आदिवासियों की पहचान अपनी कला एवं संस्कृति से है हजारीबाग।आदिवासी केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष महेंद्र बैंक के नेतृत्व में शुक्रवार को धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ प्रकृति पर्व सरहुल पूजा मनाया गया।सरहुल पूजा में बंधन टोप्पो द्वारा सरना स्थल में पूजा कर शुभारंभ की गई।
उसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया फिर शहर अखाड़ा में ग्राम कोर्रा ,पतरातू ,बिरवा कॉलोनी, हत्यारी ,लाखे, आदिवासी बालक बालिका छात्रावास ,पुलिस लाइन ,सिंघानी, चरही,ब्रह्नपुर,सभी जुलूस शहर अखाड़ा में अपने कला संस्कृति का प्रदर्शन किया जहां पर मुख्य अतिथि सदर अंचल अधिकारी राजेश कुमार, हजारीबाग सदर विधायक मनीष जयसवाल ,इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह, महापौर रोशनी तिर्की, किसटो बेसरा, अविनाश यादव, मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
सदर विधायक मनीष जयसवाल ने सभी को प्राकृतिक पर्व सरहुल की हार्दिक शुभकामनाएं दी। अपने कला संस्कृति को बचाने या महत्वपूर्ण त्यौहार है।अंचल अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि प्राकृतिक पूजा सरहुल वास्तव में एक अद्भुत है प्रकृति के प्रति आदिवासियों का प्रेम झलकता है जो आज भी इसे बचा के रखे हुए हैं यह गर्व की बात है।
महापौर रोशनी तिर्की ने सभी को सरहुल की हार्दिक शुभकामनाएं दी और कहा कि अपने संस्कृति और धर्म से प्रेम करने की आवश्यकता है और ग्राउंड को सुंदरीकरण का भरोसा दिलाया।रमेश हेमरोम ने कहा सरहूल मैदान की साफ सफाई एवं सुंदरीकरण के लिए प्रशासनिक एवं राज्य सरकार के द्वारा सुंदरीकरण का कार्य जरूर किया जाय।
महेद्र बैंक ने कहा कहा किप्राकृतिक पूजा सरहुल पूजा आदिवासियों के बीच बहुत बड़ा महत्व है इसकी महत्व ठीक है वैसे है जैसे किसी पेड़ में फल पकफूल पत्तियों का महत्व होता है। सभी जनजाति इस प्राकृतिक त्यौहार को अलग-अलग नामों से बुलाते हैं अलग-अलग नामों से बुलाते हैं बोलते हैं जिनमें संथाल समुदाय इस त्यौहार को बाहापर्व फूलों के त्यौहार कहते हैं जिसमें प्रकृति के प्रति अपनी श्रद्धा को समर्पित करते हैं
मनोज टुडू ने कहा प्राकृतिक पुजा सरहुल पूजा ,बाहा पर्व आदिवासियों का सबसे बड़ा महापर्व है इस त्यौहार में सभी आदिवासियों के गांव गांव में मन में खुशी एवं उलास बना रहता है और सभी को इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं. क्योंकि इस पुजा के बाद ही सभी आदिवासी पृकृती का अन ग्रहण करते हैं, नये साल का शुभारंभ करते।