मायावती से मिले धोखे का बदला लेगी सपा

मायावती से मिले धोखे का बदला लेगी सपा

News Agency : लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती जिस तरह समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव पर एक के बाद एक हमले कर रही हैं, उससे सपा खेमा भड़का हुआ है. अखिलेश ने इस मुद्दे पर पार्टी नेताओं को किसी भी तरह की बयानबाजी से रोक रखा है, जिसके चलते सपा नेता बसपा और मायावती के खिलाफ अपनी भड़ास को दबाए रखने पर मजबूर हैं लेकिन अंदरखाने माया से मिले धोखे का बदला लेने का ब्लू प्रिंट भी तैयार किया जा रहा है. कोशिश माया के वोट बैंक में सेंधमारी की है, जिसे अखिलेश यादव संपर्क और संवाद के फॉर्मूले से अंजाम देना चाहते हैं.उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरने से सबसे ज्यादा फायदे में मायावती रहीं. बसपा प्रदेश में जीरो से ten सीटों पर पहुंच गई और उसका वोटबैंक भी पिछले चुनाव की तरह जस का तस बना रहा. वहीं, अखिलेश यादव गठबंधन में अपनी सियासी जमापूंजी लुटा बैठे. उनके वोट तीन फीसदी तक घट गए. पार्टी पिछले चुनाव की तरह पांच सीटें तो जीत गई, लेकिन उसके अपने ही मजबूत गढ़ कन्नौज में डिंपल यादव, बदायूं में धर्मेंद्र यादव और फिरोजाबाद में अक्षय यादव हार गए.मायावती के आरोपों पर सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि अखिलेश यादव का चरित्र किसी को धोखा देने वाला नहीं है. लोकसभा चुनाव में सपा ने पूरी ईमानदारी से गठबंधन धर्म निभाया है. इसके बावजूद मायावती ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया और उपचुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान किया है.मायावती के लगातार हमलों पर अखिलेश यादव खामोशी अख्तियार किए हुए हैं. सपा नेताओं को इस खामोशी में ही फायदा दिख रहा है. एक वरिष्ठ सपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चाहे तो पार्टी मायावती के आरोपों का पलटकर जवाब दे सकती है, लेकिन इससे स्थितियां बिगड़ेंगी, क्योंकि सपा-बसपा का गठबंधन सिर्फ दो दलों का गठबंधन नहीं था बल्कि जनता का खासकर दलित-यादव समुदाय का जमीनी स्तर पर बना गठबंधन था.

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