हजारीबाग मे सरकारी विभागों से नहीं मिल रहा हैं सूचना का अधिकार_

भ्रष्टाचार के मामलों को दबाया जा रहा है: मनोज गुप्ता

हजारीबाग। समाजिक कार्यकर्ता मनोज गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस की मनमोहन सिंह की सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू किया था जिससे कि भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो सके लेकिन झारखंड में सूचना अधिकार मृत अवस्था में है जबकि यहां कांग्रेस गठबंधन की सरकार है। झारखंड सरकार पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि चारों तरफ लूट मची हुई है, आम आदमी को उसके अधिकार से वंचित किया जा रहा है।

हमने कई विभागों से सूचनाएं मांगी है लेकिन भ्रष्टाचार उजागर होने के डर से जानकारी नहीं दे रहे हैं।हजारीबाग जिला परिषद से उनके जिले में अचल संपत्ति का ब्यैरा मांगी है।मकान, भवन, बाजार-हाट,मॉल,अतिथि गृह,शादी घर,पार्क, बस स्टैंड,मार्केट आदि कितने हैं, किनको दिया गया है,उनके साथ किए गए एकरारनामे की कापी, विभाग का किसी व्यक्ति पर कितना बकाया राशि है, राशि वसूलने के लिए क्या कर रहे हैं।

इसकी जानकारी नहीं दिया जा रहा है, कई बार कार्यालय जाने पर टालमटोल करते हैं ये भी नहीं बताते हैं कि इनका प्रथम अपीलीय पदाधिकारी कौन है, बाध्य होकर हमने सूचना प्राप्त करने के लिए उपायुक्त को आवेदन दिया है, जिला शिक्षा अधिक्षक से हमने पारा शिक्षकों के बारे में जानकारी मांगी है,जिले में कितने पारा शिक्षक हैं, कितनों की शैक्षणिक योग्यता की जांच की गई है, कितनों की जांच नहीं की गई है,जांच कबतक पूर्ण होगा, कितने पारा शिक्षकों के जांच में फर्जी डिग्री पाए गए हैं,फर्जी डिग्री वाले शिक्षक का नाम और पता क्या है और वे किस स्कूल में सेवा दे रहे थे।

राज्य सरकार के आदेशानुसार 15 नवम्बर 2022 तक सभी पारा शिक्षकों का शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र की जांच करने का आदेश हुआ था।कई बार कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद भी सूचना नहीं मिला है।सूचना प्राप्त करने के लिए पुनःअपील किए हैं, हजारीबाग जिला आपूर्ति पदाधिकारी से भी हमने जानकारी मांगी है।नगर निगम छेत्र के 36 वार्डों में कुल कितने लाभुक एएवाई योजना के अंतर्गत जन वितरण प्रणाली की दुकान से राशन सामग्री लेते हैं,उनके नाम और पता क्या है।

ज्ञात हो कि इस एएवाई योजना के अंतर्गत मजदूर,भीखारी,अपंग, अति निर्धन को सरकार राशन देती है जिसका लाभ विभाग और पीडीएस दुकानदार के मिलीभगत से संम्पन लोग उठा रहे हैं। बहुत से पीडीएस दुकान राशन सामग्री के हेराफेरी के कारण निलम्बित या रद्द किए गए हैं,उनके पास सरकार का कितना राशि बकाया है,राशन या राशि वसूलने के लिए क्या कारवाई किया गया है, किस डीलर के पास कितना बकाया है।

सूचना प्राप्त करने के लिए प्रथम अपीलीय पदाधिकारी सह अपर समाहर्ता को आवेदन दिए हैं, कार्यपाल अभियंता विधुत विभाग से भी 25000 रु या उससे से अधिक राशि के बकायदारों की सूची माँगी गई है, सूचना नहीं दे रहे हैं।जिसमें कई रसूकदार लोग ,विभाग और उच्च अधिकारीयों के नाम हैं, झारखंड सरकार के द्वारा मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के अंतर्गत ग्रामीणों को बकरा, सुकर, मुर्गी पालन, बतख, जोड़ा बैल,दुधारू गाय आदि देना है।जिला पशुपालन पदाधिकारी से इस संबंध में जानकारी मांगी गई है,इस योजना के अंतर्गत जिले में कितने लोगों को लाभ मिला है, लाभुकों का नाम और पता क्या है।महीनों बीत जाने के बाद भी पूर्ण जानकारी नहीं दिया गया है।

राज्य सरकार का सूचना अधिकार के प्रति उदासीन रवैया के कारण ही भ्रष्टाचार चरम पर है, कोई भी विभाग सूचना नहीं देना चाहता है और देता भी तो गोलमटोल, अधूरा,आम आदमी को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है, ये कानून का भी उलंघन है।

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