गणेश झा
पाकुड़:प्रतिबंधित सूची में दर्ज रहने के बाबजूद किस प्रकार हुईं ऑनलाइन इंट्री और रजिस्ट्री कितने गहरे है राजइस राज के खुलने से जिला प्रशासन क्यों है पत्रकार को उलझाने को बैचन
पाकुड़ । पाकुड़ जिले के निबंधन विभाग में इस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है कि आप कोई भी कठिन से कठिन काम को लंबे समय के बजाय घंटो में ही कर सकते हैं इसका जीता जागता उदाहरण भी मौजुद है.
पर एक बात समझ से बाहर हैं की जानबूझकर इतनी बड़ी गलती कौन करेगा जिस निबंधन प्रक्रिया में कई जांच और हस्ताक्षर के बाद ही रजिस्ट्रार के टेबुल तक सेलडीड पहुंचती हैं सेलडीड को स्वीकृत करने के दौरान जमीन की किस्म और क्रेता विक्रेता की पहचान के साथ साथ इनके पहचान के सदस्यों का हस्ताक्षर किए जाते है इसके बाबजूद इस प्रकार की भूल बडी साज़िश और षड्यंत्र के सहारे ही संभव है या भारी भरकम कमिशन लेकर लॉक जमीन की रजिस्ट्री की चर्चा पुरे जिले में बदसूरत जारी है चर्चा यह है की किन परिस्थिति में अधिकारी जान बूझ कर लॉक जमीन की रजिस्ट्री करते है जब मामला पुरे जिले में एक चर्चा का विषय बन जाती हैं तो इस सेल डिड को निरस्त करने की कोशिश की जाती हैं इस निबंधन में भी खाता संख्या का उलट फेर किया जाता है पर दाग संख्या मे कोई उलट फेर नही है इस मामले में आवाज उठी हैं साथ साथ कई भू माफिया एवं इनसे सम्बन्धित अधिकारी भी अप्रत्यक्ष रूप से कही ना कही डराने धमकाने के साथ साथ कोई झूठे मुकदमे में उलझाने की रणनीति तैयार भी करने में लगे हुए हैं पर शोषण और अत्याचार की आवाज को बुलंदी के साथ उठाने की आवश्यकता है और इस समय की मांग हैं आखिर इन सभी पहलुओं पर जानकारी और शिकायत के बाद जिले के अधिकारी की नीद खुली और हवा हवाई मे इस सेलडीड को निरस्त करने की खबरें सूत्रो के हवाले से एक चर्चा का विषय बन चूका है।