झारखंड में जदयू के निर्णय पर टिकी बेटिकटों की नजर

अपने-अपने दलों से बेटिकट हुए जनप्रतिनिधि और हर हाल में लोकसभा चुनाव लड़ने की चाहत रखने वाले नेताओं की नजर जदयू पर टिक गई है। जदयू झारखंड में लोकसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लेता है तो बेटिकटों की लॉटरी खुल सकती है। जदयू का बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन है। लेकिन, झारखंड में दोनों दलों के बीच कोई गठबंधन नहीं है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि जदयू झारखंड में लोकसभा चुनाव लड़ने के बाबत क्या निर्णय लेता है? 

लोकसभा चुनाव में जदयू झारखंड की सीटों पर अपना उम्मीदवार देगी या नहीं यह गुरुवार को तय होने की संभावना है। जानकारी के मुताबिक पार्टी के प्रदेश संयोजक शैलेंद्र कुमार के साथ कुछ नेताओं ने कुछ दिन पहले पार्टी प्रमुख व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस संबंध में बात की थी। तब कोई निर्णय नहीं हो सका था। हालांकि पार्टी यह घोषित कर चुकी है कि उसका भाजपा के साथ गठबंधन सिर्फ बिहार में है। बावजूद इसके चुनाव लडऩे संबंधी कोई निर्देश नहीं मिलने से झारखंड के कार्यकर्ता उहापोह की स्थिति में हैं। 

इस बीच गिरिडीह सीट से टिकट कटने के बाद वहां से पांच बार सांसद रहे रवींद्र पांडेय कई राजनीतिक दलों के संपर्क में हैं। जानकारी के मुताबिक उन्होंने बिहार सीएम नीतीश कुमार से भी संपर्क किया था लेकिन उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला। वहीं सालखन मुर्मू भी जदयू की सदस्यता लेना चाहते हैं और वे राजमहल सीट से जदयू की टिकट पर चुनाव लडऩे को इच्छुक बताए जाते हैं। पिछले चुनाव में कोडरमा से मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने वाले कृष्णा सिंह घटवार व हजारीबाग से जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो भी ताल ठोंकने को तैयार बैठे हैं। उन्हें भी पार्टी से हरी झंडी मिलने का इंतजार है।

इधर पार्टी के जिला स्तरीय नेताओं का मानना है कि जदयू नेतृत्व झारखंड की किसी सीट से प्रत्याशी देने को इच्छुक नहीं है। दरअसल भाजपा गठबंधन में बिहार में जदयू को 13 सीटें ही दी जा रही थी। झारखंड में अपनी कमजोर स्थिति देखने के बाद जदयू नेतृत्व ने यहां से अपने उम्मीदवार नहीं देने की सूरत में बिहार से सीट बढ़ाने का प्रस्ताव दिया। बताया गया कि यहां से जदयू उम्मीदवार भले जीत न सकते हों लेकिन कुछ सीटों पर डिसाइडिंग फैक्टर तो हो ही सकते हैं। लिहाजा जदयू के इस प्रस्ताव को भाजपा नेताओं ने मान लिया। बिहार में झारखंड के एवज में चार सीटें बढ़ा दी गई। यही वजह है कि यहां से प्रत्याशी देने के मामले में शीर्ष नेतृत्व उदासीन बना हुआ है।

जदयू नेता सुशील कुमार सिंह की मानें तो सालखन मुर्मू राजमहल संसदीय सीट से चुनाव लडऩे को इच्छुक हैं। वे नीतीश से मिलने भी गए थे लेकिन उन्हें इंतजार करने को कहा गया। उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट मिल सकता है।

जदयू के झारखंड प्रभारी रामसेवक सिंह के मुताबिक नीतीश कुमार के साथ गुरुवार को बैठक होनी है। वही फैसला करेंगे कि झारखंड से चुनाव लड़ेंगे या नहीं। रवींद्र पांडेय को टिकट देने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व से संपर्क किया है लेकिन किसी को आश्वासन नहीं दिया गया है। एक-दो दिन में फैसला हो जाएगा।

इधर दिग्गज भाजपा नेता रवींद्र पांडेय ने कहा कि वे चुनाव जरूर लड़ेंगे लेकिन किस पार्टी से इस पर फैसला नहीं हुआ है। नामांकन 16 अप्रैल से है, अभी बहुत समय है। जदयू प्रमुख से मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी नीतीश से मुलाकात नहीं हुई है।

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