दबे-कुचलों के नेता,राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व रेलमंत्री और चारा घोटाले के चार मामलों के सजायाफ्ता 71 साल के बुजुर्ग लालू प्रसाद यादव की लीला भी न्यारी है। जिसने उन्हें भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधों की बिना पर चुनाव लड़ने से रोक दिया अब वे उसी से चुनाव में टिकट बांटने की आजादी मांग रहे हैं। अभी तक के कानून के मुताबिक आपराधिक मामलों में दो साल से ज्यादा की सजा होने पर छह साल की अयोग्यता का प्रावधान किया गया है। जबकि करप्शन, एनडीपीएस में सिर्फ दोषी करार होना काफी है।
ऐसे में एक तरफ रांची के रिम्स में गंभीर बीमारियों का इलाज, दूसरी तरफ विपक्षी महागठबंधन के कर्णधार, क्राइसिस मैनेजर, अलंबरदार और किंग मेकर बनने की तमन्ना परवान पर हैं। वहीं दूसरी तरफ रांची के रिम्स में पेइंग वार्ड हर शनिवार को देश की राजनीति का धुरी बन जाता है, पता नहीं कब यहां की दीवारों से कौन सी बात निकले और वह लोकसभा चुनाव के लिए सबसे कारगर रणनीति साबित हो जाए।
ताजा जानकारी के मुताबिक लालू प्रसाद यादव ने अब सुप्रीम कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई है, जिस पर संभव है इस हफ्ते फैसला हो जाए। अपनी याचिका में राजद सुप्रीमो ने आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष होने के नाते टिकट बांटने की महती जिम्मेवारी का जिक्र करते हुए बेल की मांग की है। बीते मंगलवार को सर्वोच्च अदालत में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल कर लालू ने चारा घोटाले के चाईबासा, देवघर और दुमका मामले में जमानत दिए जाने की दरख्वास्त सर्वोच्च न्यायालय से की है। हालांकि इन तीनों मामलों में झारखंड हाई कोर्ट गंभीर आरोपों का हवाला देते हुए उनकी जमानत याचिका पहले ही खारिज कर चुका है।
लालू प्रसाद यादव राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इसके नाते 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी करनी है। जिसको लेकर पार्टी नेताओं के साथ उन्हें कई बैठक करनी होगी और रणनीति तय करनी होगी। उम्मीदवार भी तय करने होंगे। उम्मीदवारों को सिंबल देने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष का हस्ताक्षर होना जरूरी है, इसलिए उन्हें जमानत प्रदान की जाए। लालू प्रसाद ने कहा है कि उनकी उम्र 71 साल हो गई है। उन्हें डायबटीज, बीपी, हृदय रोग सहित कई गंभीर बीमारियां हैं। जिसका रांची के रिम्स में इलाज चल रहा है और प्रतिदिन करीब 13 प्रकार की दवाओं का सेवन कर रहे हैं।
लालू प्रसाद यादव को देश के बहुचर्चित 2000 करोड़ के चारा घोटाले के चार मामलों में गंभीर आरोपों के तहत अपराध का दोषी पाया गया है। उन्हें इन मामलों में कुल 20 साल से अधिक सजा सुनाई गई है। जिसके लिए फिलहाल वे रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में अपनी सजा काट रहे हैं। जन प्रतिनिधित्व कानून में कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद ही चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया जाता है। इस कानून में भ्रष्ट आचरण के आधार पर अयोग्यता निर्धारित की गई है। इस लिहाज से लालू प्रसाद यादव को अयोग्य ठहराते हुए उन्हें चुनाव लड़ने से रोका गया है।
संविधान के अनुच्छेद 327 के तहत इस अधिनियम को संसद द्वारा पारित किया गया था। यह संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव का संचालन प्रदान करता है। यह इन बातों की भी पुष्टि करता है कि उक्त सदनों का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएं और अयोग्यताएं होती हैं।
लोकसभा की सदस्यता के लिए योग्यता :
i- किसी भी राज्य में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट के मामले में, उसे किसी भी राज्य के किसी भी अनुसूचित जाति का सदस्य होना चाहिए और किसी भी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का एक निर्वाचक होना चाहिए;
ii- किसी भी राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट के मामले में, उसे किसी भी राज्य के किसी भी अनुसूचित जाति का सदस्य होना चाहिए और किसी भी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का एक निर्वाचक होना चाहिए;
iii- किसी अन्य सीट के मामले में उसे किसी भी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक निर्वाचक होना चाहिए।
एक व्यक्ति राज्य सभा में किसी भी राज्य या संघ शासित प्रदेश के एक प्रतिनिधि के रूप में तभी चुने जाने का योग्य माना जाएगा जब वह एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक होगा।
एक व्यक्ति निम्न कारणों के आधार पर हो सकता है अयोग्य :
I. कुछ चुनावी अपराधों और चुनाव में भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराए जाने के कारण अयोग्यता।
II. एक व्यक्ति जिसे किसी भी अपराध का दोषी पाया गया हो और कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई गयी हो।
III. भ्रष्ट आचरण के आधार पर अयोग्यता।
IV. भ्रष्टाचार या देशद्रोह के लिए बर्खास्तगी के कारण अयोग्यता।
V. सरकारी कंपनी के तहत पद के लिए अयोग्यता ।
VI. चुनाव खर्च के खाते का विवरण देने में असफल होने पर अयोग्यता।
VII. विभिन्न समूहों के बीच या रिश्वतखोरी के अपराध के लिए शत्रुता को बढ़ावा देने के कारण अयोग्यता।
VIII. यदि एक व्यक्ति को सती, छुआछूत, दहेज, जैसे सामाजिक अपराधों के लिए कभी दंडित किया गया हो।