पाकुड़ प्रशासन बेलगाम और पूंजीपति की पिछलग्गू हो चुकी है। ,कोयला कंपनी के आगे पीछे कर कितना दिन गुजारा करेंगें?

गणेश झा
पाकुड़ प्रशासन बेलगाम और पूंजीपति की पिछलग्गू हो चुकी है। ,कोयला कंपनी के आगे पीछे कर कितना दिन गुजारा करेंगें,हजारों आदमी का रोजगार छीन कुछ आदमी को फायदा दे रहीं है पाकुड़ प्रशासन।

पत्रकार,समाजसेवी के ऊपर केस कर कितने दिन पत्रकारों की कलम को दबा सकती है प्रशासन,पत्रकार तो वो ज्वालामुखी है जिस दिन फूटेंगे तो हवा में उड़ जाएगा सारा हवा में बनाया हुआ कुनबा,डीएमएफटी फंड जो खनन छेत्र में या फिर खनन छेत्र में पड़ने वाले गांव में खर्च किया जाता है,जैसे शिक्षा,मेडिकल,पानी,सड़क लोगों की बेहतरी के लिए डीएमएफटी फंड बना,लेकिन जिला प्रशासन इसका गलत इस्तेमाल कर रही है,बीजीआर मेडिकल कैंप अमरापाड़ा में लगा रही है

जबकि बीमार अमरापाड़ा से पाकुड़ अनलोड साइडिंग तक के रहने वाले ग्रामीण हो रहे है तो कैंप सिर्फ अमरापाड़ा में क्यों।एक तरफ पत्थर ओवर लोडिंग पर पूरा पाकुड़ प्रशासन टूट कर पड़ा है तो कोयले पर क्यों नहीं,


बिना त्रिपाल ओवर लोडिंग कर रहे है हाइवा क्यों,किया पाकुड़ प्रशासन ने खुली छूट दे रखी है कोयला कंपनी को ,खुले में ट्रांसपोर्टिंग करने वाली कोयला कंपनी पॉल्यूशन उड़ा कर पूरे पाकुड़ को बीमार कर रही है आखिर इसकी जिम्मेदारी लेगा कोन, सायाद पाकुड़ प्रशासन जो दिन स्वागत में लगी रहती है कॉल कंपनी के।


पत्थर के नियम कानून है कोयला के नही,कोयला लोड कर धर्म कांटा में वजन का मेमो दिया जाता है लेकिन माइनिंग चालान नही क्यों।

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