लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर जारी है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को घेरते-घेरते चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) को बिहारी डकैत की संज्ञा दे डाली। आंध्र-प्रदेश के ओंगोल में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने के. चंद्रशेखर राव पर आपराधिक राजनीति करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा वह कांग्रेस और टीडीपी के विधायकों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने जदयू उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर भी विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा एक बिहारी डकैत प्रशांत किशोर ने आंध्र प्रदेश से लाखों मतदाताओं को हटा दिया है।
चंद्रबाबू नायडू के बयान पर प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया की है। उन्होंने कहा एक अनुभवी नेता अपनी हार देखकर घबरा गए हैं। इसलिए मैं उनके इस आधारहीन आरोप से चकित नहीं हूं। पीके ने कहा मेरे खिलाफ आपकी यह अपमानजक भाषा आपके पूर्वाग्रह और बिहार के खिलाफ आपकी कुंठा को दर्शाता है। बेहतर होता कि आप इस बात पर ज्यादा ध्यान देते कि आंध्र प्रदेश की जनता आपके वोट दे।
प्रशांत किशोर इन दिनों आंध्र प्रदेश में के चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति के लिए विधानसभा चुनाव में रणनीति बनाने के काम कर रहे हैं। इस चुनाव में उनकी पार्टी की मुकाबला चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी से है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी इस चुनाव में उम्मीदवार उतारा है।
इससे पहले प्रशांत किशोर 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा, 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और पंजाब में कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम कर चुके हैं। वैसे हाल के दिनों में आए उनके बयानों के बाद पीके अपनी पार्टी जेडीयू में भी अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं।
जदयू के जानकार सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि प्रशांत किशोर की ‘एंट्री’ के समय से ही पार्टी के कई नेता नाखुश थे। जदयू उपाध्यक्ष पीके के हालिया बयानों से लग रहा है कि उनके और पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के बीच शायद सबकुछ ठीक नहीं है। यही वजह है कि पीके के खिलाफ पार्टी में स्वर मुखर होने लगे हैं।