एनटीपीसी से आम आवाम का काला दिन शुरू, एनटीपीसी के चिमनी से निकलने वाले धुवां से आम जनमानस का जीना हुआ दुशवार।

घर की छत पर काली परत बता रही है दास्तान।

संवाददाता: अबुल कलाम टंडवा (चतरा): एनटीपीसी के चिमनी से बिजली उत्पादन के दौरान काली धुवां और काली धूल से आम जनमानस पर असर दिखने लगा है। एनटीपीसी से 6 गांवों के रायतों ने बड़ी उम्मीद के साथ एनटीपीसी को टंडवा के धरती में उतारने का काम किया जिससे यहां के ग्रामीणों को उचित मूल भूत सुविधा मिल सके।लेकिन टंडवा की जनता का दुर्भाग्य है की लोग अब अंदर से घुटन महसूस कर रहे है जिससे एनटीपीसी कंपनी ने बल्ले बल्ले कर अपना मुनाफा कमाने में मदमस्त है।

एनटीपीसी बिजली उत्पादन कर करोड़ों रुपया मुनाफा कर लाभान्वित होगा वहीं दूसरी ओर आम जनमानस को शुद्ध वातावरण में जीना यहां के लोगों को दुश्वार कर दिया है। बताते चलें कि एनटीपीसी में रैयत कम बाहरी को ज्यादा रोजगार के अवसर प्राप्त हुआ है।

जिससे यहां के ग्रामीणों का सपना चूरचूर हो गया। एनटीपीसी से फैल रहे प्रदूषण से आम जन जीवन और पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ा है। वही दूसरी तरफ दूषित होते पर्यावरण को बचाने के लिए जिला प्रशासन की तमाम निर्देशो का पालन नही हो पा रहा है। एनटीपीसी क्षेत्र में कार्य कर दर्जनों छोटी बड़ी कंपनियों को जो व्यवसाय से जुड़े है उन्हें इस बात को नजर अंदाज नही करना चाहिए कि ग्रामीण सड़को पर चलने वाले आम आवाम को किन किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

एनटीपीसी ने बिजली उत्पादन कर करोड़ों रूपए प्रति दिन का मुनाफा कर प्रभावित गांवों में लोगो को शुद्ध स्वास लेने को दुशवार कर दिया है। एनटीपीसी में कोयला ले कर आ रहे कोल वाहन के परिचालन का प्रतिकूल प्रभाव हाल के दिनों में थाना क्षेत्र से टंडवा, गाड़ीलौंग, कमता, जोड़ा पोखर, पांडे मोड़, दुन्दूआ, राहम, आदि क्षेत्रों में पड़ा है।इन गांवों में रहने वाले सैंकड़ों स्कूली छात्र छात्राएं इन सड़को से पैदल टंडवा आते है। वही वाहनों की तेज रफ्तार के बीच हमेशा जान जोखिम में बना रहता है।

ऐसे में अहम सवाल यह है की वाहनों की स्पीड पर नियंत्रण करते हुए क्या ग्रामीण क्षेत्रो से कोल वाहनों का परिचालन नही किया जा सकता, या फिर मौत तांडव मचाते हुए सिर्फ कोयले के व्यवसाय एनटीपीसी में अपना निजी फायदा को प्राथमिकता देना ही मायने रखता है। बढ़ते प्रदूषण ओर पेड़ पौधे को होने वाली नुकसान पर वाहनों की गति सीमा पर नियंत्रण लगाई जाए वही सड़को पर नियमित रुप पानी पटाने का कार्य हो जिससे धूल गर्दे से आम जनमानस का बचाव हो सके एवं एनटीपीसी में लगे कोल वाहनों से असमय होने वाली दुर्घटना पर नियंत्रण हो सके।

*एनटीपीसी में बेरोजगार युवक को रोजगार मांगने के लिए सता रही है डर।* एनटीपीसी से हक और अधिकार की आवाज उठाने वाले ग्रामीणों को एनटीपीसी से अब डर सताने लगा है। क्योंकि एनटीपीसी ने बिजली उत्पादन की कामयाबी अंतिम छोर पर है। यहां के ग्रामीणों को अपना हक और अधिकार दिलाने के लिए कोई आगे आने को तैयार नही है। कोई ग्रामीण या फिर नेता को एनटीपीसी से आंख से आंख मिलाकर बात करने की हिम्मत नहीं होती है।

विश्वसनीय सूत्रों से पता चला कि जमीन दाता अगर जमीन के बदले एनटीपीसी के आला अधिकारियों से रोजगार मांगने के लिए जाते हैं तो उन्हें कैरेटेरिया को फुल फील करते हुए आने की बात कही जाती है।

आखिर यहां के ग्रामीण जानना चाहते हैं कि कौन है एनटीपीसी के सफेदपोश चेहरा जिसे दर्शन करेंगे तभी एनटीपीसी जमीन दाता को रोजगार पर रखेगी।

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