरौली पुलिस ने समझदारी से काम किया ! इसके बाद यह चर्चा का विषय बना हुआ है। इस दौरान, प्रदर्शनकारियों के आक्रामक होने के कारण सब इंस्पेक्टर प्रियंका मिश्रा की आंख और चेहरे पर चोटें आईं। भीड़ को बेहद शांतिपूर्वक तरीके से नियंत्रित करने का प्रयास करने पर पथराव में कई अन्य पुलिस और त्वरित प्रतिक्रिया बल के सदस्यों को भी मामूली चोटें आईं।
कार्यकर्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के दौरान उसके समर्थकों ने सरई तहसील अन्तर्गत सुलियरी कोयला खदान में पुलिस कर्मियों और त्वरित प्रतिक्रिया बल पर पत्थर और कीचड़ बरसाकर खदान में जबरन घुसने की कोशिश की। दरअसल,झलरी और मझौली पाठ के सरपंचो और कुछ ग्रामीणों के मिलीभगत से मेधा पाटकर के आड़ में इस क्षेत्र में तनाव पैदा करना चाहते थे। पुलिस और संलग्न बल ने प्रतिबंधित खदान क्षेत्र खदान के दरवाजे पर ही संयम का परिचय देते हुए मेधा पाटकर के कार्यकर्ता को समझा बुझाकर एक बड़ी दुर्घटना को विफल कर दिया।
हालाँकि, कानून के रखवालों ने व्यवस्था बनाए रखने के लिए चोटें लगने के बाद भी सरपंचो और उनके उपद्रवी साथियों को आक्रामकता के साथ जवाब देने से परहेज किया। पुलिस कर्मियों के लचीलेपन की व्यापक सराहना हो रही है। यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि जब कार्यकर्ता को असुरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए मानव श्रृंखला बनाई गई तो भीड़ ने पुलिस और त्वरित प्रतिक्रिया बल के सदस्यों पर पथराव और कीचड़ फेंकना शुरू कर दिया। हैरानी की बात है की प्रदर्शनकारी ने महिलाओ को आगे कर खदान में घुसने का प्रयास किया !ताजा जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने किसी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया है, लेकिन पता चला है कि एपीएमडीसी की खदान के संचालन में बाधा डालने वाले प्रदर्शनकारी की पहचान कर ली गई है।
मेधा पाटकर कुछ राजनीतिक नेताओं के साथ सुलियरी ब्लॉक का विरोध करने के लिए गुरुवार सुबह एक दिवसीय दौरे पर सरई पहुंची थी। दिलचस्प बात यह है की पुलिस ने कानून और व्यवस्था के हित में खनन परियोजना के समर्थकों को उनके ही गांव में प्रवेश करने से रोककर उन्हें पाटकर की सभा में जाकर शांतिपूर्ण अपना पक्ष रखने से रोका था। पाटकर के समर्थकों ने उसी पुलिस और त्वरित प्रतिक्रिया बल के जवानों पर शाम होते ही धाबा बोल दिया।
पाटकर और उसके समर्थक जबरदस्ती उस खदान स्थल में घुसना चाहते थे जहां भारी मशीनरी काम कर रही थी। एक तरफ जब पुलिस की त्वरित सोच और शांतिपूर्ण रवैये की प्रशंसा हो रही है तब देखना यह होगा की वह उचित उदहारण स्थापित करने के लिए प्रदर्शनकारी द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाने के लिए अब आगे क्या कार्यवाही करती है ताकि ऐसी घटना की भविष्य में पुनरावृति ना हो

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