जिन्दा रहने के लिए देखना होगा आसमान की तरफ धूंआ जा रहा है।
संवाददाता- अबुल कलाम टंडवा: (चतरा) प्रखंड क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टंडवा में पानी का किल्लत, लोग अच्छी पानी पीने के लिए तरसतें है, यहां पर लगभग चार करोड़ की लागत से सरकारी खजाने से बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनाने के बाद भी पानी का दिक्कत एक छोटी सी बोरिंग है भी तो कोई काम कि नहीं इस पानी से ना पीने की लाइक है ना हीं खाना पकाने के काम में आती है,
इस पानी में गंध और डस्ट इतना है कि कहना नहीं, इस क्षेत्र में बड़ी बड़ी कंपनियां रहते हुए भी यहां के लोग अच्छी पानी पीने के लिए तरसतें है इतनी बड़ी बड़ी कंपनियां होते हुए भी इतना बुरा हाल एशियाई देशों में सबसे अधिक लोकप्रिय और महानता दिखाने वाले भारत के एक छोटी सी हिंसा में बसने वाली जिला चतरा के प्रखंड टंडवा में विकास की गंगा बहाने वाले एनटीपीसी, मगध, आम्रपाली, संघमित्रा, चंद्रगुप्त, से घिरे हुए प्रखंड क्षेत्र में ऐसी स्थिति आखिरकार चार करोड़ रुपए का टंडवा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रहते हुए भी लोगों को खैर नहीं इस स्वास्थ्य केंद्र में मरीज तो मरीज है, सरकारी अफसर भी खैर नहीं माना जाता है कि इस पानी को पीने से बिमारियां क्या ठीक होगा, यहां पर अच्छे अच्छे आदमी को बिमारियों से गुजरना पड़ता है।
एनटीपीसी के द्वारा 2020 में पानी के लिए बड़ी मुंह छोटी सी सपना देखा कर अधूरी में प्राण अटकाकर चली गई इस हॉस्पिटल में कई सालों से खड़ी दिखाई देने वाली लोहा का खंभा हीं खंभा बनकर रह गई, आखिर किसलिए जिसने जमीन, घर, सड़क, कुआं, पेड़ पौधे, बच्चों के तरह पोश पाल कर, इसी जमीन से जीवन यापन करने वाले लोगों को त्यागने के बाद भी मिला तो,
किया मिला बिमारियों का घर, रोजगार कि गारंटी नहीं बाहरी लोग एश कर रहे है, यहां के लोग दर्दर भटक रहे हैं, लेकिन नेताओं को क्या कहना, चलों चलते हैं आसमान के अॉर देखिए तस्वीरें धुआं पर, इसी को कहते हैं बड़ी लोग, नीचे नजर नहीं, तो ख्वाब के दायरे में रहना होगा यही है किस्मत का मारा बेचारा।