राजनीति में जो सामने दिखता है, केवल वही सच नहीं होता। गिरिडीह की राजनीति भी कुछ यही बयां कर रही है। गिरिडीह की सीट भाजपा द्वारा आजसू को दिए जाने के दिन से खफा निवर्तमान भाजपा सांसद रवींद्र पांडेय झामुमो से नजदीकी भी बढ़ा रहे हैं। लेकिन, गिरिडीह-धनबाद के इलाके में संगठनात्मक नफा-नुकसान को समझ रहे झामुमो के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या वह भाजपा के बकरे पर दाव लगाएगा। पांडेय को पार्टी में लाकर झामुमो महतो और मांझी की नाराजगी मोल लेगा। पिछले कई दिनों से रवींद्र पांडेय को लेकर झामुमो में हो रहे मंथन का निचोड़ कुछ इस रूप में सामने आया है। हालांकि, झामुमो से चुनाव लड़ने की कोशिश पर रवींद्र पांडेय का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है। चुनाव लड़ने के बारे में कोई भी फैसला होगा तो पहले आपको बताएंगे।
डुमरी के विधायक जगन्नाथ महतो अब तक गिरिडीह में झामुमो के सबसे सशक्त दावेदार हैं। लेकिन उन पर चल रहे एक आपराधिक मामले में कभी भी कोर्ट से फैसला आने की संभावना है। इस लिहाज से झामुमो के लिए किसी दूसरे चेहरे पर भी विचार करने की मजबूरी आ गयी है। इसी क्रम में झामुमो से रवींद्र पांडेय की नजदीकी बढ़ी। पांडेय जैसे व्यक्ति के झामुमो में आने से चुनावी खर्च का बोझ भी कम पड़ने का तर्क दिया जाने लगा। ब्राह्मण मतदाताओं का झामुमो की ओर झुकाव की भी बात कही जाने लगी। लेकिन झामुमो के वोट बैंक रहे महतो और मांझी के विदकने का खतरा उसे रोक रहा है। झामुमो के भीतर चल रहे मंथन में यह बात सामने आ रही है कि लगभग एक दर्जन महतो बहुल विधानसभा सीटों पर इसका असर पड़ेगा, जो पार्टी के लिए खतरनाक हो सकता है। इसी मंथन में गिरिडीह सीट के लिए मांडू के झामुमो विधायक जयप्रकाश भाई पटेल मजबूत उम्मीदवार के रूप में उभर कर सामने आये हैं।
चुनावी दांव…जमशेदपुर में झामुमो दे सकता है बिल्कुल नया चेहरा झामुमो के भीतर जमशेदपुर सीट के लिए चल रहे मंथन में निर्विवाद रूप से कुणाल षाडंगी को पार्टी सबसे मजबूत उम्मीदवार मानता है। लेकिन, पार्टी के भीतर कुणाल को फिलवक्त दिल्ली भेजना उपयुक्त नहीं माना जा रहा है। झामुमो का मानना है कि कुणाल की उपयोगिता फिलहाल राज्य की राजनीति में ज्यादा है। छह-सात महीने बाद होनेवाले विधानसभा चुनाव में कुणाल का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। इस विचार-मंथन में आस्तिक की दावेदारी बढ़ रही है। लेकिन, झामुमो सूत्रों का कहना है कि पार्टी जमशेदपुर से किसी ऐसे चेहरे को चुनाव मैदान में उतार दे, जो अब तक की चर्चा में नहीं है, अप्रत्याशित नहीं होगा।
भाकपा के खाते में जा सकती है हजारीबाग सीटबिहार में कांग्रेस और राजद के बीच सीटों का समझौता होने के बाद अब झारखंड में भी कल तक सीट शेयरिंग का मामला सलट सकता है। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन 24 मार्च का डेड लाइन भी दे चुके हैं। पिछले तीन दिनों से जारी मंथन में हजारीबाग की सीट भाकपा को दिये जाने पर सहमति बन जाने की उम्मीद है। भले ही माले ने कोडरमा से अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है।